स्मार्ट मीटर की स्मार्टनेस सिर्फ बिजली विभाग के लिए उपभोक्ताओं के लिए बनी गले की हड्डी
लखनऊ में स्मार्ट मीटर का बिजली महकमे के दृष्टिकोण से फायदे और उपभोक्ताओं का हाथ खाली।
लखनऊ, जेएनएन। स्मार्ट मीटर जब से उपभोक्ताओं के घर में लगना शुरू हुआ है, तब से मुसीबत बना हुआ है। कारण स्मार्ट मीटर का कंट्रोल (बिजली कनेक्शन काटने व जोड़ने के अलावा) स्थानीय अभियंताओं के हाथ में नहीं है। ऐसे में लौट फेरकर उपभोक्ता के लिए गले ही हड्डी बन गया है। क्योंकि स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के दृष्टिकोण से फायदेमंद नहीं है, बिजली महकमे के दृष्टिकोण से इसमें फायदे ही फायदे हैं। जैसे उपभोक्ता के घर बिना जाए बकाए पर कनेक्शन काटना, बैठे बैठे सर्वर रूम से मीटर रीडिंग ले लेना। सोलर रूफ टॉप लगवाने वाले उपभोक्ताओं के यहां नेट मीटर की कोई आवश्यकता नहीं, एक ही स्मार्ट मीटर से काम हो जाना। इसके अलावा उपभोक्ता अपने निर्धारित लोड से अगर थोड़ा भी ज्यादा इस्तेमाल करता है तो लाइट का ट्रिप हो जाना। उपभोक्ताओं के दृष्टिकोण से इनमें कोई फायदा नहीं है। क्योंकि उपभोक्ता को बिजली पहले भी मिल रही थी और अभी भी, स्मार्ट मीटर लगने से बिजली का जाना कम तो हुआ नहीं।
एक निजी एजेंसी को पूरे प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने का जिम्मा सवा साल पहले सौंपा गया था। स्मार्ट मीटर लगने शुरू हुए तो उपभोक्ताओं के यहां महीनों बिल नहीं आए, क्योंकि नए मीटर की डिटेल बिजली विभाग के कंप्यूटरों में फीड नहीं की गई? हजारों उपभोक्ता इससे परेशान हुए, जिन खंडों में यह मीटर लगे हैं, वहां अभी तक समस्याओं से रू ब रू उपभोक्ता हो रहे हैं।
एसडीओ के हाथ में कनेक्शन काटना
पहले बिजली कनेक्शन बकाए पर कटता था तो लाइनमैन सीढ़ी लेकर जाता था और पोल से केबल को हटा देता था, अब एसडीओ व जेई को मिली आइडी से बैठे बैठे कनेक्शन कट जाता है। फिर उपभोक्ता से कनेक्शन कटने पर एक निर्धारित शुल्क जमा कराया जाता कनेक्शन जोड़ने के लिए। इसका विरोध उपभोक्ता परिषद कर रहा है कि स्मार्ट मीटर वाले उपभोक्ताओं से यह शुल्क न लिया जाए।
स्मार्ट मीटर को लेकर कोई दिक्कत नहीं है। सब स्मूथ चल रहा है। फीडिंग भी किसी उपभोक्ता की बची नहीं है।
प्रदीप कक्कड़, मुख्य अभियंता ट्रांस गोमती।