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सुनहरे सपनों में कुछ यूं भर रहे खुशियों के रंग, अपनी प्रतिभा से खुद को बना रहे आत्मनिर्भर Lucknow News

दिव्यांग कलाकार कैनवास पर दिखा रहे अपनी प्रतिभा के रंग युवा वर्ग को दे रहे आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sat, 28 Sep 2019 11:34 AM (IST)Updated: Sat, 28 Sep 2019 04:46 PM (IST)
सुनहरे सपनों में कुछ यूं भर रहे खुशियों के रंग, अपनी प्रतिभा से खुद को बना रहे आत्मनिर्भर Lucknow News
सुनहरे सपनों में कुछ यूं भर रहे खुशियों के रंग, अपनी प्रतिभा से खुद को बना रहे आत्मनिर्भर Lucknow News

लखनऊ [जुनैद अहमद]। कला की साधना हर किसी से नहीं हो सकती, लेकिन जिसने यह साधना कर ली उसका जीवन सफल हो गया। यह मानना है उन कलाकारों का जो तमाम चुनौतियों को पारकर अपने सपनों में रंग भरने की कोशिश कर रहे हैं। वह बोल नहीं सकते, लेकिन ईश्वर का गुणगान कर रहे हैं, वह सुन नहीं सकते, लेकिन वह बेजुबान की आवाज सुन लेते हैं। वह ठीक से चल नहीं पाते, लेकिन प्रतिभा में वह सबसे तेज दौड़ते हैं। राजधानी के कई ऐसे दिव्यांग हैं, जो चित्रकारी, स्केचिंग, टेक्सटाइल्स डिजाइनिंग करके अपनी प्रतिभा से युवा पीढ़ी को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दे रहे हैं।

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ऑयल पेंटिंग में माहिर

ऑयल पेंटिंग में माहिर योगेश सती डॉ. शकुंतला विवि में बीवीए तृतीय वर्ष के छात्र हैं। उन्होंने ललित कला अकादमी में आयोजित शिविर में ऑयल पेंटिंग करके सभी का दिल जीता। योगेश ठीक से बोल-सुन नहीं पाते हैं, लेकिन रंगों की बोली वह बाखूबी समझते हैं। वह उनकी चित्रकारी देखकर ललित कला अकादमी के सचिव यशवंत सिंह राठौर ने भी उनकी बहुत तारीफ की।

एक्रेलिक पेंटिंग करना पसंद

क्रिएटिव पेंटिंग में माहिर शरद यादव शकुंतला मिश्र राष्ट्रीय पुनर्वास विवि में मास्टर ऑफ विजुअल आर्ट के छात्र हैं। कार्यशाला में एक्रेलिक पेंटिंग करना सीखा, और कई कलाकृति तैयार की। पोलियो के शिकार शरद को बचपन से ही आर्ट का बहुत शौक था। गांधी जयंती पर अवध शिल्प ग्राम में लगी चित्रकला प्रदर्शनी में शरद की पेंटिंग को खूब सराहा गया। शरद ने बताया कि उन्हें क्राफ्ट में काम करना बहुत पसंद है। उन्होंने बताया कि हाईस्कूल, इंटरमीडिएट के छात्र उनके पास मॉडल बनवाने आते हैं, वह उनकी हेल्प करते उन्हें मॉडल बनाना सिखाता है। उन्होंने बताया कि वह आर्ट के टीचर बनना चाहते हैं। वह नेट और पीएचडी करने की इच्छा है।

वॉल पेंटिंग भी करती हैं

चित्रकूट के जगतगुरु रामभद्राचार्य विकलांग विवि से आईं प्रियंका एमएफए लास्ट ईयर की छात्र है। पिछले छह साल से वह पेंटिंग कर रही है। काफी कम समय में उन्होंने अपने सपनों में रंग भर दिए। प्रियंका ठीक से चल नहीं पाती, लेकिन चित्रकारी के प्रेम उन्हें कई शहरों की यात्र करने का हौसला देता है। उन्होंने बताया कि मैं अपने आप को किसी से कम नहीं समझती। मैं वह सब कर लेती हूं, जो अन्य सामान्य इंसान करते हैं।

स्केचिंग के माहिर शिवम

शकुंतला मिश्र राष्ट्रीय पुनर्वास विवि में बैचेलर ऑफ विजुअल आर्ट के छात्र शिवम गुप्ता को स्केचिंग करना बहुत पसंद है। किसी भी चीज की स्केचिंग वह बहुत ही आसानी से कर लेते हैं। ललित कला अकादमी में आयोजित कार्यशाला में सीखने के बाद उन्होंने अपनी चित्रकारी से सभी के चहेते बन गए हैं। शिल्पग्राम में उनकी कलाकृति को लोगों ने खूब सराहा। शिवम बोल और सुन नहीं पाता है, लेकिन ड्राइंग का बहुत शौक था।

क्या कहते हैं कला अकादमी सचिव? 

राज्य ललित कला अकादमी सचिव यशवंत सिंह राठौर कहते हैं कि दिव्यांगों के उत्साहवर्धन के लिए अकादमी द्वारा कई आयोजन किए जाते हैं, जिसमें चित्रकला शिविर, प्रतियोगिताएं और प्रदर्शनी शामिल हैं। चित्रकला सीखने के लिए दिव्यांगों की कार्यशाला भी होती है।


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