एकेटीयू: भावी टेक्नोक्रेट्स पौराणिक ग्रंथों से पढ़ेंगे विज्ञान का पाठ
लखनऊ[आशीष त्रिवेदी]। तेन तज्जलमादत्त जरयत्यग्निमारूतौ। आहारपरिणामाच्च स्नेहो वृद्धिश्य जायते।। अर्था
लखनऊ[आशीष त्रिवेदी]। तेन तज्जलमादत्त जरयत्यग्निमारूतौ। आहारपरिणामाच्च स्नेहो वृद्धिश्य जायते।। अर्थात प्रकाश संश्लेषण वह क्रिया है जिसमें पौधे अपने हरे रंग की पत्तियों से सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में वायु से कार्बन डाई ऑक्साइड व भूमि से जल लेकर जटिल कार्बनिक खाद्य पदार्थो जैसे काबरेहाइड्रेट्स का निर्माण करते हैं और ऑक्सीजन गैस बाहर निकालते हैं। यह संस्कृत का श्लोक महाभारत के शाति पर्व अध्याय से लिया गया है, जिसमें प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को समझाया गया है।
इसी प्रकार के पौराणिक ग्रंथों में छिपे विज्ञान के इन रहस्यों से डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) विद्यार्थियों को रूबरू करवाएगा। इसका मकसद विद्यार्थियों को यह बताना है कि हम ज्ञान व विज्ञान में हमेशा आगे रहे हैं और इसके प्रमाण ये पौराणिक ग्रंथ हैं। जानकीपुरम में स्थित एकेटीयू के कैंपस में करीब 80 बोर्ड लगाए गए हैं और इन पर आगे-पीछे अर्थ सहित पौराणिक ग्रंथों में मौजूद संस्कृत के 160 श्लोक लिखे गए हैं। एकेटीयू के मीडिया इंचार्ज आशीष मिश्र कहते हैं कि आज के दौर में विद्यार्थी यह समझते हैं कि विज्ञान व तकनीकी के क्षेत्र में विदेश में ही ज्यादातर खोज हुईं, मगर भारत में तो सैकड़ों साल पहले लिखे गए पौराणिक ग्रंथों में जो संस्कृत के श्लोक हैं, वह इसके प्रमाण हैं कि हम विज्ञान में भी सबसे आगे रहे हैं क्योंकि तीन हजार ईसा पूर्व महाभारत के शाति पर्व में परासरण की क्रिया का भी जिक्र संस्कृत श्लोकों में मिलता है। परासरण दो भिन्न सान्द्रता वाले घोलों के बीच होने वाली एक विशेष प्रकार की विसरण क्रिया है। जो एक अर्धपारगम्य झिल्ली के द्वारा होती है। इसमें विलायक के अणु कम साद्रता वाले घोल से अधिक साद्रता वाले घोल की ओर गति करते हैं। यह एक भौतिक क्रिया है जिसमें घोलक के अणु बिना किसी वाह्य ऊर्जा के प्रयोग के अर्धपारगम्य झिल्ली से होकर गति करते हैं। विलेय के अणु गति नहीं करते क्योंकि वह दोनों घोलों को अलग करने वाली अर्धपारगम्य झिल्ली को पार नहीं कर पाते। परासरण में ऊर्जा मुक्त होती है जिससे बढ़ते हुए पेड़-पौधे की जड़ें चट्टानों को भी तोड़ देते हैं। इसी तरह यंत्रनवम् ग्रंथ में मशीन की परिभाषा दी गई है। कोई भी युक्ति जो ऊर्जा लेकर कुछ क्त्रिया करती है, उसे यंत्र या मशीन कहते हैं। सरल मशीन वह युक्ति है जो लगाए जाने वाले बल का परिमाण व दिशा बदल दे किन्तु स्वयं कोई ऊर्जा खपत न करे। फिलहाल सौर ऊर्जा व स्वर्ण के औषधीय गुणों आदि के बारे में जो श्लोक या सूक्तिया ग्रंथों में हैं उनके बोर्ड लगाए गए हैं।
इन वैज्ञानिक विषयों पर ग्रंथों से लिए गए हैं श्लोक
जिन वैज्ञानिक विषयों पर पौराणिक ग्रंथों से संस्कृत में लिखे श्लोक व सूक्तिया ली गई हैं उनमें शस्त्र विज्ञान, धातु विज्ञान, रसायन विज्ञान, इंजीनियरिंग, विमान शास्त्र, भौतिक विज्ञान, खगोल शास्त्र, चिकित्सा विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, कृषि इंजीनियरिंग व कंप्यूटर साइंस आदि शामिल हैं। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दिया था कुलपति को सुझाव
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम में कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक को सुझाव दिया था कि वह विद्यार्थियों को वेद-पुराणों में छिपे विज्ञान के रहस्य से रूबरू करवाएं। इसी के चलते यह विशेष बोर्ड एकेटीयू कैंपस में लगाए गए हैं। क्या कहते हैं एकेटीयू के कुलपति ?
- प्रति कुलपति एकेटीयू प्रो. कैलाश नारायण का कहना है कि विद्यार्थी विज्ञान के रहस्य को जब अपने पौराणिक ग्रंथों में पढ़ेंगे तो उन्हें फक्र का अनुभव होगा कि हम हमेशा अग्रणी रहे और वह नए इनोवेशन के लिए प्रेरित होंगे।
- एकेटीयू कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक कहते हैं कि भारत के पौराणिक ग्रंथों में विज्ञान के तमाम चमत्कार व रहस्य छिपे हुए हैं। विद्यार्थियों को बताएंगे कि हम विज्ञान में हमेशा आगे रहे हैं, जो टेक्नोलॉजी अब विकसित हो रही है, वह ग्रंथों में पहले से ही है।