Move to Jagran APP

यूपी के छोटे से गांव से न‍िकलकर संभाली भारतीय हॉकी टीम की कमान, यह है आरपी स‍िंह की कहानी

उत्तर प्रदेश के देवरिया के छोटे गांव चुरिया निवासी राम प्रकाश सिंह दस वर्ष की छोटी उम्र में गंडक नदी पार करके पढऩे जाते थे। हॉकी के साथ ही फुटबाल खेलने के शौकीन राम प्रकाश सिंह का खेलों के प्रति यह जुनून उनको गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कालेज ले आया।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 01:43 PM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 01:43 PM (IST)
यूपी के छोटे से गांव से न‍िकलकर संभाली भारतीय हॉकी टीम की कमान, यह है आरपी स‍िंह की कहानी
आरपी सिंह वर्तमान में उत्तर प्रदेश के खेल विभाग में निदेशक के पद पर कार्यरत हैं।

लखनऊ (राजीव वाजपेयी)। विश्व कप, एशियाई खेल तथा सौ से अधिक अंतरराष्ट्रीय हाकी मैच में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले राम प्रकाश (आरपी) सिंह हजारों लोगों में अलग ही नजर आते हैं। अपने लम्बे घुंघराले बाल के कारण अलग ही नजर आने वाले उत्तर प्रदेश के खेल निदेशक आरपी सिंह बचपन से ही काफी मेहनती थे। उत्तर प्रदेश तथा बिहार को जोडऩे वाले देवरिया के चुरिया गांव से शुरू इनका खेल का सफर लखनऊ होते हुए सौ से अधिक देशों तक पहुंचा। आरपी सिंह अब प्रदेश के खेल विभाग में शीर्ष पर तैनाती के दौरान खेल प्रतिभाओं को निखारने में लगे हैं। 

loksabha election banner

बिहार सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के देवरिया के छोटे गांव चुरिया निवासी राम प्रकाश सिंह दस वर्ष की छोटी उम्र में तैरकर गंडक नदी पार करके पढऩे जाते थे। हॉकी के साथ ही फुटबाल खेलने के शौकीन राम प्रकाश सिंह का खेलों के प्रति यह जुनून उनको लखनऊ के गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कालेज ले आया। फुटबॉल और हॉकी का शौक रखने वाले बच्चे का स्पोर्ट्स कालेज में भी दाखिला होता है। कहा जाता है कि पूत के पांव पालने में ही नजर आ जाते हैं। अभ्यास के दौरान उनकी चपलता को देखकर दिग्गज स्वर्गीय केडी सिंह 'बाबू' ने कोच राम औतार मिश्र से कहा कि इसे देखो। यह बच्चा आगे जाएगा। इस पर नजर रखो। महान खिलाड़ी और कोच की पारखी निगाहों में आने के बाद उस बच्चे के खेेेल में तेजी से सुधार आया और आगे चलकर वही बच्चा बड़ा होकर भारतीय हॉकी टीम का कप्तान बना। 

बात हो रही है डॉ रामप्रकाश सिंह की जिनको लोग प्यार से आरपी भाई कहते हैं। आरपी सिंह आजकल उत्तर प्रदेश के खेल विभाग में निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। प्रदेश की युवा प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने का काम बखूबी कर रहे हैं। आरपी सिंह ने भारत के लिए सौ से अधिक मैच खेले हैं। इनमें दो विश्व कप 1986 में लंदन और 1990 में लाहौर में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। आरपी ने तीन एशियाई खेलों में पदक विजेता टीम का हिस्सा रहे। 1982 में दिल्ली और 1990 में बीजिंग में रजत पदक हासिल किया। इसके अलावा 1986 में सियोल में कांस्य पदक टीम का हिस्सा थे। तेज गति से गेंद पर कब्जा करने वाले आरपी सिंह दुनिया के बेहतरीन राइटआउट थे। मोहम्मद शाहिद तथा जफर इकबाल के साथ आरपी सिंह का गजब का तालमेल था। इस तिकड़ी ने भारतीय हाकी टीम में रहने के दौरान बड़े उलटफेर भी किए। 

भारतीय हॉकी टीम की कप्तानी करने वाले आरपी सिंह को अब तक कई प्रतिष्ठति खेल पुरस्कार मिल चुुके हैं हाल ही में हॉकी इंडिया ने आरपी सिंह को हॉकी इंडिया के एक्जीक्यूटिव बोर्ड में शामिल किया। आरपी सिंह ने हॉकी के बेजोड़ खिलाड़ी तो रहे ही हैं वह फुटबाल में भी उत्तर प्रदेश की टीम का हिस्सा थे। हॉकी के इस सदाबहार खिलाड़ी का सफर कतई आसान नहीं था।

आरपी का गांव यूपी में बिहार राज्य की सीमा के बीच गंडक नदी बहती है, जो बारिश के दिनों में उफान पर होती है और आसपास के कई किलोमीटर तक पानी ही पानी भर जाता है। लोग घरों में कैद रहते हैं। मगर सैलाब और तमाम मुकिश्लेें भी आरपी के जुननू को कम नहीं कर पाए। बाढ़ के बावजूद आरपी बस्ते को सिर पर रखकर पानी में चलकर स्कूल जाते थे। खुद आरपी सिंह उन लम्हों को याद कर भावुक हो जाते हैं। पिता पुलिस में थे इसलिए घर में अनुशासन बहुत था। बस एक ही सपना था कि कुछ करना है। इसी सपने को पूरा करने के लिए आरपी सिंह तमाम चुनौतियों को किनारे करते हुए हॉकी की बुलदी पर पहुंचे। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.