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Weather News: 25 वर्ष में मध्य भारत में छह और यूपी में 20 फीसद कम वर्षा, जान‍िए क्‍या है मानसून का गणित

उप्र में जून से मई तक की अवधि में सामान्य वर्षा का 947.4 मिमी मानक है। उप्र में मानसूनी बारिश का आदर्श मानक जून से सितंबर के बीच 829.8 मिमी है। बीते चार वर्ष के दौरान उप्र की मानसूनी बारिश में 10 से 30 फीसद तक की कमी रही।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 17 Jun 2021 11:18 AM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 03:16 PM (IST)
Weather News: 25 वर्ष में मध्य भारत में छह और यूपी में 20 फीसद कम वर्षा, जान‍िए क्‍या है मानसून का गणित
बदलते मौसम से हर साल दो तिहाई जिलों में दर्ज हो रही बारिश की कमी।

लखनऊ, [रूमा सिन्हा]। ग्लोबल वार्मिंग के कारण देश में मानसून का मिजाज गड़बड़ा रहा है। बीते 25 वर्ष में मध्य भारत में छह, तो यूपी में 20 फीसद कम मानसूनी वर्षा के आंकड़े यही बता रहे हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों और असेसमेंट आफ क्लाइमेट चेंज ओवर इंडियन रीजन की रिपोर्ट के मुताबिक, 1991 से 2015 के मध्य भारतीय क्षेत्र में जहां सामान्य वर्षा के मुकाबले छह फीसद की गिरावट दर्ज हुई है। वहीं, उत्तर प्रदेश में इस अवधि में यह गिरावट 15 से 23 फीसद रिकार्ड की गई है। यह गिरावट लगातार 2020 तक दर्ज की गई है। खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों में वर्षा में निरंतर अप्रत्याशित गिरावट देखी जा रही है।

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विगत वर्षों के आंकड़ों को देखें तो प्रदेश के लगभग दो तिहाई जिले हर साल बारिश की कमी से प्रभावित रहते हैं। कृषि विभाग के निदेशक सांख्यिकी राजेश कुमार गुप्ता कहते हैं कि वर्षा में तो कमी आ ही रही है, लेकिन इसके साथ ही इसके पैटर्न में भी काफी बदलाव देखा जा रहा है। इसे देखते हुए वर्षा आधारित योजनाओं में व्यापक बदलाव करने की आवश्यकता है।

प्री-मानसून और पोस्ट मानसून में भी उलटफेर

सिर्फ मानसून ही नहीं, प्री-मानसून और पोस्ट-मानसून में भी बड़ी उलटफेर दिखी है। बीते 25 वर्ष के बीच मार्च से मई की प्री-मानसून अवधि में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा सूबे में सामान्य वर्षा का न्यूनतम आंकड़ा 32.6 मिमी रिकार्ड हुआ था, लेकिन चक्रवाती तूफानों और पश्चिमी विक्षोभ के चलते बीते दो वर्षों में इस अवधि में नौ गुना अधिक 275 से 289 मिमी बारिश रिकार्ड हुई है। उधर, बीते वर्षों में पोस्ट मानसून अवधि अक्टूबर से दिसंबर के मध्य भी सामान्य वर्षा 47.5 मिमी के मुकाबले बारिश के स्तर में अधिकतर गिरावट ही दर्ज हो रही है। मौसम विज्ञानी मानसून के इस उलटफेर को क्लामेट शिफ्टिंग बता रहे हैं। इस साल सप्ताह भर पहले ही पूर्वी उत्तर प्रदेश में मानसून की दस्तक के पीछे भी यही वजह है।


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