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किताबों के मेले का हर रंग अनूठा और अलबेला, पुस्तक प्रेमियों से गुलजार नवाबो का शहर

मोती महल में आयोजित 16वें राष्ट्रीय पुस्तक मेला का समापन। शहर के पुस्तक प्रेमियों ने खरीदीं 80 लाख की किताबें।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 08 Oct 2018 12:37 PM (IST)Updated: Mon, 08 Oct 2018 01:19 PM (IST)
किताबों के मेले का हर रंग अनूठा और अलबेला, पुस्तक प्रेमियों से गुलजार नवाबो का शहर
किताबों के मेले का हर रंग अनूठा और अलबेला, पुस्तक प्रेमियों से गुलजार नवाबो का शहर

लखनऊ[दुर्गा शर्मा]। साहित्य और संस्कृति का केंद्र अपना शहर पुस्तक प्रेमियों से गुलजार है। यह कोरी बात नहीं है। मोती महल में आयोजित 16वें राष्ट्रीय पुस्तक मेला में 80 लाख की किताबों की बिक्री इसका प्रमाण है। रविवार को समापन अवसर पर उमड़ी भीड़ किताबों के जादू को बयां कर रही थी। बच्चे, युवा और बुजुर्ग हर वर्ग अपने पसंद की किताबों के साथ था।

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कालजयी लेखकों के साथ-साथ नये लेखकों के कद्रदान भी कुछ कम नहीं थे। रुचि के विषय भी अलग-अलग रहे। पसंद की विविधता के बावजूद शहरवासियों के किताबें पढऩे की आदत का भाव संतोष देने वाला रहा। प्रतिभाओं को भी बेहतर मंच मिला। किताबों के मेले का हर रंग अलबेला रहा। 

किताबों ने 'ठग' लिया दिल
किताबों की कहानियां सिनेमाई फलक पर सजती आई हैं। साहित्य भंडार के स्टॉल प्रतिनिधि सूर्य बलि मिश्र ने बताया कि आमिर खान और अमिताभ बच्चन स्टारर 'ठग्स ऑफ हिंदोस्तान' ब्रिटिश राइटर मीडोज टेलर के नॉवेल 'कन्फेशंस ऑफ अ ठग' पर आधारित है। मूल उपन्यास का ङ्क्षहदी अनुवाद 'ठग अमीर अली की दास्तान' को खूब पसंद किया गया। ठगों की कूट भाषा रामासी की भी बिक्री अच्छी रही। साथ ही राही मासूम रजा की चुनिंदा कहानियों की 50 किताबों का सेट निकल गया। मंटो की बदनाम कहानियों का भी स्टॉक इस बार खत्म हुआ।

 कालजयी संग नये लेखक भी पसंद
राजपाल प्रकाशन के स्टॉल प्रतिनिधि अशोक ने बताया कि कालजयी लेखकों के साथ नये लेखकों के किताबों की बिक्री अच्छी रही। आचार्य चतुरसेन की 'सोना और खून किताब' का दस सेट का स्टॉक खत्म हुआ। वहीं रस्किन बॉन्ड की 'अंधेरे में एक चेहरा', असगर वजाहत की 'भीड़तंत्र' और अमृतलाल नागर की 'मानस का हंस' किताबें भी सारी बिक गईं। 1935 से लगातार छप रही हरिवंश राय 'बच्चन' की 'मधुशाला' हो या 1981 से लगातार प्रकाशित नरेंद्र कोहली की 'अभिज्ञान', साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत कमलेश्वर की 'कितने पाकिस्तान' हमेशा की तरह पुस्तक प्रेमियों के पसंद की सूची में शुमार रहीं। अशोक कुमार पांडेय की 'कश्मीरनामा' और प्रवीण कुमार की 'छबीला रंगबाज का शहर की भी बढिय़ा बिक्री रही।

 किताबें जो जवां थीं जवां रहीं
राजकमल प्रकाशन के स्टॉल प्रतिनिधि सुदेश शर्मा ने बताया कि क्लासिक किताबों की अच्छी बिक्री रही। श्री लाल शुक्ल की 'राग दरबारी', इस्मत चुगताई की 'लिहाफ' और फणीश्वरनाथ रेणु की 'मैला आंचल' की 50 किताबों का सेट बिक गया।

