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विरासत दिवस : छतर मंजिल में दिखेगी नवाबी दौर की झलक

राजधानी की एतिहासिक इमारत छतर मंजिल मूसा बाग और दिलकुशा गार्डन को संवारा जाएगा साथ ही पर्यटकों के लिए खास इंतेजाम होंगे।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 05:51 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 08:29 AM (IST)
विरासत दिवस : छतर मंजिल में दिखेगी नवाबी दौर की झलक
विरासत दिवस : छतर मंजिल में दिखेगी नवाबी दौर की झलक

लखनऊ, जुनैद अहमद।  राजधानी में ऐतिहासिक इमारतों का जखीरा है। इस जखीरे को संभाल कर रखना न केवल पुरातत्व विभाग, बल्कि शहर के हर नागरिक का कर्तव्य है। नई पीढ़ी को शहर की विरासत से रूबरू कराने के लिए दैनिक जागरण ने विश्व विरासत दिवस के अवसर  पर इमारत नहीं, विरासत है...सीरीज चलाकर शहर की इमारतों के इतिहास के साथ उनकी मौजूदा स्थिति को उजागर किया। यही नहीं, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण व उप्र पुरातत्व निदेशालय से इन इमारतों को संवारने की योजनाओं के बारे में भी जानकारी ली। पुरातत्व विभाग की ओर से संवारे जा रहे छतर मंजिल में सिटी म्यूजियम बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है।

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ऐतिहासिक बड़े इमामबाड़े में स्थित बाउली चौकी की ध्वस्त हो चुकी तीनों छतों को फिर से बनाया जाएगा। जबकि, छतर मंजिल की इमारत का वह हिस्सा (भूमिगत तल) जो वर्षों से जमींदोज था, वहां 25 फीट खोदाई कर उसे संवारने का काम तेजी से चल रहा है। इसके बाद इमारत के बेसमेंट को दुरुस्त किया जाएगा। वर्ष 2017 में छतर मंजिल की एक दबी हुई मंजिल का वजूद सामने आया था।

इस मंजिल की दीवारें संवर रही हैं। गोमती की ओर से रिटेनिंग वॉल बनाई जा रही है। इसके साथ ही फर्श पर मिर्जापुर के मंगाए पत्थर लगाए जाएंगे। 

 

छतर मंजिल की इमारत को सिटी म्यूजियम के रूप में स्थापित किया जाएगा। इसमें लखनऊ के नवाबी दौर की झलक दिखाई देगी। पेंटिंग, कलाकृति के साथ डायरोमा के माध्यम से इतिहास को जीवंत करने का प्रयास किया जाएगा। अगले वर्ष तक इसका कार्य पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। सिटी म्यूजियम में जाने के लिए टिकट भी लगाया जाएगा। पुरातत्व विभाग इसे संचालित करेगा। दिलकुशा कोठी को भी संवारने का काम किया जाएगा। कैफेटेरिया व शौचालय के निर्माण कार्य चल रहा है। इस कोठी को संवरने के बाद टिकट लगाया जा सकता है।

वहीं मूसाबाग पैलेस को संवारने का काम भी इस साल शुरू हो जाएगा। 2005 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने मूसाबाग पैलेस को संवारने की कवायद शुरूकी थी। जिसमें मिट्टी के टीले में तब्दील मूसाबाग पैलेस को वजूद में लाया गया था।

क्या कहते हैं जिम्मेदार ?

  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की अधीक्षक इंदू प्रकाश ने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से बाउली, मूसाबाग, दिलकुशा कोठी समेत कई अन्य इमारतों को संरक्षित किया जाएगा। इसे मूल स्वरूप में लाना हमारी प्राथमिकता है।
  • वहीं, पुरातत्व विभाग के निदेशक आनंद कुमार ने कहा कि राज्य पुरातत्व विभाग ने विलास कोठी, गुलस्ताने इरम, लाल बारादरी, आलमबाग गेट को संरक्षित किया है। छतर मंजिल को संवारने का काम चल रहा है। इसमें सिटी म्यूजियम भी बनाया जाएगा। 

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