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हौसले को सलाम : पैरों से लिख कर अपनी तकदीर बदल रहा तुषार

पोलियो की वजह से हाथ हुए खराब, लेकिन नहीं मानी हार। दूसरे बच्‍चों को पढ़ता देख तुषार ने भी चुनी शिक्षा की राह।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 07:33 PM (IST)Updated: Thu, 14 Feb 2019 08:52 AM (IST)
हौसले को सलाम : पैरों से लिख कर अपनी तकदीर बदल रहा तुषार
हौसले को सलाम : पैरों से लिख कर अपनी तकदीर बदल रहा तुषार

लखनऊ, (गुलाब सिंह राठौर)। राजेश विश्वकर्मा के बेटे तुषार के हाथ तो है लेकिन पोलियो की वजह से वह हाथ से लिख नहीं सकता। बचपन से ही अन्य बच्चों को देखकर स्कूल जाने की जिद करने लगा। उसकी जिद और जज्बे को देखकर माता पिता ने उसका दाखिला स्कूल में करवा दिया, जहां तुषार अन्य बच्चों को हाथ में पेंसिल पकड़े देखकर कुछ दिन परेशान रहा, लेकिन शिक्षकों के हौसला बांधने पर उसने पैरों से लिखना शुरू किया। धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाने लगी और हमेशा ही परीक्षा में अच्छे अंक लाकर अपने माता-पिता का नाम रोशन किया।

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सरोजिनी नगर के क्रिएटिव कान्वेंट स्कूल से दसवीं की पढ़ाई कर रहा तुषार बंथरा के लाला रामस्वरूप इंटर कॉलेज में मंगलवार को बोर्ड की परीक्षा देने पहुंचा। तुषार का हिंदी का पेपर था और उसे कमरा नंबर 21 में  बैठना था। केंद्र व्यवस्थापक व विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. डीके कौशल ने जब इस बच्चे को देखा तो उन्होंने उसकी सुविधा को देखते हुए परीक्षा देने के लिए कमरे के बाहर मेज लगवा दी, जहां तुषार ने बैठकर पेपर देना शुरू कर दिया। हाथों से दिव्यांग तुषार ने पैरों की अंगुलियों में पेन फंसाया और उत्तर पुस्तिका में लिखना शुरू कर दिया। उसे पैरों से लिखता देख विद्यालय में मौजूद हर कोई दंग था।

केंद्र व्यवस्थापक ने बताया कि इस बच्चे को इस तरह परीक्षा देते देख उनके यहां एक शिक्षक ने प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिका के पेज पलटने में मदद करने की कोशिश की तो उसने यह कहकर उन्हें रोक दिया कि वह यह काम खुद ही कर लेगा। परीक्षा दे रहे तुषार की लिखने की स्पीड भी कम नहीं थी और उसकी राइटिंग भी काफी अच्छी थी। केंद्र में मौजूद सभी लोग तुषार की इस मेहनत और लगन को देखकर यही कह रहे थे कि वह आगे  चलकर जरूर कामयाब होगा।

बच्चों के साथ अभिभावकों की भी परीक्षा 

भले ही स्कूलों में परीक्षा बच्चों की होती हो पर बहुत सारे अभिभावकों  को भी लाडलों के लिए एक परीक्षा ही देनी रहती है। एग्जाम को लेकर अभिभावकों के दिमाग पर अलग प्रेशर रहता है। वह यह की बच्चे की परीक्षा है और उसे केंद्र तक छोड़ने व पेपर छूटने के बाद वहां से वापस घर लाना है। इसके लिए अभिभावक भी बच्चे के साथ ही उठते हैं और उन्हें परीक्षा दिलाने के बाद वापस घर छोड़ने के बाद ही सुकून महसूस करते हैं।  इस बड़ी जिम्मेदारी को निभाने के लिए वह दूसरे काम बाद में निपटाने की सोचते हैं।  बच्चों के एग्जाम को लेकर अभिभावकों को चिंता के चलते ही उन्हें दिमागी और शारीरिक थकावट आना भी लाजमी है। मंगलवार को  बंथरा के लाला रामस्वरूप इंटर कॉलेज में अपने बच्चे को परीक्षा दिलाने आए एक अभिभावक केंद्र के बाहर ही अपनी मोटरसाइकिल पर ही आराम फरमाने लगे। मोटरसाइकिल पर लेट कर उनका इस तरह से आराम करना साफ कर रहा था कि वह काफी थके हुए हैं।  परीक्षा छूटने तक उन्हें यही ड्यूटी देनी है तो फिर क्यों न थोड़ा बहुत आराम ही कर लिया जाए।


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