कोर्ट की मंजूरी बगैर नहीं कर सकेंगे सोसाइटी की संपत्ति ट्रांसफर, योगी सरकार ने बदले कई नियम
UP Cabinet Decision योगी कैबिनेट ने सोसाइटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1860 में संशोधनों को मंजूरी दी है। सोसाइटी के सदस्यों के चयन की प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए अब साधारण सभा की सूची में कोई भी बदलाव शासी निकाय के अनुमोदन के बाद ही कानूनी तौर पर मान्य होगा।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में अब सोसाइटी की अचल संपत्तियों को अवैध तरीके से बेचने, किराये पर देने, बंधक रखने या उसका पट्टा करने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा। वजह यह है कि ऐसा करने के लिए के लिए संबंधित सिविल न्यायालय की पूर्व अनुमति जरूरी होगी। मंडलों में तैनात उप/सहायक निबंधक के निर्णयों के खिलाफ मंडलायुक्त के समक्ष अब अपील की जा सकेगी, जिससे अब हाई कोर्ट में याचिका दायर करने की मजबूरी नहीं होगी। इन बदलावों के लिए सोमवार को कैबिनेट ने सोसाइटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1860 में संशोधनों को मंजूरी दी है।
सोसाइटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम में वर्ष 1979 में धारा-5(ए) जोड़ी गई थी, जिसमें प्राविधान था कि बिना सक्षम न्यायालय की पूर्व अनुमति के सोसाइटी की अचल संपत्तियों के ट्रांसफर को गैर कानूनी घोषित कर दिया जाए। यह धारा वर्ष 2009 में समाप्त कर दी गई थी। इससे सोसाइटी की अचल संपत्तियों का अवैध ट्रांसफर तेजी से होने लगा। इसे रोकने के लिए योगी सरकार ने इस धारा को फिर बहाल करने का फैसला किया है।
सोसाइटी के सदस्यों के चयन की प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए यह भी परिवर्तन किया गया है कि साधारण सभा की सूची में कोई भी बदलाव शासी निकाय के अनुमोदन के बाद ही कानूनी तौर पर मान्य होगा। यह भी व्यवस्था की गई है कि सदस्यता सूची के निर्धारण से असंतुष्ट होने पर संबंधित मंडलायुक्त के समक्ष अपील की जा सकेगी। इसके लिए धारा-4 व 4(ख) में संशोधन किया गया है।
धारा-3(2) में संशोधन के जरिये अधिनियम में यह भी व्यवस्था की गई है कि किसी सोसाइटी का नवीनीकरण करने से यदि उप/सहायक निबंधक मना करता है या किये गए नवीनीकरण से किसी को आपत्ति है तो इसके खिलाफ संबंधित मंडलायुक्त के समक्ष 30 दिन के अंदर अपील दाखिल की जा सकेगी।
धारा-16 में यह प्रविधान जोड़ा गया है कि यदि कोई ऐसा अपराध करता है कि जिसमें दो वर्ष या इससे अधिक सजा का प्राविधान है तो ऐसा व्यक्ति सोसाइटी में पदधारण नहीं कर पाएगा। धारा-25(1) में संशोधन कर यह व्यवस्था की गई है कि सोसाइटी में चुनाव संबंधी विवाद का एसडीएम द्वारा किये गए निर्धारण के खिलाफ मंडलायुक्त के समक्ष अपील की जा सकेगी।
बनेगी 1000 करोड़ की गारंटी मोचन निधि : केंद्रीय वित्त आयोग और भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक की सिफारिशों के क्रम में कैबिनेट ने भारतीय रिजर्व बैंक की प्रतिदर्श योजना के तहत गारंटी मोचन निधि की स्थापना को मंजूरी दे दी है। इसके तहत राज्य सरकार की ओर से अगले वित्तीय वर्ष में 1000 करोड़ रुपये का फंड रिजर्व बैंक के पास रखना प्रस्तावित है। गौरतलब है कि सार्वजनिक उपक्रमों को बैंकों, वित्तीय संस्थानों से दिये जाने वाले लोन के लिए सरकार की ओर से दी जाने वाली गारंटी की अधिकतम पांच प्रतिशत राशि इस योजना के तहत आरबीआइ के साथ फंड के तौर पर रखने का प्रावधान है। फंड की स्थापना से राज्य सरकार को रिजर्व बैंक की ओर से ज्यादा वेज एंड मीन्स एडवांस मिल सकेगा।
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