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लघु व सीमांत किसानों को योगी सरकार का दीपावली उपहार, अब इनके उत्पादों का भी होगा निर्यात

उत्तर प्रदेश के लघु व सीमांत किसानों को सरकार ने दीपावली का बड़ा उपहार दिया है। अब लघु व सीमांत किसान कम से कम 50 हेक्टेयर कृषि भूमि पर क्लस्टर बना सकेंगे। उनके उत्पादों का निर्यात होगा ताकि उन्हें बेहतर मूल्य मिल सके।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 12:56 AM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 12:56 AM (IST)
लघु व सीमांत किसानों को योगी सरकार का दीपावली उपहार, अब इनके उत्पादों का भी होगा निर्यात
उत्तर प्रदेश के लघु व सीमांत किसानों को सरकार ने दीपावली का बड़ा उपहार दिया है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश के लघु व सीमांत किसानों को योगी सरकार ने दीपावली का बड़ा उपहार दिया है। अब लघु व सीमांत किसान कम से कम 50 हेक्टेयर कृषि भूमि पर क्लस्टर बना सकेंगे। उनके उत्पादों का निर्यात होगा, ताकि उन्हें बेहतर मूल्य मिल सके। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में शुक्रवार को कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात नीति-2019 में संशोधन किए जाने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। इसी के साथ छोटे किसानों को लाभ मिलने का रास्ता साफ हो गया है।

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सरकार कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ाकर किसानों को बेहतर मूल्य दिलाना चाहती है। इसीलिए किसानों के हित में कृषि उत्पादों के निर्यात को सरल व सुगम बनाने के लिए नीति में कई संशोधन किये गये हैं। असल में, उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात नीति-2019 में निर्यात क्लस्टर्स के लिए तय न्यूनतम 50 हेक्टेयर की कृषि भूमि की उपलब्धता में यह शर्त थी कि 20-20 हेक्टेयर भूमि आपस में जुड़ी हो। इस वजह से निर्यात के लिए बनने वाले किसान क्लस्टर में परेशानी हो रही थी।

उत्तर प्रदेश में अब तक कोई क्लस्टर नहीं बनाया जा सका है, क्योंकि सूबे में अधिकांश किसान लघु व सीमांत हैं। इतना ही नहीं नीति से सरकार पर बड़े किसानों व कारपोरेट को प्रोत्साहित करने का आरोप भी लग रहा था। कैबिनेट ने 20-20 हेक्टेयर की आपस में जुड़े होने की शर्त को समाप्त कर दिया है। अब विकासखंड में न्यूनतम 50 हेक्टेयर की कृषि भूमि होने का प्रविधान किया गया है। इससे किसान समूहों को कृषि निर्यात नीति-2019 के तहत क्लस्टर आधारित प्रोत्साहन लाभ सुलभ आसानी से मिल सकेंगे।

सुविधाओं के लिए राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति होगी गठित : नीति में क्लस्टर्स के निकट स्थापित की जाने वाली नवीन प्रसंस्करण इकाइयों के लिए निर्यात आधारित प्रोत्साहन धनराशि दिए जाने, परिवहन अनुदान दिए जाने और क्लस्टर सूची में संशोधन की प्रक्रिया को सरल करते हुए भुगतान समय से किया जाना है। इसका जिम्मा अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, कृषि विपणन व कृषि विदेश व्यापार विभाग उप्र शासन की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति को सौंपा गया है। समिति के सदस्य सचिव निदेशक, कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार उप्र व अन्य सदस्य शासन की ओर से नामित अधिकारी होंगे।

परिवहन अनुदान अब दोगुना : प्रदेश की लैंड लाक स्थिति को देखते हुए निर्यात के लिए परिवहन अनुदान पांच रुपये से बढ़ाकर दस रुपये प्रति किलोग्राम पोर्ट तक उत्पाद पहुंचाने के मार्ग व्यय सहित किया गया है। इसमें रेल मार्ग को जोड़ा गया है। इससे प्रदेश से निर्यात के लिए पोर्ट तक रेल/सड़क मार्ग से उत्पाद पहुंचाने पर होने वाले व्यय की भी आंशिक मदद हो सकेगी।

मंडी शुल्क व यूजेज चार्जेज में मिलेगी छूट : उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मंडी (द्वितीय संशोधन) अधिनियम 2020 के अनुसार प्रदेश में उत्पादित व प्रसंस्कृत कृषि उपज पर मंडी शुल्क/विकास सेस के साथ-साथ यूजेज से छूट भी मिलेगी। इससे निर्यात को प्रोत्साहित किया जा सकेगा तथा प्रक्रिया के सरलीकरण के लिए निर्यात दायित्व तय किये जाने की प्रक्रिया का निर्धारण समय-समय पर शासन की ओर से किये जाने की व्यवस्था की गयी है।

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