जल्द साफ होगा इंडो-नेपाल बार्डर पर सड़क निर्माण का रास्ता, बहराइच पहुंची वैज्ञानिकों की टीम
राज्य सरकार की महत्वपूर्ण परियोजनाओं में शामिल इंडो-नेपाल बार्डर रोड में शामिल लगभग 600 किलाेमीटर सड़क में से 40 किलोमीटर हिस्सा बहराइच जिले के कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार से गुजरता है। इस सड़क निर्माण में जंगल के साढ़े 26 सौ पेड़ काटे जाने हैं।
बहराइच, [मुकेश पांडेय]। कतर्निया जंगल के बीच भारत-नेपाल सीमा पर प्रस्तावित सड़क निर्माण की बाधाएं जल्द दूर होंगी। इंडो-नेपाल बार्डर पर सड़क निर्माण की चुनौतियों का अध्ययन करने के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के वैज्ञानिकों का दो सदस्यीय का दल कतर्निया जंगल पहुंचा। दल ने जंगल के मध्य से गुजरने वाली सड़क के चलते वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर कई स्थानों का जायजा लिया। इस मार्ग के निर्माण का मकसद सशस्त्र सीमा बल की सुरक्षा चौकियों को एक-दूसरे से जोड़ने के साथ ही आवागमन को सुगम बनाना है।
राज्य सरकार की महत्वपूर्ण परियोजनाओं में शामिल इंडो-नेपाल बार्डर रोड में शामिल लगभग 600 किलाेमीटर सड़क में से 40 किलोमीटर हिस्सा बहराइच जिले के कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार से गुजरता है। इस सड़क निर्माण में जंगल के साढ़े 26सौ पेड़ काटे जाने हैं। इसके साथ ही कई जगह अंडरग्राउंड एवं ओवर ब्रिज के निर्माण की जरूरतों पर वन विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा की। साढ़े पांच मीटर चौड़ी इस सड़क के निर्माण के लिए वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस वैज्ञानिकों की इसी टीम की रिपोर्ट पर निर्भर है। भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की दो सदस्यीय टीम की अगुवाई डॉ.अयान साधू कर रहे हैं। टीम ने प्रभागीय वनाधिकारी यशवंत के साथ पथराना, खाता कारीडोर, छेदिया कारीडोर के साथ ही नोमेंस लैंड के 67 नंबर पिलर से 82 के बीच (बर्दिया से रमपुरवा तक) का जायजा लिया। इसमें तालाब, नदी एवं नाला शामिल है।
गूगल अर्थ पर उपलब्ध नक्शे के साथ वन विभाग से जुड़ी जानकारियों से संबंधित केएमएल फाइल पर चर्चा की। यह टीम अपनी रिपोर्ट तैयार कर जल्द ही भारत सरकार को देगी। इसके बाद ही सड़क निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी। जानकारों के मुताबिक प्रदेश के सात जिलों सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत में अब तक 169 किलोमीटर सड़क का निर्माण पूरा हो चुका है। सड़क का निर्माण बदले हालात में सशस्त्र सीमा सुरक्षा बल की बार्डर आउट पोस्ट चौकी को एक-दूसरे से जोड़ने के साथ ही सीमावर्ती इलाके में आवागमन को बेहतर बनाने की दृष्टि से आवश्यक माना जा रहा है।