दुनियाभर में अलग महत्व रखता है लखनऊ का मुहर्रम, हिन्दू भी करते हैं ताजियादारी
कर्बला के शहीदों का गम दो महीने आठ दिन तक चलेगा। गम के इन दिनों शिया समुदाय के लोग अपने घरों में अजाखाना सजाकर हजरत इमाम हुसैन अलेहिस्सलाम को आसुओं का पुरसा पेश करेंगे।
लखनऊ[मुहम्मद हैदर]। फलक पुकार रहा है हुसैन जिंदा हैं, जमीन की ये सदा है हुसैन जिंदा हैं। वकार-ए-खून शहीदान-ए-कर्बला की कसम, यजीद कत्ल हुआ और हुसैन जिंदा हैं.। पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन अलेहिस्सलाम को उनके 71 साथियों के साथ कर्बला के मैदान में क्रूर शासक यजीद की फौजों ने तीन दिन की भूख-प्यास की शिद्दत में कत्ल कर दिया था, जिसकी याद में हर साल मुहर्रम मनाया जाता है। अजादारी आतंकवाद के खिलाफ एक इंकलाब है।
आज पूरी दुनिया में इस माह-ए-गम को बड़ी ही शिद्दत से मनाया जाता है, लेकिन तहजीब के इस शहर में मुहर्रम मनाने तक तरीका कुछ अलग ही है। दुनिया में केवल लखनऊ ही एक ऐसी जगह है, जहा लोग सवा दो महीने अपने घरों में अजाखाना सजाकर इमाम का गम मनाते हैं। इसीलिए पूरी दुनिया में लखनऊ मरकज है। यहा पहली मुहर्रम को निकलने वाला शाही मोम की जरीह का ऐतिहासिक जुलूस हो या बहत्तर ताबूत। आमद-ए-काफिला-ए-हुसैनी का मंजर हो शाही महेंदी का जुलूस हो या फिर शाम-ए-गरीबा की मजलिस। मुहर्रम के सवा दो महीने होने वाले सभी आयोजन न सिर्फ ¨हदुस्तान, बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। नवाबी दौर से लेकर आजतक लखनऊ के मुहर्रम की सबसे खास बात यह रही है कि यहा न केवल शिया समुदाय के लोग, बल्कि सुन्नी व हिंदू समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में इमाम का गम मनाते हैं और ताजिया रखकर उनको अपने अंदाज में खिराज-ए-अकीदत पेश करते हैं। शाही मोम की जरीह का आज निकलेगा जुलूस:
पहली मुहर्रम बुधवार को बड़े इमामबाड़े से शाही जरीह का जुलूस निकाला जाएगा। शाम चार बजे इमामबाड़ा परिसर में मौलाना मुहम्मद अली हैदर मजलिस को खिताब करेंगे। इसके बाद जुलूस के निकलने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। पुराने शहर चौक के सुलतानुल मदारिस, सआदतगंज के रौजा-ए-काजमैन, हुसैनाबाद, दरगाह हजरत अब्बास व विक्टोरिया स्ट्रीट सहित कई जगह ताजिए की दुकानें सजी रहीं, जहा देर रात तक अजादारों की भीड़ जुटी रही।
दो महीने आठ दिन रहेगा गम:
कर्बला के शहीदों का गम दो महीने आठ दिन तक चलेगा। 29 जिलहिज्जा से शुरू होने वाला मुहर्रम आठ रबीउल अव्वल तक लगातार जारी रहेगा। गम के इन दिनों शिया समुदाय के लोग अपने घरों में अजाखाना सजाकर हजरत इमाम हुसैन अलेहिस्सलाम को आसुओं का पुरसा पेश करेंगे। सवा दो महीने तक न तो कोई खुशी का कार्य नहीं होगा न ही खुशरंग लिबास पहने जाएंगे। रसोई में कड़ाही तक नहीं चढ़ाई जाती। सुन्नी समुदाय के जलसे आज से:
सुन्नी समुदाय की ओर से मुहर्रम में होने वाले जलसों का दौर शुरू हो जाएगा। माल एवेंयू स्थित दरगाह दादा मिया में दस दिवसीय जलसा शौहदा-ए-कर्बला का आयोजन होगा। मीनाई एजुकेशनल वेलफेयर सोसाइटी की ओर से चौक स्थित दरगाह शाहमीना शाह में पाच दिवसीय जलसे होंगे। अकबरी गेट स्थित एक मिनारा मस्जिद व रकाबगंज स्थित शौकत अली के हाते में जलसे शुरू हो जाएंगे।