World sparrow day : दाना-पानी डालें..चली आएगी गौरैया
लखनऊ प्राणी उद्यान में गौरैया के बारे में लोगों को जानकारी देतीं डॉ. अमिता कनौजिया।
लखनऊ, जेएनएन। चीं-चीं, चूं-चूं करती चिड़िया, फुर्र-फुर्र उड़ जाती चिड़िया, फुदक-फुदक कर गाना गाती, रोज सवेरे हमें जगाती..हम सबने बचपन में यह कविता कंठस्थ की होगी। नतीजा यह कि आंगन से चिड़ियों की चहचहाहट ही गायब हो गई। रोज सवेरे गूंजने वाली गौरैया की चहचहाट को वापस लाने के लिए कोशिशें शुरू हुईं और लोगों का समर्थन मिला। शहर में कृत्रिम घोंसले लगाए गए। लोग छतों और चहारदीवारी पर दाना-पानी रखने लगे। कोशिशें रंग लाईं और रूठी गौरैया वापस लौटने लगी। अब जरूरत इस बात की है कि इन कोशिशों को जारी रखा जाए। इसीलिए हर वर्ष 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है।
लेकिन आधुनिक जीवनशैली में हम इस पाठ को भूल गए। नतीजा यह कि आंगन से चिड़ियों की चहचहाहट ही गायब हो गई। रोज सवेरे गूंजने वाली गौरैया की चहचहाट को वापस लाने के लिए कोशिशें शुरू हुईं और लोगों का समर्थन मिला। शहर में कृत्रिम घोंसले लगाए गए। लोग छतों और चहारदीवारी पर दाना-पानी रखने लगे। कोशिशें रंग लाईं और रूठी गौरैया वापस लौटने लगी। अब जरूरत इस बात की है कि इन कोशिशों को जारी रखा जाए। इसीलिए हर वर्ष 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट फॉर वाइल्ड लाइफ साइंसेस, बायोडाइवर्सिटी बोर्ड एवं नवाब वाजिद अली शाह जूलॉजिकल गार्डन द्वारा गौरैया दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। मंगलवार को चिड़ियाघर व लखनऊ विश्वविद्यालय गेट पर लोगों को लकड़ी के घोंसले, दाना-पानी डालने के लिए मिट्टी के बर्तन व पौधे वितरित किए गए।
डॉ. अमिता कनौजिया ने बताया कि कंक्रीट में बदलते शहरों में गौरैया के प्राकृतिक वासस्थल खत्म होते जा रहे हैं। न अब आंगन रहे और न ही रोशनदान। हरियाली भी सिमटती जा रही है। ऐसे में कृत्रिम घोंसले लगाकर गौरैया को आसरा देने की मुहिम बीते कई सालों से की जा रही है। इसका परिणाम भी काफी अच्छा रहा है। इन घोंसलों को चिड़िया ने अपना आशियाना बना लिया है। अब जरूरत इस बात की है कि गौरैया पार्क विकसित किए जाएं।
बांटे गए बीज, पौधे व मिट्टी के बर्तन: संस्था द्वारा लोगों को घोंसले, दाना, मिट्टी का बर्तन व पौधे वितरित किए गए। दरअसल चिड़ियों के संरक्षण के लिए दाना-पानी रखना जरूरी है इसलिए काकून, ज्वार, बाजरा भी दिया गया। हरियाली के लिए पौधे वितरित किए गए। यह तीनों ही चीजें गौरैया की चहचहाहट वापस लाने में मददगार साबित होंगी। इस मौके पर गौरैया व तितली प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसमें राजीव रावत द्वारा खींचे गए चित्र व पेंटिग्स को प्रदर्शित किया गया।
स्टैम्प लगवाकर खुश हुए लोग
जू व लविवि में लगाए गए गौरैया स्टॉल पर आने वालों के हाथ पर गौरैया स्टैम्प लगाए गए। स्टैम्प के जरिए यह संदेश दिया गया कि वह गौरैया संरक्षण का हर संभव प्रयास करेंगे। यही एक ऐसी चिड़िया है जो घरों में परिवारजनों के साथ रहती है। हमारे नजदीक तक आती है, अंडे देती है परिवार बढ़ाती है। यह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती और यही वजह है कि इसका कलरव घर में खुशियां लाता है।
आज करें गिनती
बुधवार को आप सब अपने घर, आंगन, छत व बगीचे में आने वाली गौरैया की सुबह छह से सात बजे के बीच गिनती कर मेल आइडी (kanaujia.amita@gmail.com) पर या मोबाइल (7054941555) पर जानकारी दे सकते हैं।