जंतर-मंतर पर आज से यूपी के शिक्षा मित्रों का तीन दिनी धरना
शिक्षामित्रों को सरकार का दस हजार रुपए प्रति माह मानदेयमंजूर नहीं है। यह सहायक शिक्षक के पद पर समायोजन की मांग को लेकर अब दिल्ली के जंतर-मंतर पर आज से तीन दिन तक धरना देंगे।
लखनऊ (जेएनएन)। सुप्रीम कोर्ट से सहायक शिक्षकों के पद पर समायोजन रद होने के बाद अब शिक्षा मित्र बड़े आंदोलन की राह पर हैं। लखनऊ में इनके प्रदर्शन के बाद सरकार का दस हजार रुपए प्रति माह मानदेय इनको मंजूर नहीं है। यह सहायक शिक्षक के पद पर समायोजन की मांग को लेकर अब दिल्ली के जंतर-मंतर पर आज से तीन दिन तक धरना देंगे।
प्रदेश सरकार के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ इनकी मांग स्वीकार नहीं करने पर शिक्षा मित्रों के विरोध की आग अब दिल्ली पहुंच गई है। आज शिक्षामित्र अपने समायोजन को बनाए रखने के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठेंगे। शिक्षामित्रों ने अपने धरने को आमरण अनशन में बदलने की चेतावनी भी दी है।
अपने इस धरना को सफल बनाने के लिए शिक्षामित्र संघ के नेताओं ने जिलों से लेकर गांव तक में शिक्षामित्रों से मुलाकात कर दिल्ली जाने का आह्वान किया। हर जिले में इसकी तैयारी बैठक भी की गई। आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही ने कहा कि 50 हजार से अधिक शिक्षामित्र दिल्ली पहुंच रहे हैं। वही शिक्षामित्र संघों के बड़े नेता दिल्ली पहुंच चुके हैं। इस प्रदर्शन का निर्णय प्रांतीय नेतृत्व के निर्देश पर संयुक्त शिक्षामित्र संघर्ष मोर्चा ने गाजीपुर के महुआबाग स्थित कैंप कार्यालय में बैठक में लिया गया था।
दस हजार रुपये मानदेय से असंतुष्ट शिक्षामित्र अब दिल्ली में डेरा डाल रहे हैं। यहां जंतर-मंतर पर 11 से 14 सितंबर तक उनका धरना-प्रदर्शन चलेगा। करीब सवा लाख शिक्षामित्रों के आने की संभावना है। दिल्ली में इतने शिक्षामित्रों के आंदोलन से जाम लग सकता है। इसके बाद उन्हें योगी सरकार से अच्छे वेतन पर शिक्षामित्र के रूप में बहाल रखने की उम्मीद थी, लेकिन वह टूट गई। शिक्षामित्रों का समायोजन अखिलेश सरकार में हुआ था। उनका वेतन 39 हजार रुपये प्रतिमाह तक पहुंच गया था,लेकिन समायोजन रद्द होने के बाद वे फिर से पुराने 35 सौ रुपये के मानदेय पर आ गए। मानदेय बढ़ाने को लेकर ही उन्होंने सभी जिलों में प्रदर्शन किया।अगस्त में लखनऊ के लक्ष्मण पार्क में तीन दिन तक प्रदर्शन किया। सरकार ने उन्हें समान कार्य समान वेतन देने का आश्वासन देकर लौटा दिया।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र एसोसिएशन के अध्यक्ष गाजी इमाम आला ने बताया कि लखनऊ में प्रदर्शन को देखते हुए सीएम ने पांच सदस्यीय कमेटी गठित की थी, लेकिन कमेटी की रिपोर्ट आने से पहले ही 10 हजार रुपये मानदेय करके टरका दिया।
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उन्होंने बताया कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दायर नहीं की, इसलिए उनके संगठन ने इसे दायर किया है। इससे साफ पता चलता है कि यूपी सरकार की मंशा शिक्षामित्रों का साथ देने की नहीं है। 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द करने के बाद वे सड़क पर हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 1.78 लाख शिक्षामित्रों की सहायक अध्यापक के रूप में नियमितीकरण को गैरकानूनी ठहरा दिया था।
उधर सरकार ने आंदोलन कर रहे शिक्षामित्रों पर विभागीय कार्रवाई की भी तैयारी कर ली है। शासन ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को इस बाबत निर्देश जारी करते हुए सभी शिक्षामित्रों की उपस्थिति का रोजाना का लेखाजोखा मांगा है।