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Republic Day 2020: मन में देशभक्ति की हिलोरें सड़क पर तिरंगा जनसैलाब

Republic Day 2020 देश भक्ति के तराने गूंजेंगे और हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा होगी। सीएम एवं अन्य विशिष्ट जन की मौजूदगी में विधान भवन के सामने राज्यपाल परेड की सलामी लेंगी।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sun, 26 Jan 2020 09:31 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 09:31 AM (IST)
Republic Day 2020: मन में देशभक्ति की हिलोरें सड़क पर तिरंगा जनसैलाब
Republic Day 2020: मन में देशभक्ति की हिलोरें सड़क पर तिरंगा जनसैलाब

लखनऊ, जेएनएन। जन गण मन में देशभक्ति के सागर की हिलोरें शहर की सड़कों पर जनसैलाब में तब्दील हो जाएंगी। कुछ देर बाद तिरंगे से रंगा ऐसा गजब का नजारा जीवंत होगा, जो अरसे तक मन को गर्वित करने वाली स्मृतियों से गुदगुदाता रहेगा। शहरवासी कई दिनों से इस मौके का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। बहुत ही अद्भुत दृश्य होगा जब सेना के जवान गणतंत्र दिवस परेड की अगुआई करते हुए कदमताल करते आगे बढ़ेंगे। देश भक्ति के तराने गूंजेंगे और हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा होगी। सीएम एवं अन्य विशिष्ट जन की मौजूदगी में विधान भवन के सामने राज्यपाल परेड की सलामी लेंगी। चारबाग से लेकर केडी सिंह बाबू स्टेडियम तक इस भव्य परेड के इस्तकबाल के लिए हर हाथ में तिरंगा होगा।

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अपनी भव्यता के चलते चिर स्मृति बनने का माद्दा रखने वाली यह परेड एक छोटे प्रयास से इतनी भव्य हुई। एक समय यह परेड पोलो ग्राउंड तक ही सीमित थी। शहर के कुछ खास लोग इसे देखने वहां जाते थे। परेड को हर शहरवासी से जोड़ने के लिए ही उसे सड़क पर लाने की योजना बनाई गई, जो सार्थक रही। वर्ष 1979 में कुछ विभागों ने मिलकर सड़क पर परेड निकालने की तैयार की। वर्ष 1979 में पहली बार लखनऊ की सड़क पर गणतंत्र दिवस परेड आयोजित हुई। तब परेड को देखने के लिए भीड़ भी जुटने लगी थी। सूचना विभाग, शिक्षा विभाग, गृह विभाग और शहर के कुछ लोगों ने परेड में भाग लिया था। तत्कालीन डीएम योगेंद्र नारायण ने सड़क पर परेड निकालने में अग्रणी भूमिका निभाई थी। उस समय परेड को शोभा यात्र का नाम दिया गया था। पहली बार शोभा यात्र में देश की संस्कृति और गौरवशाली इतिहास की झलक दिखाई गई थी। बेगम हजरत महल पार्क से शुरू होकर शोभा यात्र हजरतगंज, विधानसभा मार्ग, बर्लिंग्टन चौराहे, भातखंडे संगीत महाविद्यालय से होते हुए फिर बेगम हजरत महल पार्क में आकर समाप्त होती थी। वर्ष 1979 में परेड निकालने का जिम्मा तत्कालीन डीएम के अलावा सूचना निदेशालय में तैनात रहे गीत व नाटक अधिकारी केसी चंद्रा व अपर नगर मजिस्ट्रेट नजमुल हसन जैदी ने संभाला थी। परेड में सेना, पुलिस, पीएसी, एनसीसी कैडे्टस शामिल हुए थे।

चचा जैदी का परेड से पुराना नाता

चचा जैदी यानी नजमुल हसन जैदी। पुराने शहर का दंगा हो या फिर गणतंत्र दिवस की परेड। लंबे समय तक मजिस्ट्रेट रहे चचा जैदी ने नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद परेड की कमान संभाली। लंबे समय तक जिम्मेदारी निभाने के बाद कुछ वर्ष 85 वर्ष की आयु में वह दुनिया से विदा हो गए थे, लेकिन परेड की तैयारियों के दौरान पुराने लोग आज भी उन्हें याद करना नहीं भूलते हैं।

