धोखाधड़ी के मामले में शिक्षक बर्खास्त, डाक विभाग में की थी हेराफेरी
बाराबंकी में न्यायालय के आदेश के बाद बीएसए ने किया बर्खास्त शिक्षा विभाग में कार्य करने से पूर्व डाकघर में की थी हेराफेरी।
बाराबंकी, जेएनएन। शिक्षा विभाग में कार्य करने से पहले डाकघर में हेराफेरी करने व धोखाधड़ी के मामले में शिक्षक को बर्खास्त कर दिया गया है। न्यायालय की ओर से दोषी करार देने के बाद बीएसए वीपी सिंह ने शिक्षक को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है।
हैदरगढ़ क्षेत्र के पूर्व माध्यमिक विद्यालय चकौरा में कार्यरत सहायक अध्यापक पदुम कुमार शिक्षा विभाग में आने से पूर्व डाक विभाग (लखनऊ) में पोस्टमैन के पद पर अस्थाई रूप से कार्यरत था। धोखाधड़ी के एक मामले में डाक विभाग की ओर से गाजीपुर थाना लखनऊ में अभियोग दर्ज कराया था। मुकदमे में कोर्ट के आदेश पर जेल में निरुद्ध होने के कारण शिक्षक को निलंबित किया गया था। इसके बाद अपील पर कोर्ट ने आदेश पर रिहा होने के बाद कोर्ट के फैसले के अधीन शिक्षक की विभाग ने सेवा बहाल कर दी थी। लेकिन, सत्र न्यायालय ने शिक्षक को दोषी करार देते हुए चार साल की सजा व 500 रुपये का जुर्माना किया था। साल 2006 में कोर्ट के फैसले के बाद अपील में पुनः पदुम कुमार की सजा को कोर्ट ने यथावत रखा। सत्र न्यायालय की ओर से पारित इस आदेश के खिलाफ पदुम कुमार ने हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की, जहां वर्ष 2018 में हाईकोर्ट ने शिक्षक को दोषी माना। आदेश के विरुद्ध शिक्षक ने 2020 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। 14 जनवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दोषी मानते हुए धारा 467 व 468 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दोषी करार देने के बाद बीएसए ने कर्मचारी नियमावली 1956 के विरुद्ध आचरण का दोषी मानते हुए शिक्षक पदुम कुमार को सेवा से बर्खास्त कर दिया।