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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा- भाजपा राज में देश में बढ़ रही आर्थिक और सामाजिक गैरबराबरी

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने यह चेतावनी दी थी कि संविधान के प्रयोग में नीति और नीयत की भी अहम भूमिका होगी। ऐसे में यह आवश्यक है कि सत्ता के शीर्ष में बैठे लोगों की लोकतंत्र में अटूट निष्ठा होनी चाहिए।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 07:09 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 07:09 PM (IST)
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा- भाजपा राज में देश में बढ़ रही आर्थिक और सामाजिक गैरबराबरी
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान केवल कुछ पन्नों की पोथी नहीं है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान केवल कुछ पन्नों की पोथी नहीं है। आज की संक्रमण कालीन राजनीति में समाजवाद के रास्ते से ही समता-संपन्नता को प्राप्त किया जा सकता है। पंथनिरपेक्षता की अवहेलना हमें लोकतंत्र की मूलभावना से भटकाने वाली है। लोकतंत्र सहिष्णुता से चलता है किंतु भाजपा समाज में कटुता और वैमनस्यता बो रही है। 

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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने यह चेतावनी दी थी कि संविधान के प्रयोग में नीति और नीयत की भी अहम भूमिका होगी। ऐसे में यह आवश्यक है कि सत्ता के शीर्ष में बैठे लोगों की लोकतंत्र में अटूट निष्ठा होनी चाहिए। लोकतंत्र लोकलाज से चलता है, यह बात भुलाई नहीं जा सकती।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान उद्देशिका में जिस सामाजिक न्याय, राष्ट्रीय एकता एवं विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का जिक्र है उन सबकी भाजपा राज में अनदेखी हो रही है। समाजवादी पार्टी यह मांग उठाती रही है कि जाति आधारित जनगणना हो ताकि हर समाज को संख्या बल पर सानुपातिक प्रतिनिधित्व हासिल हो सके। भाजपा इसके विरोध में है क्योंकि वह आरक्षण समाप्त करना चाहती है। डॉ. लोहिया ने पिछड़ी जातियों के उत्थान के लिए विशेष अवसर का सिद्धांत दिया था, भाजपा उसे लागू करना नहीं चाहती है।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि कैसी विडंबना है कि आजादी के 73 वर्षों बाद भी संविधान के मूल उद्देश्यों के विपरीत आर्थिक-सामाजिक गैरबराबरी बढ़ती जा रही है। कुछ चंद घरानों में देश की पूंजी बंधक बन गई है। गरीब-अमीर के बीच की खाई बढ़ती जा रही है। अन्नदाता किसान बदहाल है, नौजवान के सामने भविष्य का अंधेरा है, और जनसामान्य महंगाई, भ्रष्टाचार और अपराधों की बढ़त से व्याकुल है। 


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