वायुसेना दिवस : शहर के इन जांबाजों ने छुड़ाए थे पाकिस्तान के छक्के Lucknow news
Indo Pak war तक वायुसेना ने दिखाया अपना शौर्य। साहसिक प्रदर्शन कर हासिल किए सर्वोच्च सम्मान।
लखनऊ, (निशांत यादव)। वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध से लेकर बालाकोट में एयर स्ट्राइक तक भारतीय वायुसेना के हौसलों ने दुश्मनों की कमर तोड़कर रख दी। लखनऊ से कुछ दूरी पर जब 24 अक्टूबर 2017 को वायुसेना के 16 लड़ाकू विमानों ने एक साथ टच लैंडिंग की तो भारत एशिया में ऐसा साहसिक प्रदर्शन करने वाला पहला देश बन गया। वहीं, मेमौरा वायुसेना स्टेशन में रडार लगते ही भारत विश्व के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया, जो एक जगह से सभी वायुसेना स्टेशनों से ऑपरेशन कर सकते हैं। मंगलवार को भारतीय वायुसेना के 87वें स्थापना दिवस पर ‘दैनिक जागरण’ ने एयरफोर्स की जांबाजी के पन्ने पलटे। हम शहर के उन जांबाजों के किस्से साझा कर रहे हैं, जिन्होंने दुश्मनों के छक्के छुड़ाए।
फ्लाइट लेफ्टिनेंट विनोद पाटनी
वर्ष 1965 के भारत पाक युद्ध में विनोद पाटनी को वीर चक्र मिला। खेमकरण में उन्होंने पाकिस्तानी सेना पर पांच बार हमला किया। दुश्मन के तीन टैंकों को उन्होंने नष्ट किया।
कीलर ब्रदर्स
पहली बार एंग्लो इंडियन दो भाइयों ने 1965 के युद्ध में एक साथ हिस्सा लिया। ट्रेवर कीलर और डेंजिल कीलर को 1965 के युद्ध में वीर चक्र मिला। जांबाज भाइयों ने एफ 86 सैबरजेट विमानों को हल्के भारतीय विमानों से मार गिराया।
फ्लाइट लेफ्टिनेंट विनय कपिला
19 सितंबर 1965 को विनय ने पाकिस्तान के चार सैबरजेट विमानों पर हमला किया। जमीन से करीब 2000 फीट की ऊंचाई पर पाकिस्तान की तोपों के बीच उसके विमानों को मार गिराया।
विंग कमांडर एचएस गिल (वीर चक्र मरणोपरांत)
वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में फाइटर स्क्वाड्रन को कमांड करते हुए विंग कमांडर गिल ने 11 और 12 दिसंबर को दो पाकिस्तानी लड़ाकू विमान एफ-104 को मार गिराया। पाकिस्तान में सिग्नल यूनिट को उड़ाकर वहां की संचार प्रणाली को ध्वस्त किया। इस दौरान एक हमले में वह वीर गति को प्राप्त हुए।
विंग कमांडर स्वरूप कृष्ण कौल
वर्ष 1971 के युद्ध में स्वरूप कृष्ण ने विमान से केवल 200 फीट की ऊंचाई से कोमिल्ला, सिलहट और सैदपुर से शत्रु क्षेत्रों के फोटो लेकर ढाका में पाकिस्तान के चार विमानों को मार गिराया। उनको इस पराक्रम के लिए महावीर चक्र मिला। वह बाद में एयर मार्शल भी बने।