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नेपाली पीएम के बयान पर बोले स्वामी जीतेंद्रानंद, चीनी वामपंथ के शिकंजे में ओली; संबंध बिगाड़ने की साजिश

Nepali PM KP Sharma Oli Statement प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली को लेकर नेपाल के कम्युनिस्ट प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के बयान पर भारत में तीखी प्रतिक्रिया हो रही है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 12:32 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 12:42 PM (IST)
नेपाली पीएम के बयान पर बोले स्वामी जीतेंद्रानंद, चीनी वामपंथ के शिकंजे में ओली; संबंध बिगाड़ने की साजिश
नेपाली पीएम के बयान पर बोले स्वामी जीतेंद्रानंद, चीनी वामपंथ के शिकंजे में ओली; संबंध बिगाड़ने की साजिश

लखनऊ, जेएनएन। प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली को लेकर नेपाल के कम्युनिस्ट प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के बयान पर भारत में तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। संत समाज ने भी खासी नाराजगी जाहिर की है। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने इसे वामपंथी दलों और नेताओं का बौद्धिक आतंकवाद करार दिया है। उनका कहना है कि ओली चीनी वामपंथ के शिकंजे में हैं और भारत-नेपाल के संबंधों को तहस-नहस करने की साजिश की जा रही है।

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अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती का कहना है कि नेपाल के कम्युनिस्ट प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने तमाम मनगढ़ंत, मिथ्या व लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत करने वाली बातें कही हैं। इससे पहले भारत के तमाम वामपंथी, सेक्युलर, प्रगतिशील समूहों ने भी समय-समय पर हलफनामा, शोध, लेख आदि के माध्यम से ऐसा प्रयास किया है। बहुतों ने प्रभु श्रीराम को ही काल्पनिक घोषित किया था। एक मुस्लिम लेखक ने तो दावा किया था कि अयोध्या पाकिस्तान में है।

स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती का मानना है कि भारतीय संस्कृति के आधारभूत तत्व से साम्यवाद व वामपंथ का हमेशा 36 का आंकड़ा रहा है। 90 के दशक में जब श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति का आंदोलन चल रहा था। भारतीय वामपंथियों ने अयोध्या को मिथक सिद्ध करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी। 1993-94 में देश के तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह द्वारा अयोध्या में एक प्रदर्शनी लगाई गई थी, जिसमें भगवान श्रीराम को मां सीता का भाई बताया गया था। प्रचंड विरोध के कारण वामपंथियों को अयोध्या से अपनी दुकान समेटनी पड़ी थी।

स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस और वामपंथियों के समर्थन वाली सरकार ने कहा था कि रामसेतु का कोई अस्तित्व नहीं है। ओली का यह कथन कि भगवान राम नेपाली थे, इससे भारत का संत समाज इनकार नहीं करता है। जब विवाह नेपाल में हुआ तो आधे तो नेपाली थे ही। उनका ससुराल नेपाल में है। हां, इस बात के लिए ओली को धन्यवाद कि कम से कम उन्होंने भगवान राम के अस्तित्व को स्वीकार तो किया।

बता दें कि आजकल हर चाल चीन के इशारे पर चलने वाले नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारतीय सीमा में अतिक्रमण के दुस्साहस के बाद अब भारतीय आस्था को चुनौती दी है। ओली ने विवादित दावा किया है कि भगवान राम का जन्मस्थान अयोध्या नेपाल में है। उन्होंने यह भी दावा किया कि भगवान राम नेपाली थे। काठमांडु में पीएम आवास में सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम में ओली ने कहा, 'अयोध्या असल में नेपाल के बीरभूमि जिले के पश्चिम में स्थित थोरी शहर में है। भारत दावा करता है कि भगवान राम का जन्म वहां हुआ था। उसके इसी लगातार दावे के कारण हम मानने लगे हैं कि देवी सीता का विवाह भारत के राजकुमार राम से हुआ था। जबकि असलियत में अयोध्या बीरभूमि के पास स्थित एक गांव है।' भगवान राम पर बेतुके बयान के लिए नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली मजाक बन गए हैं। हर तरफ उनकी कड़ी आलोचना हो रही है।


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