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Ayodhya Case : सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी ने कहा- हमने नहीं छोड़ा दावा, न दिया हलफनामा

सुन्नी वकफ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी ने गुरुवार को दैनिक जागरण से कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बोर्ड ने अपील वापस लेने का कोई हलफनामा नहीं दिया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 03:52 PM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 08:18 AM (IST)
Ayodhya Case : सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी ने कहा- हमने नहीं छोड़ा दावा, न दिया हलफनामा
Ayodhya Case : सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी ने कहा- हमने नहीं छोड़ा दावा, न दिया हलफनामा

लखनऊ, जेएनएन। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मालिकाना हक के मुकदमे में सुन्नी वक्फ बोर्ड के अपना दावा छोड़ने की उड़ती खबरों को अध्यक्ष जुफर फारुकी ने खारिज किया है। उन्होंने इस तरह की खबर को अफवाह बताया है।

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सुन्नी वकफ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी ने गुरुवार को दैनिक जागरण से कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बोर्ड ने अपील वापस लेने का कोई हलफनामा नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि हमने मध्यस्थता पैनल को जरूर सेटेलमेंट का एक प्रपोजल दिया है। चूंकि सुप्रीम कोर्ट के 18 सितंबर के फैसले के तहत इसे कॉन्फिडेंशियल रखा जाना है। इसी कारण इसमें हमने क्या प्रपोजल दिया है यह नहीं बता सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा वह हमें मान्य होगा।

जुफर यह मानने को तैयार नहीं थे कि अंतिम दिन मध्यस्थता पैनल को समझौते का कोई प्रस्ताव दिया गया। उन्होंने कहा कि, 'आप कैसे कह सकते हैं कि अंतिम दिन प्रस्ताव दिया गया। ऐसी चर्चा है कि अयोध्या मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्यों को भी बोर्ड के बड़े फैसलों की कोई जानकारी नहीं होती। जुफर का जवाब था कि, 'वक्फ बोर्ड ने बहुमत से अयोध्या मसले पर सारी पावर मुझे (अध्यक्ष को) हस्तांतरित कर दी हैं। सुनवाई में पक्ष रखने से लेकर मध्यस्थता पैनल में समझौते के क्या बिंदु होंगे, इसे तय करने का अधिकार अध्यक्ष को दिया गया है। बोर्ड में दो सदस्य ऐसे हैं जो कभी किसी मीटिंग में नहीं आए, केवल उन्हें ही इस मसले पर एतराज है। बाकी सभी सदस्य एक साथ हैं। उन्होंने कहा कि, 'सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा वह हमें खुशी-खुशी मान्य होगा।

इससे पहले अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर अपना दावा छोड़ने संबंधी किसी तरह के नए हलफनामा देने से इंकार किया। उनका कहना है कि बोर्ड की ओर से कोई हलफनामा पेश नहीं किया गया है। कुछ लोग अफवाह फैला रहे हैं। 

ऑल इंडिया बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी (एआईबीएमएसी) के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा है कि उन्हें सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा अपील वापस लेने की कोई जानकारी नहीं है। वहीं अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बयान जारी कर दिया।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से सुलह-समझौता कमेटी में सदस्य नामित किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू को हलफनामा देकर सुन्नी सेंट्रल बोर्ड की ओर से दावा छोड़ने की बात सामने आई है, लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में ऐसा कुछ भी दायर नहीं हुआ है, यह अफवाह है। हम सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानेंगे।

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में बुधवार को खबर आई कि उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने मामले में दायर केस को वापस लेने का फैसला किया है। इस बाबत वक्फ बोर्ड ने मध्यस्थता पैनल के जरिये इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। बताया जा रहा है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने हलफनामा दाखिल करने से पहले अपने वकीलों से सलाह-मशविरा भी नहीं किया। हलफनामे में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह अपना केस वापस लेना चाहता। हलफनामा श्रीराम पंचू की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया।

इससे पहले अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि वह फारुखी को तत्काल प्रभाव से सुरक्षा दे। फारुखी ने जान को खतरे की आशंका जताई है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने पक्षकारों के समक्ष मध्यस्थता पैनल के सदस्य वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू की ओर से कोर्ट को ज्ञापन भेजे जाने की जानकारी दी। पीठ ने कहा कि इसमें कहा गया है कि यूपी सुन्नी सेंट्रल बोर्ड के अध्यक्ष जफर अहमद फारुखी ने पंचू को पत्र लिख कर जान को खतरे की आशंका जताई है।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड इस मामले में अहम पार्टी हैं ऐसे में वह उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश देते हैं कि फारुखी को तत्काल समुचित सुरक्षा उपलब्ध कराएं। तभी उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश एडीशनल एडवोकेट जनरल ऐश्वर्या भाटी और कमलेन्द्र मिश्र ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि आदेश का पालन होगा और फारुखी को समुचित सुरक्षा दी जाएगी।

इस सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से मामले में पेश हो रहे राजीव धवन ने कोर्ट से कहा कि फारुखी को खतरा उत्तर प्रदेश सरकार से ही होगा। रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने उनकी दलील का विरोध किया। जिस पर धवन ने कहा कि उन लोगों को भी जुफर फारुकी का पत्र मिला है जिसमें कुछ वकीलों को हटाने की बात कही गई है।  


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