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बीस दिन में बना दिया ऐसा रोबोट जो समझता है हाथों का इशारा

नॉर्थ-ईस्ट साइंस स्टूडेंट कॉन्क्लेव में जुटे आठ राज्यों के विज्ञान विद्यार्थी। पर्यावरण और ऊर्जा संरक्षण के संदेश संग नई सोच का समागम। प्लूटो हॉल में कॉन्क्लेव का आयोजन हुआ।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 08 Oct 2018 06:59 PM (IST)Updated: Tue, 09 Oct 2018 07:59 AM (IST)
बीस दिन में बना दिया ऐसा रोबोट जो समझता है हाथों का इशारा
बीस दिन में बना दिया ऐसा रोबोट जो समझता है हाथों का इशारा

लखनऊ ]दुर्गा शर्मा]। किताबी ज्ञान धरातल पर उतरा और एक से बढ़कर एक मॉडल तैयार हो गए। विद्यार्थियों की सोच और मेहनत को हर किसी ने सराहा। आज के इन विद्यार्थियों में कल के वैज्ञानिकों की झलक मिली। इनके प्रयास हर किसी की भलाई का संदेश दे रहे थे। मानवीय श्रम बचाने के साथ ही ये पर्यावरण और ऊर्जा संरक्षण के प्रति  भी संजीदा लगे। अनुपयोगी वस्तुओं को उपयोगी बनाने का हुनर भी खास रहा। प्लूटो हॉल में नॉर्थ-ईस्ट साइंस स्टूडेंट कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया। इसमें अरुणाचल प्रदेश, असोम, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और मिजोरम के 229 विद्यार्थियों ने विज्ञान की समझ को बखूबी सामने रखा।

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कक्षा 12 के छात्र थियाम मंडलाल ने रिमोट ऑपरेटेड रोबोट जॉन-170 बनाया। अनुपयोगी सामान पहियों, सिङ्क्षरज, तरल पदार्थ, स्पीकर फ्रेम, खराब मोबाइल फोन, रिचार्जेबल बैटरी, चार्जर, एलईडी बल्ब, फाइल कवर, रबर, डीवीडी ड्राइव, डीसी मोटर्स, कंट्रोल बोडर््स, वायर, शीट्स, एमरजेंसी लैंप और खिलौनों के कुछ अंश आदि से तैयार यह रोबोट आपके हाथ के इशारों पर वस्तुएं पकड़ता और छोड़ता भी है। थियाम ने बताया कि 20 दिन की मेहनत के बाद यह प्रोजेक्ट तैयार हुआ। ये भौतिकी के दाब संबंधी पास्कल सिद्धांत और इलेक्ट्रिकल एनर्जी के मैकेनिकल एनर्जी में बदलने के सिद्धांत पर काम करता है। 

खाना और गर्म पानी एक साथ

कक्षा दस के छात्र सतोष हेमाम ने चारकोल थर्मो हीटर तैयार किया है। इसमें खाना बनाने के साथ ही साथ पानी भी गर्म कर सकते हैं। साथ ही उपयोग के बाद बची राख को भी जमा कर सकते हैं। सतोष ने बताया कि 8 एमएम ऑयरन रॉड, प्लेन टिन शीट, वाटर टैप, चारकोल, गर्म करने का बर्तन और पानी को लेकर इसे तैयार किया।

पर्यावरण संरक्षण संग सेहत की फिक्र

कई पौधों का पर्यावरण संरक्षण में विशेष योगदान है। छात्रा वाइखोम सुनामीता चनू ने एक खास पौधे हायसिंथ के बारे में बताया। इसके साथ नॉर्थ ईस्ट में पाए जाने वाले अन्य पौधों के बारे में जानने को मिला। इनमें मंकी फ्रूट, नाइट फ्लावङ्क्षरग जैसमीन, ब्लैक पेपर, ड्रम स्टिक, इंडियन सोरल, हर्ट लीफ, ब्लैक नाइट शाड, शंक वाइन, स्पाउट लीफ प्लांट और एलीफेंट एप्पल के औषधीय इस्तेमाल के बारे में भी बताया।

बर्बाद न होने दें बारिश का पानी

मणिपुर की छात्रा नॉग्मैथेम ने वॉटर बॉडी कंजरवेशन एंड वेस्ट मैनेजमेंट पर मॉडल बनाया। प्लाईवुड, प्लास्टिक जार, फिल्टर पेपर, आइवी सेट पाइप, रबर पाइप, डीसी मोटर, मॉडल ऑफ फाउंटेन, 12 वोल्ट डीसी/ड्राई बैटरी, घास और पौधे आदि के प्रयोग से इसे तैयार किया। इस सेट-अप से बारिश का पानी पहले छोटे तालाब फिर फाउंटेन और फिर फिल्टर होकर किचन तक पहुंच जाएगा।

कम खर्च में सिंचाई

कक्षा नौ की छात्रा चिंगाखेम ने विंडमिल इरीगेशन मॉडल तैयार किया। आइरन फ्रेम, दो छोटे फ्रेम, प्लास्टिक के धागे और ब्लेड आइरन पाइप, मेटल स्क्रू, आइरन रॉड, पिस्टन, पाइप और लुब्रिकेटिंग ऑयल आदि से इसे तैयार किया। यह खासकर किसानों को सिंचाई में मददगार है।

खुद साफ करिए हवा

कक्षा नौ की छात्रा प्रीटी ने एयर प्यूरीफायर बनाया। एडॉप्टर, कार एयर फिल्टर, बॉक्स, ग्रिल और छोटा पंखा के इस्तेमाल से तैयार इस मॉडल के जरिए हवा को शुद्ध कर सकते हैं।

अखबार से तैयार कई सामान

कक्षा दस के छात्र विक्की सिन्हा ने अखबार से असोम की कई पारंपरिक चीजें बनाईं। इनमें खोराई (सम्मान में भेंट देने के लिए इस्तेमाल), जायी (टोपी), बान बाटी (जलपान के लिए प्रयोग), बान कही (बर्तन), पैन स्टैंड और फ्लावर पॉट आदि प्रदर्शित किए।


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