टेरर फंडिंग के मुख्य आरोपित मुमताज ने कोर्ट में दी सरेंडर की अर्जी Lakhimpur Khiri News
लखीमपुर पुलिस ने नेपाल के रास्ते होने वाली टेरर फंडिंग गिरोह का पर्दाफाश किया था। मुमताज ने गुरुवार को सीजेएम कोर्ट लखीमपुर में सरेंडर की अर्जी दी।
लखीमपुर, जेएनएन। लखीमपुर पुलिस ने नेपाल के रास्ते टेरर फंडिंग करने वाले चार शातिर अपराधियों को पकड़ा था। जिसमें मुमताज टेरर फंडिंग का मुख्य आरोपित है। मुमताज ने एटीएस और पुलिस को चमका देकर गुरुवार को सीजेएम कोर्ट लखीमपुर में सेरेंडर की अरजी दी है। बता दें कि मुमताज पर भारत- नेपाल सीमा से आतंकियों तक लगभग 90 करोड़ भारतीय मुद्रा पहुचने का है संगीन आरोप। आतंकी नेटवर्क की चेन का आखिरी मोहरा माना जा रहा है मुमताज।
यह है मामला
यूपी एटीएस व लखीमपुर पुलिस ने लगभग सप्ताह भर पूर्व टेरर फंडिंग के मामले में चार आरोपियों को पकड़ा था। इन आरोपियों के पास भारतीय व नेपाली करेंसी और सेलफोन बरामद हुए थे। गिरफ्तार आरोपियों में से दो बरेली व दो लखीमपुर के तिकुनिया इलाके के रहने वाले हैं। ये विदेश से नेपाल के बैंकों में आने वाली मुद्रा को भारतीय मुद्रा में तब्दील कर लखीमपुर खीरी के रास्ते देशभर में भेजते थे। बताया जा रहा है कि इन पैसों का उपयोग आतंकी घटनाओं में किया जाता रहा था।
नेपाल के रास्ते आ रही थी धनराशि
बीते 10 अक्टूबर को काफी मात्रा में नेपाल के रास्ते भारी धनराशि भारत लाई जा रही थी। इस सूचना के आधार पर एटीएस व लखीमपुर खीरी की संयुक्त टीम ने बरेली निवासी उम्मेद अली, समीर सलमानी और लखीमपुर खीरी निवासी संजय अग्रवाल और एराज अग्रवाल को गिरफ्तार किया था। उम्मेद अली के कब्जे से दो लाख भारतीय मुद्रा, संजय अग्रवाल के कब्जे से एक लाख 35 हजार नेपाली मुद्रा, समीर सलमानी के पास से एक लाख 50 हजार भारतीय मुद्रा और एराज अली के कब्जे से एक लाख भारतीय मुद्रा बरामद की गई थी।
पांच फीसद कमीशन पर करते थे फंड ट्रांसफर
गिरफ्तारी के बाद डीजीपी ओपी सिंह ने बताया कि ये चारों लोग मुमताज, फहीम, सिराजुद्दीन और सदाकत अली के कहने पर कमीशन लेकर काम करते थे। ये अभियुक्त विदेशी मुद्रा को नेपाल के बैंकों में जमा करवाते थे और खाता धारक को पांच फीसदी कमीशन देते थे। यहां नेपाली मुद्रा को भारतीय मुद्रा में बदलवा दिया जाता था। इस कार्य में अभियुक्तों के छह फीसद कमीशन मिलता था। अभियुक्तों ने बताया कि ये धन बरेली निवासी फईम और सदाकत को दिया जाता था और उनसे कमीशन ले लिया जाता था। फईम और सदाकत इस रकम को दिल्ली पहुंचाते थे।
पैसे ट्रांसफर करने में रखते थे एहतियात
पुलिस के मुताबिक मुमताज नेपाल में पिछले दस साल से रह रहा था। उसने वहां अपने दो साथी और बुला लिए। फहीम और सदाकत नाम के ये दो आरोपित केवल उस खाताधारक की तलाश किया करते थे जिनमें विदेशों से नेपाली बैंक खातों में रकम मंगाई जा सके। इसके लिए भी काफी एतियात बरता जाता था जैसे एक खाते में एक बार ही ट्रांजैक्शन हो, गैर मुस्लिम ही एकाउंट होल्डर और जितनी जल्दी हो सके उस रकम का विड्रॉल किया जाए। इससे पहले कोई पूछताछ हो वह रकम अपने महफूज ठिकाने यानि नेपाल के तमाम खुफिया रास्तों में से एक किसी रास्ते से होती हुई ये रकम तिकुनिया तक आ जाती थी। यहां से उसे भारतीय मुद्रा बनाकर दिल्ली में दहशतगर्दी के गुनहगारों तक पहुंचाई जाती थी। साथ ही नेपाल में मुमताज के साथी फहीम और सदाकत फर्नीचर बनाने व नाईगिरी का काम भी करते थे। जिससे उनके मंसूबों पर कोई शक न कर सके और और लोगों के बीच में आसानी से रह सकें।