रामनगरी की तर्ज पर रोशन होगी लक्ष्मणनगरी, देव दीपावली पर जलेंगे छह लाख दीये Lucknow News
12 नवंबर को देव दीपावली पर छह लाख दीयों को जलाने की तैयारी मनकामेश्वर उपवन घाट पर होगा भव्य आयोजन।
लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। दीपावली पर रामनगरी अयोध्या में सरयू के किनारे हुए दीपोत्सव के बाद अब लक्ष्मणनगरी में देव दीपावली यानी कार्तिक पूर्णिमा पर दीपोत्सव होगा। 12 नवंबर को मनकामेश्वर उपवन घाट पर होने वाले आयोजन में आदि गंगा गोमती की आरती के साथ छह लाख दीपक जलाए जाएंगे। इसी दिन ने कार्तिक पूर्णिमा (गंगा स्नान) से ऐतिहासिक कतकी मेले की भी शुरुआत होगी। नमोस्तुते मां गोमती से गुंजायमान वातावरण के बीच आदि गंगा गोमती के किनारे तीन लाख दीपक मनकामेश्वर मंदिर की ओर से और तीन लाख दीपक स्कूली बच्चों और अभिभावकों की ओर से जलाए जाएंगे। स्कूलों में दीपकों के वितरण का कार्य मंगलवार से शुरू होगा।
एक व्यक्ति को 100 दीपक जलाने की जिम्मेदारी दी गई है। तीन हजार लोग दीप प्रज्वलन में भागीदारी करेंगे। 11 नवंबर से दीपकों को उपवन घाट में स्थापित करने का कार्य शुरू हो जाएगा। तीन लाख घी के दीपक मंदिर प्रशासन की ओर से जलाए जाएंगे और तीन लाख दीपक स्कूली बच्चों और उनके अभिभावकों की ओर से जलाए जाएंगे। महाआरती के दौरान स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प भी दिलाया जाएगा।
मनकामेश्वर मंदिर में पुराने दीयों को रंगने के साथ जलाने के लिए घी भरने का काम करतीं महिलाएं ’ जागरण
मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि ने बताया कि
देव दीपावली के बारे में आने वाली पीढ़ी को बताने का प्रयास इस दीपोत्सव से किया जाएगा। पिछले वर्ष से अधिक दीपक जलाए जाएंगे। इस बार स्कूली बच्चों और अभिभावकों को शामिल किया जा रहा है। उन्हें निश्शुल्क दीपक और बाती दी जा रही है। बस वह तेल या घी लेकर आएं और दीपक जला सकते हैं। एक छात्र को 25 दीपक दिए जाएंगे। तीन लाख घी के दीपक मंदिर प्रशासन और तीन लाख स्कूली बच्चे व अभिभावक जलाएंगे। वे सुविधानुसार घी या तेल से दीपक जला सकते हैं। दीपोत्सव से रिकॉर्ड बनाने की कोई मंशा नहीं है।
इतिहासकार डॉ.योगेश प्रवीन ने बताया कि राजधानी में गोमती के तट पर ऐतिहासिक कतिकी मेले की भी शुरुआत इस दिन से होती है। सूरज कुंड की तर्ज पर लगने वाले इस नवाबी काल के मेले में पहले मवेशी भी मिलते थे। मिट्टी के काले बर्तन, सिलबट्टा और पत्थर के बने घरेलू सामान इसी मेले में मिलते हैं। नवाबों की रानियां वर्ष में एक बार खरीदारी के लिए इसी मेले में निकलती थीं। कहने को यह गंगा स्नान का हंिदूुओं का मेला है,लेकिन इस मेले का हंिदूुओं के साथ मुस्लिमों को ज्यादा इंतजार रहता है।
इसलिए मनाई जाती है देव दीपावली
जिस प्रकार दीपावली पर आम लोग मां लक्ष्मी के स्वागत में घरों में दीपक जलाते हैं उसी तरह देव दीपावली के दिन देवता दीपक जलाते हैं। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि वरदान पाकर तीनों लोकों पर त्रिपुरासुर ने कब्जा कर लिया था। आम लोगों के साथ वह देवताओं को भी परेशान करता था। परेशान देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की और फिर भगवान शिव ने उसके साथ युद्ध किया। भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर का वध किया था। इस दिन आम लोगों के साथ ही देवताओं ने भी स्वर्ग में दीपक जलाए थे। इसलिए इस दिन को देव दीपावली के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान कर दानपुण्य करने से विशेष फल मिलता है।
दीपावली के दीपक का किया जाएगा उपयोग
दीपावली के दिन घर में दीपक जलाने के बाद उसे फेंकने के बजाय मंदिर प्रशासन की ओर से दीपक देने की अपील की गई थी। इस एकत्रित दीपक को गेरुए से रंग कर शुद्ध करके फिर से जलाया जाएगा। मंदिर की ओर से 25 दीपकों के पैकेट बनाकर स्कूलों में दिए जा रहे हैं। बच्चों से अभिभावकों के साथ उपवन घाट में आने की अपील भी की जा रही है। पांच से 11 नवंबर तक स्कूलों में निश्शुल्क वितरण होगा। दीपक से वंचित लोग मंदिर से दीपक ले सकते हैं।
कुड़िया घाट पर जलेंगे 5110 दीपक
कार्तिक पूर्णिमा के दिन कुड़िया घाट पर आदि गंगा गोमती की महाआरती की जाएगी। श्री शुभ संस्कार समिति की ओर से होने वाली आरती के 5110 दीपक जलाए जाएंगे। समिति के महामंत्री ऋद्धि किशोर गौड़ ने बताया कि समिति के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत पांडेय के संयोजन में होने वाले 14वें दीपोत्सव में समाजसेवी और व्यापारी भी शामिल होंगे। दीपोत्सव से पहले घाट पर तहरी भोज का आयोजन होगा। झूलेलाल घाट पर भजनों के बीच सनातन महासभा की ओर से आदि गंगा गोमती की आरती की जाएगी। डॉ.प्रवीण के संयोजन में होने वाली आरती में कई समाजसेवी हिस्सा लेंगे।