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लखनऊ में कूड़ा प्रबंधन का काम देख रही कंपनी की मनमानी, कई घरों से नहीं उठ रहा कूड़ा

कूड़ा प्रबंधन का काम देख रही मेसर्स ईको ग्रीन का एक और खेल पकड़ा गया है। घर घर से कूड़े का उठान नहीं हो रहा है और जांच से सामने आया है। चौदह नवंबर को नगर निगम के विभिन्न जोनों में 68 वाहन सड़क पर निकले ही नहीं।

By Vikas MishraEdited By: Published: Wed, 17 Nov 2021 09:24 AM (IST)Updated: Wed, 17 Nov 2021 12:31 PM (IST)
लखनऊ में कूड़ा प्रबंधन का काम देख रही कंपनी की मनमानी, कई घरों से नहीं उठ रहा कूड़ा
अपर नगर आयुक्त पंकज सिंह भी सचेत कर चुके हैं, लेकिन सुधार के बजाय कंपनी लगातार मनमानी कर रही है।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। कूड़ा प्रबंधन का काम देख रही मेसर्स ईको ग्रीन का एक और खेल पकड़ा गया है। घर घर से कूड़े का उठान नहीं हो रहा है और जांच से सामने आया है। चौदह नवंबर को नगर निगम के विभिन्न जोनों में 68 वाहन सड़क पर निकले ही नहीं। इन वाहनों से ही घर घर से कूड़ा एकत्र किया जाता है। लिहाजा लोगों को कूड़े को इधर-उधर फेंकना पड़ा, जबकि 13 नवंबर को 39 वाहन कूड़ा एकत्र करने नहीं निकले। कंपनी का निगरानी तंत्र कमजोर होने से ही कूड़े लेने गाड़ियां नहीं जा रही हैं और शहरवासियों को इंतजार करने के बाद कूड़े को कहीं फेंकना पड़ रहा है। खास बात यह है कि 13 नवंबर को 39 वाहन कम मिलने के बाद कंपनी को अपर नगर आयुक्त पंकज सिंह की तरफ से सचेत भी किया गया था, लेकिन सुधार के बजाय कंपनी लगातार मनमानी कर रही है। 

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जुर्माने का कंपनी पर कोई असर नहींः कूड़ा प्रबंधन का काम देख रही मेसर्स ईको ग्रीन पर जुर्माने और कार्रवाई का कोई असर नहीं दिख रहा है। नगर निगम भी अनुबंध खत्म करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है, क्योंकि शासन से कंपनी का अनुबंध है। कूड़ा एकत्र करने के लिए पोर्टेबल काम्पेकटर मशीनें तक खराब रहती हैं। सड़कों कूड़ा बिखरा होने पर महापौर संयुक्ता भाटिया ने मेसर्स ईको ग्रीन के कर्मचारियों को फटकार लगाई थी। महापौर ने यहां तक टिप्पणी की थी कि वह जब भी शहर में निकलती हैं तो उन्हें जगह-जगह कूड़े के ढेर नजर आते हैं।

इससे बाहर से आने वालों को शहर की गंदी तस्वीर दिखती है। इससे पूर्व भी नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने मेसर्स ईको ग्रीन कंपनी पर कूड़ा प्रबंधन ठीक से न करने और घर-घर से कूड़़ा न उठाए जाने पर 2.2 करोड़ का जुर्माना पर लगाया था। नगर निगम की टीम ने जांच में पाया गया था कि मोहान रोड शिवरी प्लांट पर सभी मशीने काम नहीं कर रही थीं और कूड़े का प्रबंधन नहीं हो पा रहा था। प्लांट परिसर में 3,40,000 टन पुराना कूड़ा का पहाड़ बन गया है।


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