 ये लेखक रहे जुबान पर
आचार्य चतुरसेन, नरेंद्र कोहली, विष्णु प्रभाकर, कमलेश्वर, अमृतलाल नागर, विष्णु सखाराम खांडेकर, श्रीलाल शुक्ल, असगर वजाहत, प्रेमचंद, रवीन्द्रनाथ टैगोर, खुशवंत सिंह, आरके नारायण, हरिवंशराय बच्चन, मंटो, देवदत्त पटनायक, प्रतिभा राय, अमृता प्रीतम, इस्मत चुगताई आदि।

 हमें रहता पुस्तक मेले का इंतजार

  • त्रिवेणी नगर से आईं शिवांगी तीन हजार की किताबें खरीदीं। बोलीं, पुस्तक मेला में विविधता मिल जाती है।
  • महानगर निवासी दिव्या मिश्रा ने बताया कि दुकानों में ना मिलने वाली किताबें भी पुस्तक मेला में मिल जाती हैं। कीमत भी कम रहती है।
  • जानकीपुरम निवासी पंकज राय पत्नी निहारिका और भतीजे प्रांजल के साथ आए। 5000 रुपये की किताबें खरीदीं और बोले, हमें पुस्तक मेले का इंतजार रहता है।
  • अलीगंज निवासी सहेलियां मोनिका श्रीवास्तव और प्रियंका गर्ग अपने बच्चों के साथ आईं। बोलीं, पुस्तक मेला बच्चों को किताबों से जोडऩे का बेहतर विकल्प होते हैं। 
  • गोमती नगर निवासी कविता चौधरी पति प्रदीप कुमार और बच्चे नव्या और आद्रिक के साथ आईं। बोलीं, हमेशा आते हैं और खूब सारी किताबें खरीदकर जाते हैं।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के बीच सम्मान
महापौर संयुक्ता भाटिया, पूर्व महापौर दाऊजी गुप्ता और पूर्व मंत्री अशोक बाजपेयी आदि ने मुख्य सांस्कृतिक  मंच पर शतायु साहित्यकार पूर्व मंत्री स्वरूप कुमारी बख्शी को अंगवस्त्र, पौधा व स्मृति चिह्न देकर साहित्य आराधना सम्मान से अलंकृत किया। इस दौरान प्रमुख स्टालधारकों व सहयोगियों को भी सम्मानित किया गया। जादूगर राकेश की मनोरंजक प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। संयोजिका आस्था ढल ने बताया कि  50 से भी अधिक सांस्कृतिक व अन्य संस्थाओं के विविध कार्यक्रम हुए।

 गांधी बाल एवं युवा मंच पर ज्वाइन हैण्ड्स फाउंडेशन के सौजन्य व ज्योतिकिरन रतन के संयोजन में पिछले 10 दिन चली प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान पाने वाले ब्रह्मनीत, यशस्वी, वरदान, अदिति, अनन्त, ऐश्वर्या, पर्णिका, प्रसिद्ध राघव, वागीशा, चिन्मय, गोविन्द, अंकित, अनुवेषा, आंशी, अंकिता, अन्वेषा, अवंतिका, स्वरा, अदावन, मासूम, निर्मल्य, मोनिका आदि को प्रमाण पत्र व पुस्कार में पुस्तकें दी गईं। नृत्यांजलि कला एकेडमी के कलाकारों ने अर्चना पाण्डेय व साथियों के साथ भरतनाट्यम की प्रस्तुति दी। स्नेह वेलफेयर फाउण्डेशन का काव्य समारोह चला।

 अगले वर्ष नई योजना
पुस्तक मेला के संयोजक मनोज सिंह चंदेल ने कहा कि पुस्तक प्रेमियों के इस शहर ने कभी निराश नहीं किया।  अगले वर्ष सर्वश्रेष्ठ डिस्पले वाले तीन स्टॉलों केलिए पुरस्कार योजना शुरू करेंगे। 

स्वच्छता की सेवा का दिया संदेश
द शेड फाउंडेशन, सामाजिक शोध नेटवर्क संस्थान और वल्र्ड विजन इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में स्वच्छता ही सेवा है के तहत प्लास्टिक हटाओ जीवन बचाओ का संदेश दिया गया। फाउंडेशन की अध्यक्ष विनीता जौहरी, शालिनी श्रीवास्तव, अर्चना दीक्षित, विपुल दीक्षित, अविनाश, बृजेंद्र सिंह, देवानंद वाजपेयी और डेनियल स्टीव आदि मौजूद रहे।


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