Shri Ram Janmabhoomi: राममंदिर के साथ सहेजी जाएगी अयोध्या की साझी विरासत
Shri Ram Janmabhoomi संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल के जैन मंदिर जाने के निहितार्थ से बयां हो रहीं संभावनाएं। गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड का भी विकास संघ एवं तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट क
अयोध्या [रघुवरशरण]। Shri Ram Janmabhoomi: सप्त मोक्षदायिनी पुरियों में अग्रणी अयोध्या भगवान राम के साथ सांस्कृतिक-आध्यात्मिक क्षितिज के कई अन्य आला किरदार और उनकी परंपरा से रोशन है। इनमें प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव भी शामिल हैं, जैन परंपरा जिन्हें भगवान राम से भी पूर्व का मानती है। ऋषभदेव का अयोध्या में जन्म ही नहीं हुआ, बल्कि वे अयोध्या के राजा भी बने। रामनगरी के रायगंज स्थित भगवान ऋषभदेव के मंदिर से यह विरासत आज भी प्रवाहमान है।
ऋषभदेव के अलावा अयोध्या अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ एवं अनंतनाथ के रूप में अन्य चार तीर्थंकरों की जन्मभूमि होने के गौरव से विभूषित है। इस बीच रामजन्मभूमि पर भव्य-दिव्य मंदिर निर्माण की तैयारियों के साथ श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट राममंदिर के साथ संपूर्ण अयोध्या के गौरव में श्रीवृद्धि करने की तैयारी में है। शनिवार को सर्किट हाउस में बैठक के बाद तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का यह रुख बखूबी बयां हुआ, जब ट्रस्ट के विशेष आमंत्रित सदस्य एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल सर्किट हाउस से निकलकर सीधे ऋषभदेव जैन मंदिर पहुंचे। इस दौरान उनके साथ ट्रस्ट के महासचिव एवं विहिप के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय, प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी, जिलाधिकारी अनुजकुमार झा सहित जिम्मेदार लोगों का भरा-पूरा अमला भी था।
जैन मंदिर के प्रबंधक मनोज कुमार जैन के अनुसार डॉ. कृष्णगोपाल और उनके साथ के लोगों का आगमन यह संकेत देने वाला है कि राममंदिर के साथ संपूर्ण रामनगरी की सांस्कृतिक विरासत को भव्यता देने की तैयारी चल रही है। जहां तक जैन मंदिर का सवाल है, तो इस संबंध में अंतिम निर्णय श्री दिगंबर जैन मंदिर तीर्थ क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष स्वामी रवींद्रकीर्ति को करना है। फिलहाल, स्वामी रवींद्रकीर्ति अयोध्या से बाहर हैं। रामनगरी की साझी विरासत पुष्ट करने वाली विशिष्ट धरोहर के रूप में प्रतिष्ठित गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड के मुख्यग्रंथी ज्ञानी गुरुजीत ङ्क्षसह कहते हैं, तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा रामनगरी के वैशिष्ट््य को पूर्णता से शिरोधार्य करने में है। डॉ. कृष्णगोपाल ट्रस्ट से जुड़े लोगों के साथ पहले ही प्रथम, नवम एवं दशम सिख गुरुओं के आगमन से गौरवांवित गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड का जायजा ले इस धरोहर की विकास की संभावनाएं परख चुके हैं। रामनगरी बौद्ध एवं इस्लामिक आस्था के भी केंद्र में रही है, यह देखना रोचक होगा कि राममंदिर निर्माण के साथ इस परंपरा से जुड़ी विरासत को किस हद तक सहेजा जायेगा।
..और अयोध्या दुनिया के लिए मिसाल होगी
- यह धारण आम है कि सनातन परंपरा जिसे मनु कहकर पुकारती है, इस्लाम में उन्हें आदम कहा गया है। इन्हीं आदम की औलाद शीश पैगंबर की मजार अयोध्या में है। अतीत के अध्येताओं की एक धारा जिनका समीकरण मनु के पुत्र इक्ष्वाकु से स्थापित करती है। अतीत के इसी प्रवाह से प्रेरित मुस्लिम लीग के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. नजमुल हसन गनी के अनुसार अयोध्या साझी विरासत की सबसे महान नगरी है और मोदी, योगी इस विरासत से न्याय कर सके, तो इससे अयोध्या की ही नहीं मोदी, योगी की भी शान दुनिया में बढ़ेगी और अयोध्या दुनिया के लिए मिसाल होगी।