World Telecommunication Day 2020: लॉकडाउन के सन्नाटे में जीवन का नोटिफिकेशन
World Telecommunication Day 2020 टेलीकम्युनिकेशन ने दी लॉकडाउन में लाइफ को स्पीड। स्मार्ट मोबाइल फोन से ऑनलाइन क्लासेज से लेकर बैंकिंग का सहारा
लखनऊ [निशांत यादव]। World Telecommunication Day 2020: कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन में ऑफिस बंद है। स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो पा रही। अस्पतालों में ओपीडी भी नहीं चल रही। इस सबके बीच दूरसंचार सेवाएं ही हैं, जो इस लॉकडाउन में लाइफ को स्पीड दे रही हैं। इससे हमारी काफी मुश्किलें आसानन हुई हैं। अब बेसिक फोन से लेकर स्मार्ट मोबाइल फोन का इस्तेमाल केवल बातें करने के लिए ही नहीं होता, इससे इंटरनेट के जरिए ऑनलाइन क्लासेज भी अटेंड की जा रहीं। बैंकिंग से लेकर खाना, यहां तक कि जीवन के लिए अब दूरसंचार साधनों का इस्तेमाल हो रहा है। पीजीआइ सहित कई बड़े अस्पतालों की ओपीडी बंद है, लेकिन टेली मेडिसिन के जरिए इलाज चल रहा है। वर्ल्ड टेली कम्युनिकेशन डे पर आइए हम बताते हैं कि कैसे हर चीज को करीब ले आया है दूरसंचार।
घर बन गया ऑफिस
लॉकडाउन के कारण 24 मार्च से 20 अप्रैल तक सारे आफिस पूरी तरह बंद थे। रेलवे, रक्षा मंत्रालय ही नहीं सभी सरकारी व निजी क्षेत्र के कार्यालयों के काम घर बैठे किए गए। आपस में जूम जैसे एप से कई लोगों को जोड़कर जरूरी मीटिंग की गई। घर से ही सोशल मीडिया पर आदेश बनाकर उनको जारी किया गया। जरूरी फाइलों का भी निस्तारण किया गया। हालांकि सरकार ने 20 अप्रैल के बाद कुछ दफतरों में अधिकतम 33 प्रतिशत कर्मचारियों की उपलब्धता की छूट जरूर दी। लेकिन अब भी दो तिहाई से अधिक कर्मचारी व अधिकारी वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं।
नहीं रूकी बैकिंग
हॉट स्पॉट इलाकों में बैंकिंग सेवाएं पूरी तरह बंद हैं। लोग शहर के अन्य हिस्सों के बैंक जाने से अब भी परहेज कर रहे हैं। शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए घ्ंटों लाइन में लगने की जगह इंटरनेट वाले स्मार्ट मोबाइल फोन पर नेट बैंकिंग के जरिए जरूरी बैंकिंग सेवाएं निपटायी जा रही हैं। लोग एक दूसरे के खातों में रुपया भी भेज रहे हैं। इतना ही नहीं अपने घर व कार सहित हर तरह की ईएमआइ, एसआइपी और बचत से जुड़े लेनदेन भी ऑनलाइन हो रहे हैं। बच्चों की स्कूलों की फीस भी ऑनलाइन स्मार्टफोन से जमा हो रही है।
घर पहुंच रहा जरूरी सामान
लॉकडाउन में टेलीकम्युनिकशन से लोगों को जीवन रक्षक दवाएं भी पहुंची। ऑनलाइन बुक की गई दवाएं बेंगलूरू सहित देश के कई शहरों से मंगायी गयी। इनकी डिलीवरी भी समय पर की गयी। इतना ही नहीं जिला प्रशासन ने होम डिलीवरी के लिए बड़े पैमाने पर दुकानों को जोड़ा। उनके हेल्पलाइन नंबर जारी किए। लोगों ने उन नंबरों पर संपर्क किया और घर के राशन से लेकर जरूरी सामान उनतक पहुंच सका। निजी कंपनियों से अब भी बड़े पैमाने पर राशन व जरूरी सामान की डिलीवरी हो रही है। सेना की सबसे बड़ी सूर्या कमान कैंटीन में जहां ऑनलाइन लोग अपना अपाइंटमेंट बुक कर ई-टोकन लेकर सामान खरीदने आ रहे हैं। वहीं सब एरिया कैंटीन के हेल्पलाइन नंबरों पर फोन किया जा रहा है।
ऑनलाइन क्लास
