चोरी और नशे की बात करने के बजाय अब तकनीक पर मंथन करेंगे बाल अपराधी
उप्र कौशल विकास योजना के तहत बाल अपराधियों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा। राजधानी समेत 10 जिलों के राजकीय संप्रेक्षण गृह में खुलेगा ट्रेनिंग सेंटर।
लखनऊ, (जितेंद्र उपाध्याय)। कभी कट्टा और चाकू हाथों में लिए अपराध को अंजाम देने वाले बाल अपराधियों के हाथ में अब कंप्यूटर का माउस और रिंच होगा। चोरी और नशे की बात करने के बजाय वे अब तकनीक पर मंथन करेंगे। यह संभव होगा, महिला एवं बाल कल्याण विभाग की ओर से खुलने वाले तकनीकी प्रशिक्षण केंद्र से। राजधानी सहित प्रदेश के 10 जिलों में स्थापित राजकीय संप्रेक्षण गृह (बालक) में निरुद्ध बाल अपराधियो को तकनीकी प्रशिक्षण देने के लिए ऐसे केंद्र खोलने की कवायद शुरू हो गई है।
राजधानी के मोहान रोड स्थित राजकीय संप्रेक्षण गृह (बालक) में भी इसे लेकर तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रही है। 131 बाल अपराधियों वाले इस संप्रेक्षण गृह में ट्रेनिंग के लिए अलग से भवन बनाने का कार्य अंतिम चरण में पहुंच गया है। उप्र कौशल विकास योजना के तहत मिलने वाले इस प्रशिक्षण के लिए बाजार में मांग के अनुरूप ट्रेडों का निर्धारण किया जाएगा। बाल अपराधियों को प्रशिक्षण देने वाली संस्था के कार्यवाहक निदेशक धीरेंद्र तिवारी ने बताया कि इलेक्ट्राॅनिक्स, प्लंबरिंग, मैकेनिक के साथ ही कंप्यूटर, रिटेल और डाटा इंट्री आपरेटर समेत कई ट्रेडों को लेकर मंथन चल रहा है। बाल अपराधियों की योग्यता और रुचि के अनुरूप ट्रेडों को चुना जाएगा।
इन जिलों में होगी शुरुआत
राजधानी समेत वाराणसी, इलाहाबाद, बरेली, कानपुर नगर, आगरा, मथुरा, गाजियाबाद, बरेली व गौतमबुद्ध नगर में प्रशिक्षण केंद्र खोलने का प्रस्ताव है। राजधानी के मोहान रोड स्थित संप्रेक्षण गृह में निर्माण कार्य अंतिम चरण में पहुंच चुका है। राजकीय संप्रेक्षण गृह (बालक) के अधीक्षक संजय सोनी ने बताया कि बाल अपराधियों के व्यवहार में बदलाव के लिए काउंसिलिंग के साथ ही शिक्षा की व्यवस्था रहती है। तकनीकी प्रशिक्षण देने के विभाग के निर्णय से बाल अपराधी हुनरमंद हो जाएंगे और संप्रेक्षण गृह से छूटने के बाद हुनर के साथ अपनी नई जिंदगी शुरू कर सकेंगे।