कल से सूर्य होंगे दक्षिणायन...रातें बड़ी और दिन होंगे छोटे, जानिए क्यों महत्वपूर्ण है यह समय
देवताओं के एक दिन और रात को मिलाकर मनुष्य का एक वर्ष होता है। मनुष्यों का एक माह पितरों का एक दिन होता है। उत्तरायण उत्सव पर्व एवं त्योहार का समय होता है और दक्षिणायन व्रत साधना एवं ध्यान का समय रहता है।
लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। जुलाई के महीने में सूर्य का राशि परिवर्तन महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे कर्क संक्रांति कहा जाता है। 16 जुलाई को सूर्य कर्क राशि में आएंगे। यह संक्रांति इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सूर्य इस दिन से दक्षिणायन होंगे। इस दिन से दक्षिणायन की शुरुआत होती है। जो मकर संक्रांति तक चलती है। इसी के साथ कर्क राशि से लेकर छह राशियों कर्क, सिंह, कन्या, तुला वृश्चिक और धनु राशि की सूर्य की यात्रा की अवधि के मध्य पितरों का दिन और देवताओं की रात्रि शुरू हो जाएगी। पिता-पुत्र सूर्य और शनि कर्क और मकर राशि में एक दूसरे के आमने-सामने आ जाएंगे।
आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि सूर्य का गोचर कर्क राशि में 16 जुलाई को सांयकाल 5:13 बजे होगा और सूर्य कर्क राशि में 17 अगस्त तक रहेगा। कर्क संक्रांति से मानसून सक्रिय हो जाता है। कर्क संक्रांति के दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस दिन तुलसी के पत्र से भगवान विष्णु की पूजा करना श्रेष्ठ फलदायी माना गया है। इस दिन सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए। दान करना श्रेयस्कर होता है। ऐसा करने से जीवन में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं और सुख समृद्धि में वृद्धि होती है।
आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि दक्षिणायन के समय में रातें लंबी हो जाती हैं। दिन छोटे होने लगते हैं। देवताओं के एक दिन और रात को मिलाकर मनुष्य का एक वर्ष होता है। मनुष्यों का एक माह पितरों का एक दिन होता है। उत्तरायण उत्सव, पर्व एवं त्योहार का समय होता है और दक्षिणायन व्रत, साधना एवं ध्यान का समय रहता है। आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि उत्तरायण के दौरान तीन ऋतुएं होती है। शिशिर, वसंत और ग्रीष्म। दक्षिणायन के दौरान वर्षा, शरद और हेमंत। ये तीन ऋतुएं होती हैं। श्रावण मास में आने वाली संक्रांति में पूजा और दान का विशेष है।