सुरेश शुक्ला ने 40 साल आंखों देखा हाल सुनाया

परेड का वर्ष 1979 से आंखों देखा हाल सुनाने वाले सुरेश शुक्ला का कुछ दिन पहले ही इंतकाल हो गया था। वह 40 साल से परेड का आंखों देखा हाल बता रहे थे। पहली बार सड़क पर परेड का आंखों देखा हाल हजरतगंज सूचना केंद्र से ठाकुर प्रसाद सिंह, आकाशवाणी से हरवंश लाल जायसवाल और आनंद सिनेमा हाल से सुरेश शुक्ला ने सुनाया था।

तार ने मोड़ा था रास्ता

कैसरबाग और बीएन रोड की सड़क पर बिजली के तार काफी नीचे लटकते थे और इस कारण शोभा यात्राा को निकालने में परेशानी होने लगी थी। इसके बाद शोभा यात्र के रास्ते में बदलाव कर दिया गया था। फिर परेड बेगम हजरत महल पार्क से शुरू होकर परेड चारबाग रवींद्रालय तक जाने लगी थी। कुछ वर्ष पूर्व परेड का रूट बदल दिया गया और यह रवींद्रालय से चली और विधानसभा मार्ग होते हुए केडी सिंह स्टेडियम पर आकर खत्म होने लगी थी।

गणतंत्र दिवस पर राजधानी में बेहतर कार्य करने वाले 10 पुलिसकर्मियों को डीजीपी का प्रसंशा चिन्ह देकर सम्मानित किया जाएगा। एडीसीपी पश्चिम विकास चंद्र त्रिपाठी को प्लेटिनम, एसीपी हजरतगंज अभय कुमार मिश्र, एसीपी चौक डीपी तिवारी और एसीपी विभूतिखंड आइपी सिंह को प्रसंशा चिन्ह गोल्ड से नवाजा जाएगा। वहीं साइबर सेल में तैनात दारोगा राहुल सिंह राठौर, सिपाही अखिलेश व शरीफ को प्रसंशा चिन्ह देकर सम्मानित किया जाएगा। इसके अलावा पुलिस कमिश्नर के पीआरओ अभिषेक तिवारी व कृष्णानगर थाने में तैनात सुनील कुमार राय को प्रसंशा चिन्ह सिल्वर दिया जाएगा।

एडीसीपी पश्चिम ने पेश की थी मिशाल

सआदतगंज में 15 सितंबर 2019 को मासूम ब‘ची की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में पुलिस ने छह दिन के अंदर आरोपित के खिलाफ चार्जशीट लगाकर मिसाल पेश की थी। राजधानी का यह पहला केस था, जिसमें छह दिन के भीतर पुलिस ने विवेचना पूरी करके चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। एडीसीपी पश्चिम विकास चंद्र त्रिपाठी के पर्यवेक्षण में आरोपित और ब‘ची का डीएनए कराया गया था, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। 14 चश्मदीदों की गवाही, घटना के दौरान सीसी टीवी कैमरों में कैद आरोपित की फोटो और वीडियों, कॉल डिटेल रिकॉर्ड, ब्लड, स्पर्म समेत सभी साइंटिफिक रिपोर्ट आरोपित के खिलाफ मिले। इसके बाद कोर्ट ने भी आरोपित को सख्त सजा सुनाई थी।

नाइजीरियन और रोमानिया गिरोह से उठाया था पर्दा

एसीपी हजरतगंज अभय कुमार मिश्र व साइबर सेल के दारोगा राहुल राठौर, सिपाही अखिलेश व शरीफ खान को साइबर अपराधियों के गिरोह को पकड़ने में सफलता मिली थी। टीम ने दो विदेशी गिरोह का राजफाश किया था और कुछ समय तक ठगी की घटनाओं पर रोक भी लगी थी। यही नहीं राजधानी में हुए उपद्रव के पीछे पॉपुलर फ्रंड ऑफ इंडिया की भूमिका का राजफाश भी इसी टीम ने किया था। वहीं एसीपी चौक डीपी तिवारी को पुराने लखनऊ में हुए त्यौहारों को सकुशल संपन्न कराने और अपराधिक घटनाओं के अनावरण के लिए पुरस्कृत किया जाएगा। इसके अलावा एसीपी आइपी सिंह समेत अन्य पुलिसकर्मियों को उनके सराहनीय कार्य के लिए सम्मान दिया जा रहा है।


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