एक अप्रैल से शुरू हुए शैक्षिणक सत्र की स्कूलों में शुरूआत नहीं हो सकी है। ऐसे में स्कूलों ने बच्चों की पढ़ाई से हो रहे नुकसान को देखते हुए ऑनलाइन क्लास शुरू कर दी है। बच्चों को उनकी क्लास का टाइम टेबल बनाकर जारी किया गया है। जूम एप में हर क्लास के बच्चे जुड़कर वैकिल्पक दिनों में क्लास कर रहे हैं। जबकि कई स्कूलों ने तो अपनी क्लास और सेक्शन का वाट्सअप ग्रुप बना रखा है। इस वाट््सअप ग्रुप पर बच्चों को रोजाना असाइनमेंट मिलता है। कॉपी भी इसी ग्रुप पर रोल नंबर के हिसाब से चेक हो रही है।
वेबीनॉर
मेडिकल से लेकर आरडीएसओ जैसे रिसर्च ऑर्गनाइजेशन में वेबीनॉर के जरिए सेमिनार हो रहे हैं। आरडीएसओ ने तो पिछले दिनों अपने सिगनल के इंजीनियरों और कर्मचारियों को वेबीनॉर से ग्राउंड पर तकनीकी गड़बड़ी दूर करने के लिए जरूरी टिप्स भी दिए हैं। कई समारोह भी वेबीनॉर पर हो रहे हैं।
मिल रहा उपचार
पीजीआइ जैसे सुपर स्पेशलिस्ट अस्प्तालों में मरीजों के फाइल से उनका मोबाइल नंबर ढूंढकर डॉक्टर उनसे संपर्क कर रहे हैं। उनसे पिछली ओपीडी की दवाओं की जानकारी लेकर परामर्श दे रहे हैं। उत्तर रेलवे मंडल अस्प्ताल के वाट्सएप नंबर पर डॉक्टर वीडियो कॉल के जरिए मरीजों का इलाज कर रहे हैं। जबकि आरडीएसओ ने कर्मचारियों व उनके परिवार को तनावमुक्त करने के लिए मनोचिकित्सकों व विशेषज्ञों का पैनल बनाकर उनसे टेली कम्युनिकेशन के जरिए उपचार की सुविधा दे रहा है।
फिटनेस का भी ध्यान
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी अिश्वनी श्रीवास्तव इन दिनों घर पर ही योग करते हैं। योग की क्लास उनके कई मित्रों के साथ् मिलकर जूम एप से चलती है। गूरू दूसरी ओर से महत्वपूर्ण टिप्स देते हैं। जबकि दूसरी ओर वह उन टिप्स को देखकर जरूरी आसन करते हैं।
सुरक्षा का भी ध्यान
लखनऊ एयरपोर्ट पर टेली कम्युनिकेशन के जरिए जल्द ही याित्रयों के बोर्डिग् पास भी चेक होंगे। आइपी एड्रेस वाले सीसीटीवी से निगरानी अधिकारी अपने मोबाइल फोन पर करेंगे। जबकि बोर्डिंग पास और पहचान पत्र को डिजिटिल रिकॉर्ड रखा जाएगा। इतना ही नहीं अब कोरोना से बचाव और जरूरी जानकारी के लिए आरोग्य सेतु एप भी बड़ी संख्या में डाउनलोड हो गए हैं।
सफर भी करेगा आसान
रेलवे ने 12 मई से 15 जोड़ी ट्रेनों की शुरूआत की। आने वाले समय में रेलवे अपनी नियमित ट्रेनों को निरस्त करके उसकी जगह स्पेशल ट्रेन ही चलाएगा। जबकि रेलवे के रिजर्वेशन काउंटर बंद रहेंगे। रेलवे के टिकट केवल आइआरसीटीसी की वेबसाइट पर बुक होंगे। बीती 12 मई को ही 30 हजार टिकट बुक हो गए थे।
इतना बढ़ा डाटा
टेलीकम्युनिकेशन का अधिक इस्तेमाल होने के कारण इन दिनों इंटरनेट डाटा की खपत बढ़ी है। सभी टेलीकॉम आॅपरेटरों ने अपने पैक को या तो महंगा कर दिया है। या फिर उनकी वैद्यता और डाटा कम कर दिया है। ऑनलाइन क्लास के लिए औसतन इन दिनों दाे से तीन जीबी इंटरनेट डाटा की जरूरत होती है। सात गुना तक लखनऊ में इंटरनेट डाटा की मांग बढ़ी है।
इसलिए मनाते हैं टेलीकम्युनिकेशन डे
विश्व टेलीकम्युनिकेशन डे 17 मई 1969 से हर साल मनाया जाता है। दरअसल इसी दिन 17 मई 1865 को पेरिस में पहले इंटरनेशनल टेलीग्राफ के कनवेंशन में आइटीयू की स्थापना हुई थी। इंटरनेट जैसी टेलीकम्युनिकेशन के साधनों के विकसित हाेने पर विश्व समिट ऑन द इंफारमेशन सोसाइटी डब्ल्रूूएसआइएस ने सन 2005 में 17 मई को विश्व इंफारमेश्न सोसाइटी डे के रूप में भी इस दिवस को मनाने का निर्णय लिया। यूएन जनरल असेंबली ने मार्च 2006 में इस प्रस्ताव पर मुहर लगायी। तब से इसे विश्व टेलीकम्युनिकेश्न एंड इंफारमेशन सोसाइटी डे के रूप में भी मनाया जाने लगा।