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सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा- सामाजिक समरसता की जड़ें मजबूत करें स्वयंसेवक

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि आम जन तक यह संदेश पहुंचाना होगा कि मंदिर जलाशयों आदि पर सभी जातियों का समान अधिकार है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 10:42 PM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2020 01:24 AM (IST)
सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा- सामाजिक समरसता की जड़ें मजबूत करें स्वयंसेवक
सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा- सामाजिक समरसता की जड़ें मजबूत करें स्वयंसेवक

लखनऊ, जेएनएन। सामाजिक समरसता की जड़ें मजबूत करने के लिए सभी स्वयंसेवकों को निकलना होगा। आम जन तक यह संदेश पहुंचाना होगा कि मंदिर, जलाशयों आदि पर सभी जातियों का समान अधिकार है। सोमवार को यह आह्वान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत ने किया। अवध प्रांत प्रवास के दूसरे दिन उन्होंने कुटुंब एकता, गौ सेवा, ग्राम विकास, पर्यावरण, धर्म जागरण व सामाजिक सद्भाव गतिविधियों से जुड़े कार्यकर्ताओं व प्रमुख पदाधिकारियों से तीन सत्रों में संपन्न बैठकों में संवाद किया।

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राम मंदिर निर्माण कार्य आरंभ होने के बाद से जातिवादी ताकतों के सक्रिय होने पर संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत द्वारा सामाजिक समरसता पर जोर दिए जाने को अहम माना जा रहा है। समाज में बिखराव लाने के कुचक्रों को रोकने के लिए उन्होंने कहा कि कोई भी ऐसी जाति नहीं है जिसमें श्रेष्ठ महान व देशभक्त लोगों ने जन्म नहीं लिया हो। महापुरुष केवल अपने कार्यों से ही महान बनते हैं। उनको इसी भाव से देखा जाना चाहिए। चहुंमुखी विकास के लिए ये भाव बनाए रखना बहुत आवश्यक है। 

भारतीय संस्कृति में परिवार की विस्तृत परिकल्पना : सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत ने परिवारिक बिखराव पर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि कुटुंब संरचना प्रकृति प्रदत्त है इसलिए इसको सुरक्षित रखना और संरक्षण देना हमारा दायित्व है। परिवार कोई असेंबल इकाई नहीं है। भारतीय संस्कृति में परिवार की विस्तृत परिकल्पना है। इसमें केवल पति-पत्नी और बच्चे ही शामिल नहीं हैं वरन दादा-दादी, बुआ, चाचा-चाची भी प्राचीन काल से परिवार को अभिन्न हिस्सा माने जाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों में इसी संस्कार के विकास से परिवार के साथ सामाजिक एकता भी मजबूत होगी।

बच्चों में अतिथि देवो भव: का भाव उत्पन्न करें : सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत ने बच्चों में अतिथि देवो भव: का भाव उत्पन्न करने पर जोर दिया। उनका कहना था कि बच्चों को समय-समय पर महापुरुषों की कहानियां व उनके संस्मरण भी सुनाए व सिखाए जाने चाहिए। साथ ही संघप्रमुख ने गौ आधारित व प्राकृतिक खेती के लिये समाज को प्रशिक्षित करने की बात भी कही। उन्होंने गत दिनों हिन्दू आध्यात्मिक एंव सेवा फाउंडेशन द्वारा किये गए प्रकृति वंदन की सराहना की। देश व प्रकृति हित में किसी भी सामाजिक या धार्मिक संगठन द्वारा किये जाने वाले कार्य में स्वयंसेवको को बढकर सहयोग करने के निर्देश भी दिए।

जागरूकता से रोकें धर्मांतरण : सर संघचालक मोहन भागवत ने धर्म जागरण मंच के कार्यकर्ताओं से धर्मांतरण के मूल में जाने और उसका समाधान कराने की बात कही। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में धर्मांतरण की घटनाओं के तेजी आई है। लव जेहाद के पीछे उद्देश्य धर्मांतरण कराना है और जागरूकता से इसे रोका जा सकता है। गरीबों व भोली-भाली बालिकाओं को निशाना बनाया जा रहा है। इसके लिए आम जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। धर्मांतरण को रोकने के लिए स्वयंसेवकों को इस दिशा में सक्रियता बढ़ानी होगी।


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