लखनऊ की स्ट्रॉबेरी का अब लीजिए आनंद, अथक प्रयासों से लहलहा रही फसल; एक दिन में 30 से 35 किलो तैयार
Strawberry Farming in Lucknow लखनऊ के गोसाईगंज और मोहनलालगंज में हो रही स्ट्रॉबेरी की खेती। पुणे जलगांव व दिल्ली से बुकिंग मंगवाए जाते हैं पौधे। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में टिश्यू कल्चर की मदद से पौधे तैयार किए जा रहे हैं।
लखनऊ, जेएनएन। Strawberry Farming in Lucknow: अनाज की पारंपरिक खेती से अलग अब किसान व्यावसायिक खेती कर नित नई ऊंचाई छूने में जुटे हैं। वर्तमान में गोसाईगंज और मोहनलालगंज में किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर अपने जीवन में मिठास ला रहे हैं। यह उनके लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है।
दरअसल, गोसाईगंज इलाके में भी कुछ किसान स्ट्राबेरी की खेती कर रहे हैं। कासिमपुर बिरुहा के किसान आलोक ने एक बीघे में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रखी है। उन्होंने अपने ही खेत में पौधे उगाने का प्रयास किया, लेकिन कम पौध उग सके। वह कहते हैं कि अब फल निकलने लगे हैं। किसान इसे फल मंडी में लेकर जाते हैं। इसी गांव के रमेश ने भी तीन साल स्ट्रॉबेरी की खेती की है, लेकिन इस बार उन्होंने सब्जी बोयी है। रमेश बताते हैं कि स्ट्रॉबेरी की खेती से अच्छी आमदनी हो जाती है। इसकी फसल 15 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच लगाई जाती है। दिसंबर से फल निकलने लगते हैं। इसके पौधे पुणे, जलगांव व दिल्ली सहित अन्य शहरों से मंगवाए जाते हैं। इसके लिए पहले से बुकिंग करानी पड़ती है। शुरुआत में इसके दाम अधिक होते हैं, लेकिन उत्पादन बढऩे के साथ ही दाम घटने लगते हैं।
मोहनलालगंज के गोपालखेड़ा निवासी राजेश सिंह भंडारी कहते हैं कि पहले रबी और खरीफ की फसलों का उत्पादन किया जाता था, लेकिन पिछले साल उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती करने की ठानी। इस काम ने उन्हें उनके चचेरे भाई सिद्धार्थ शंकर सिंह का भी साथ मिला, जो यूके में एमबीए की पढ़ाई करने के बाद नौकरी कर रहे थे। उन्होंने वहां स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में सीखा। इसके बाद वह वापस लौट आए और दोनों ने मिलकर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की। वह अभी एक एकड़ में खेती कर रहे हैं। राजेश ने बताया कि वह बाराबंकी में जाकर स्ट्रॉबेरी के खेती कर रहे किसानों से मिले और खेती देखी। इसके बाद उन्होंने पुणे से पौधे मंगवाए। स्ट्रॉबेरी का उत्पादन शुरू हो गया है। एक दिन में 30 से 35 किलो तक स्ट्रॉबेरी तैयार हो रही है।
पौधों को उगाने में आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा: केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान निदेशक डॉ. शैलेंद्र राजन के मुताबिक, स्ट्रॉबेरी की खेती में संभावनाएं तो बहुत हैं, लेकिन जरूरी है कि हमें इसके पौधों को उगाने में आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा। अभी स्ट्रॉबेरी की पौध पुणे व हिमाचल प्रदेश से लाई जाती है। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में टिश्यू कल्चर की मदद से पौधे तैयार किए जा रहे हैं। 18,000 पौधे तैयार करके अनुसूचित जाति के किसानों को काकोरी व माल ब्लाक में खेती के लिए उपलब्ध कराए गए हैं। कोशिश यह है कि टिश्यू कल्चर की मदद से पौधे तैयार किए जाएं और व्यावसायिक खेती के लिए किसानों को उपलब्ध कराए जाएं।
उन्नतशील किसानों के हाथ स्ट्राबेरी की खेती: उद्यान एवं खाद्य एवं प्रसंस्करण के उप निदेशक वीरेंद्र यादव के मुताबिक, स्ट्राबेरी की खेती कुछ उन्नतशील किसान कर रहे हैं। इससे बाजार का विकास हो रहा है। सभी ब्लॉकों में एक से दो एकड़ की खेती किसान कर रहे है। बाजार बढ़ेगा तो किसानों को फायदा होगा। कुछ किसान मंडी में और कुछ सीधे दुकानदारों से संपर्क करके इसे बेच रहे है। कितने का बाजार है, इसका अभी कोई आंकड़ा नहीं है।
जानिए स्ट्रॉबेरी खाने के मुख्य फायदे
- बढ़ती है आंखों की रोशनी: स्ट्रॉबेरी खाने से आंखों की रोशनी भी बढ़ती है। इसमें स्ट्रॉबेरी में मौजूद एंजाइम आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी मददगार है। इसमें मौजूद फ्लेवेनॉइड्स और एंटी-ऑक्सीडेंट्स शरीर में मौजूद बुरे कोलेस्ट्रोल को नियंत्रण में रखता है।
- रूप भी निखारती है स्ट्रॉबेरी : स्ट्रॉबेरी में कई तरह के ऐसे मिनरल्स होते हैं, जो त्वचा की रंगत को निखारने में मददगार होते हैं। इसके अलावा ये काले होंठों को गुलाबी बनाने के लिए भी एक कारगर उपाय है। आप चाहें तो इसे स्क्रब की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।
- बढ़ाता है दांतों की चमक: इसमें मौजूद विटामिन सी दांतों की चमक बरकरार रखने के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। स्ट्रॉबेरी के इस्तेमाल से दांत नेचुरल तरीके से साफ हो जाते हैं और भी चमकदार हो जाते हैं। ऐसे में अगर आप भी अपनी दांत और त्वचा को चमकाना चाहते हैं तो स्ट्रॉबेरी का इस्तेमाल कर सकते हैं।