ISIS आतंकी मुस्तकीम उर्फ अबू यूसुफ ने ऐसे रखी आतंक की नींव, सोता रहा खुफिया तंत्र
Terrorist Mustakim alias Abu Yusuf बलरामपुर के नगवां गांव का नाम पहले भी सुर्खियों में रहा है दाउद के शूटर के पासपोर्ट को लेकर उछला था।
बलरामपुर [रमन मिश्र]। जिले की सबसे संवेदनशील तहसील उतरौला में आतंक की जड़े गहराती रहीं, लेकिन पुलिस व खुफिया तंत्र सोता रहा। उधर बढ़या भैसाही गांव में बैठा मुस्तकीम उर्फ अबू यूसुफ राम मंदिर अयोध्या में धमाके की बिसात बिछा दी। मनिहारी का वेश धर उसने दो साल में घर को ही बम की प्रयोगशाला बना दिया। नेटवर्किंग के जरिए वह अपने पैर मजबूत करता रहा, लेकिन किसी को भनक न लगी। हैरानी की बात यह है कि लॉकडाउन में ही उसने गांव में क्रबिस्तान में विस्फोटक का परीक्षण भी किया। जबकि पुलिस के क्वारंटाइन मॉनीटर्स व गरुण वाहिनी को इसकी गूंज नहीं सुनाई पड़ी। दिल्ली को दहलाने की फिराक में जब वह दबोचा गया, तो सुरक्षा एजेंसियों के दावों की हवा निकल गई।
इन मामलों से न लिया सबक
दिल्ली में आतंकी गतिविधि को अंजाम देने की फिराक में मुस्तकीम को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन क्षेत्र में पूर्व में हुए मामलों से खुफिया तंत्र ने सबक नहीं लिया। कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन में बड़ी संख्या में प्रवासी अपने गांवों को लौटे। उतरौला क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहा। गत माह प्रतिबंधित संगठन पीएफआइ की महाराष्ट्र इकाई के शीर्ष पदाधिकारी के छींटजोत गांव से कनेक्शन की सूचना पर खुफिया इकाइयां सक्रिय हुईं थीं, लेकिन भनक लगते ही वह यहां से निकल गया था।
छींटजोत गांव बढ़या भैंसाही के बगल ही है। यहां मुस्तकीम बारूद का ढेर बिछाता रहा, लेकिन किसी को कानों-कान खबर न हुई। यही नहीं, वर्ष 2007 में दाउद गिरोह के शूटर अशफाक के जेल में बंद होने के दौरान नगवां गांव से पासपोर्ट बनने का मामला भी खूब उछला था। नगवां गांव बढ़या भैसाहीं से सटा हुआ है।
बोले एसपी
पुलिस अधीक्षक देवरंजन वर्मा का कहना है कि नव धनाढ्यों की नई सूची बनाई जा रही है। संवेदनशीलता को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह मुस्तैद हैं।