सलाखों के पीछे आस्था की अलख जगा रहे ये 13 मुस्लिम बंदी, रखा नवरात्र का व्रत Ayodhya News
ताज मुहम्मद तुफैल सिरताज व फैजल सरीखे बंदी बने सौहार्द के वाहक।
अयोध्या [रविप्रकाश श्रीवास्तव]। मंडल कारागार की सलाखों के पीछे झांक कर देखिए सांप्रदायिक सौहार्द की बेजोड़ मिसाल दिखेगी। जेल में अपने गुनाहों की सजा काट रहे दोनों समुदायों के बंदी एक-दूसरे की आस्था का खुल कर सम्मान कर रहे हैं। नवरात्र के दिनों में जेल में सांप्रदायिक सौहार्द की महक फैल रही है। जेल में निरुद्ध 13 मुस्लिम बंदी भी नवरात्र में व्रत रख कर आस्था की नई मिसाल पेश कर रहे हैं।
कलश स्थापना के साथ सुबह और शाम पूजा-पाठ भी करते हैं। पहला और आखिरी नहीं बल्कि इन बंदियों ने पूरे नौ दिन का व्रत रखा है। पूजा-पाठ में कोई त्रुटि न रह जाए इसके लिए हिंदू बंदी मुस्लिम बंदियों का सहयोग करते हैं।
जेल प्रशासन भी हिंदू देवी देवताओं के प्रति मुस्लिम बंदियों की इस आस्था को लेकर हर्षित है। व्रत व पूजा में कोई कमी न रह जाए इसके लिए फलाहार से लेकर पूजन सामग्री की व्यवस्था जेल अधीक्षक बृजेश कुमार की ओर से की जा रही है। जेल में कुल 452 बंदियों ने नवरात्र का व्रत रखा है, जिसमें 13 मुस्लिम बंदी भी शामिल हैं।
बंदियों का कहना है कि एक-दूसरे की आस्था का सम्मान करना सभी की जिम्मेदारी है। जेल अधीक्षक का कहना है कि कई हिंदू बंदी ऐसे भी सामने आए हैं, जो रमजान में रोजा रखते हैं।
इन मुस्लिम बंदियों ने रखा व्रत
ताज मोहम्मद, तुफैल, उबेद, सिरताज, इरफान, रिजवान, जमशेद, इरशाद, अल्ताफ, लवेदी, टीपू, सदान व फैजल।
नवरात्र में गुनाह से दोषमुक्त हुआ फैजल
मुजफ्फरनगर जेल से ट्रांसफर होकर आए बंदी फैसल ने पहली बार नवरात्र का व्रत रखा है। उसकी कहानी काफी रोचक है। फैसल हत्या के मामले में बंद है। नवरात्र की शुरुआत में ही फैजल को न्यायालय ने दोष से मुक्त कर दिया। इसे मां दुर्गा की कृपा मानते हुए फैसल ने देवी व्रत रखा है। फैसल रोजा भी पूरी शिद्दत के साथ रखता है।