Coronavirus: कोरोना के खौफ की तपिश पर गर्मी के ठंडे छींटे, अप्रैल में बढ़ा पारा
अप्रैल में बढ़ा तापमान चिलचिलाती धूप से बेचैन होने के बजाय लोगों ने महसूस की दिमागी ठंडक।
लखनऊ [रूमा सिन्हा]। अप्रैल महीने की पहली तारीख को 36.67 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुए तापमान ने बेशक धूप में चिलचिलाहट बढ़ाई, पर कोरोना के खौफ से परेशान लोगों को सूरज के तेवर ने दिमागी ठंडक का अहसास कराया। धारणागत ही सही, लोग मान रहे हैं कि पारा चढ़ने के साथ कोरोना के तेवर ढीले पड़ जाएंगे। वायरोलॉजिस्ट भी उम्मीद जता रहे हैं कि मौसम में तपिश बढ़ने के साथ कोराना वायरस का प्रसार घटने लगेगा।
अप्रैल की शुरुआत के साथ ही राजधानी सहित उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में तापमान बढ़ने लगा है। बुधवार को लखनऊ में तापमान 36.67 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। यह मंगलवार की अपेक्षा दो डिग्री ज्यादा रहा। यानी महज 24 घंटे में तापमान में दो डिग्री का इजाफा हो गया। यूं तो बढ़ता तापमान लोगों को परेशान करता है लेकिन इस बार तस्वीर कुछ अलग है कारण है कि देश कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है, वहीं वैज्ञानिकों का यह मानना कि बढ़ता तापमान कोरोना वायरस से के विरुद्ध जंग में मददगार साबित होगा, बड़ी राहत दे रहा है। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के जीन वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध लोगों को तसल्ली दे रहे हैं। दोनों वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध के अनुसार कोरोना वायरस बढ़ते तापमान में हताश होने लगता है। प्रयोगशाला में देखा गया कि तापमान शून्य से 23 डिग्री पहुंचने पर कोरोना वायरस की संख्या घटकर आधी रह गई। वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि वायरस के लिए शून्य से आठ डिग्री का तापमान वायरस के अस्तित्व के लिए आदर्श साबित होता है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रेडिशनल मेडिसिन के निदेशक प्रोफेसर देबप्रसाद चट्टोपाध्याय का भी मानना है कि अप्रैल-मई में जब तापमान में बढ़ोतरी हो जाएगी, कोरोना का असर काफी हद तक कम होने की उम्मीद है। मई में जब तापमान 45 डिग्री से ऊपर पहुंचता है और लू हलकान कर देती है, तब कोरोना के प्रसार पर ब्रेक लगने की उम्मीद है।
तापमान बढ़ने पर वायरस का सतह पर टिकना मुश्किल होगा
वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना के संक्रमण की बड़ी वजह किसी सतह पर संक्रमित व्यक्ति के ड्रॉपलेट गिरना और उससे स्वस्थ व्यक्ति का संक्रमित होना है। उम्मीद है कि बढ़ता तापमान गंगा के मैदानी क्षेत्रों में लोगों के लिए बड़ी राहत साबित होगा वजह यह है आसमान से जब अप्रैल-मई में आग बरसती है और तापमान 40 से 50 डिग्री के बीच पहुंच जाता है, तब किसी सतह पर वायरस का अधिक समय टिक पाना बहुत मुश्किल है। ऐसे में बढ़ता तापमान वायरस को हराने में मददगार साबित हो सकता है। वैज्ञानिकों की माने तो यह गर्मी हमारे लिए राहत की खबर लाएगी।
इस तरह बढ़ रहा तापमान
दिनांक-तापमान
1 अप्रैल-36.6 डिग्री
31 मार्च-34.4 डिग्री
30 मार्च-32.8 डिग्री
29 मार्च-32.4 डिग्री
28 मार्च-31.6 डिग्री
27 मार्च-24.9 डिग्री
(लखनऊ का अधिकतम तापमान)