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महफिलों को रोशन करने वाली जरीना बेगम अंधेरे में हुई गुम

लखनऊ (जागरण संवाददाता)। एक छोटे से टीन से ढका कमरा। उसमें एक तख्त और उस पर अपने आखिरी सफर के लिए लेट

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 May 2018 11:21 AM (IST)Updated: Sun, 13 May 2018 11:21 AM (IST)
महफिलों को रोशन करने वाली जरीना बेगम अंधेरे में हुई गुम
महफिलों को रोशन करने वाली जरीना बेगम अंधेरे में हुई गुम

लखनऊ (जागरण संवाददाता)। एक छोटे से टीन से ढका कमरा। उसमें एक तख्त और उस पर अपने आखिरी सफर के लिए लेटी जरीना बेगम..। जी हां यही हकीकत है बेगम अख्तर की शिष्या और गजल गायिका जरीना बेगम के घर की। बेगम अख्तर के बाद ठुमरी और गजल गायिकी को जिंदा रखने वाली जरीना बेगम आखिरकार मुफलिसी के दौर में जीते हुए अंत में सरकार व सिस्टम से हारकर दुनिया को अलविदा कह गई। उनकी मुफलिसी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके पास चंद अखबारों की कटिंग, कुछ फोटो और सर्टिफिकेट का अलावा कुछ नहीं था।

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अंगना छुवत जमुनिया, भीतर चलो बालमा.., मोरी बाली उमरिया खराब किए हो, बदला लेबे अदालत मा.. जैसे गीत गाने वाली जरीना बेगम को बेगम अख्तर ने अपनी बेटी का दर्जा दिया था। बेगम अख्तर के बाद गजल, ठुमरी, दादरा, टप्पा गायिकी को उन्होंने आगे बढ़ाया। करीब नौ साल पहले वो बीमार हो गई, जिसके बाद उनकी हालत में सुधार नहीें हो सका और सेहत गिरती ही गई। उनको प्रदेश की पूर्व सरकार की ओर से बेगम अख्तर अवॉर्ड से नवाजा गया था, जिसमें उनको अवॉर्ड राशि के रूप में पांच लाख रुपये मिले थे, मगर वो पैसे भी उनके इलाज में ही खर्च हो गए। इन सबके बाद भी सरकार और संस्कृति विभाग की ओर से कोई मदद नहीं मिली। जरीना बेगम की आखिरी ख्वाहिश थी कि उनके जीते जी उनके परिवार के किसी सदस्य को नौकरी मिल जाए।

अवध की शान थी वह

लखनऊ के वरिष्ठ इतिहासकार योगेश प्रवीन ने बताया कि जरीना बेगम में हर तरह के गीत गाने का हुनर था। उन्होंने बीमारी की हालत में भी दिल्ली के एक कार्यक्रम में अपनी गायिका का जादू बिखेरा था। करीब तीन साल पहले एक कार्यक्रम में शिरकत करने वो गई थी, वही उनकी आखिरी प्रस्तुति थी। उसके बाद वो गुमनामी के अंधेरे में खो गई।

नई पीढ़ी ने नहीं दी तवज्जो

लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने बताया कि जरीना बेगम की हालत देखकर काफी दुख होता था। लखनऊ जैसे शहर में संगीत में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली इस शख्सियत को वह मुकाम नहीं मिल पाया, जिसकी वह हकदार थी। नई पीढ़ी ने उन्हें तवज्जो नहीं दी। वह बिलकुल बेगम अख्तर की तरह गाती थी। मैंने जरीना बेगम के तीन कार्यक्रम दिल्ली में कराए थे, उनकी प्रस्तुति लाजवाब थी, वह मेरे घर भी कई बार आ चुकी हैं।

मैं तो उनके बेटे जैसा था

गजल गायक उस्ताद गुलशन भारती ने बताया कि मैं तो उनके बेटे जैसा था। उनके साथ कई मंचों पर साथ गाया हूं, उनसे बहुत कुछ सीखा है। उनके बड़े बेटे जाहिद से दोस्ती भी थी, लेकिन पहले जाहिद की मौत हो गई, फिर उनकी भी तबीयत खराब हो गई, तो मिलना कम हो पाता था। उनके जाने से ठुमरी, दादरा, टप्पा का दौर खत्म सा हो गया है।

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बातचीत

संगीत की दुनिया में जरीना बेगम ने बहुत अहम योगदान दिया है। मेरी उनसे मुलाकात आकाशवाणी में हुई। वह स्पेशल मेहमान के तौर पर आती थी। उनकी कमाल की गायकी के सभी दीवाने थे।

- युगांतर सिंदूर, गजल गायक

जरीना बेगम का जाना संगीत जगत में बहुत बड़ा नुकसान है। उनमें बेगम अख्तर की झलक दिखती थी, उन्होंने बेगम अख्तर की गायकी को अपने दिल में बसा लिया था।

-पंडित धर्मनाथ मिश्रा, शास्त्रीय गायक

जरीना बेगम की गायकी से हम सभी बहुत प्रभावित थे। वह मेरे घर भी आई थी। उन्होंने मुझसे गीत सुने और खुद भी गीत सुनाए। उनका जाना बहुत ही बड़ा नुकसान है।

-मालविका हरिओम, गायिका

जरीना बेगम का जाना संगीत जगत का बहुत बड़ी क्षति है। उनके साथ काफी मुलाकातें हुई। कई मंचों पर हमने साथ गाया भी। वह बहुत ही सादा जीवन जीती थी, उन्होंने काफी मुसीबतें भी झेली।

- पदमा गिडवानी, वरिष्ठ गायिका


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