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सैफई से लखनऊ लौटे शिवपाल सिंह यादव ने मुलायम सिंह यादव का लिया आशीर्वाद, जन्मदिन की दी बधाई

सैफई से लखनऊ लौटे प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव ने सोमवार की शाम अपने बड़े भाई व सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के आवास पर पहुंच कर उनसे मुलाकात की व उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। शिवपाल ने मुलायम के पैर छूकर आशीर्वाद भी लिया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 22 Nov 2021 07:07 PM (IST)Updated: Mon, 22 Nov 2021 07:11 PM (IST)
सैफई से लखनऊ लौटे शिवपाल सिंह यादव ने मुलायम सिंह यादव का लिया आशीर्वाद, जन्मदिन की दी बधाई
सैफई से लखनऊ लौटे शिवपाल ने मुलायम सिंह यादव के आवास पर मुलाकात की व उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं।

लखनऊ, जेएनएन। समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर सोमवार को चाचा और भतीजे में एकता होने की उम्मीदें लोगों को निराशा हाथ लगी। नेताजी के जन्मदिन के मौके पर बेटे अखिलेश यादव और उनके भाई शिवपाल सिंह यादव के साथ आने की बातें हो रही थीं, लेकिन ये अटकलें गलत साबित हुईं। अखिलेश यादव लखनऊ स्थित पार्टी के मुख्यालय में मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद लिया तो वहीं शिवपाल यादव राजधानी से दूर सैफई में केक काटकर नेताजी का जन्मदिन मनाया। हालांकि शाम को शिवपाल सिंह यादव मुलायम सिंह का आशीर्वीद लेने और शुभकामनाएं देने लखनऊ में उनके आवास पर पहुंचे।

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सैफई से लखनऊ लौटे प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने सोमवार की शाम अपने बड़े भाई व सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के आवास पर पहुंच कर उनसे मुलाकात की और उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। शिवपाल ने मुलायम के पैर छूकर आशीर्वाद भी लिया। इससे पहले सैफई में शिवपाल सिंह यादव ने केक काटकर नेताजी का जन्मदिन मनाया। उन्होंने इस दौरान सभा को भी संबोधित किया। कहा कि समाजवादी पार्टी को एक हफ्ते के अंदर गठबंधन या विलय का फैसला ले लेना चाहिए। वे गठबंधन या विलय करने को तैयार हैं। अगर एक हफ्ते के अंदर ऐसा नहीं होता है तो फिर वे लखनऊ में सम्मेलन करके अपने लोगों से राय लेकर फैसला लेंगे।

शिवपाल सिंह ने कहा कि हम अपने समर्थकों के लिए 100 सीटें चाहते थे लेकिन हम अब पीछे हट गए। हम ही झुक गए, आज दो साल हो गए यह बात कहे हुए लेकिन कोई बात अभी तक फाइनल नहीं हुई। उन्होंने पूर्व सांसद तेज प्रताप सिंह यादव व जिला पंचायत अध्यक्ष अंशुल यादव के लिए भी कहा कि उनको यहां पर दंगल में आना चाहिए था लेकिन वे नहीं आए। अंशुल यादव को हराने के लिए जिला पंचायत चुनाव में कितनी ताकतें लगी थीं, लेकिन हमारे दम पर ही अंशुल यादव निर्विरोध हो गए। हमने हमेशा त्याग किया, हम चाहते तो वर्ष 2003 में मुख्यमंत्री बन सकते थे, लेकिन मैंने नेताजी को दिल्ली से बुलाकर मुख्यमंत्री बनवाया था। दूसरी पार्टियों के 40 विधायक इकट्ठा किए थे, उस समय 25 विधायक भाजपा के भी हमारे साथ थे। अजीत सिंह, कल्याण सिंह हमारे साथ थे। हम मुख्यमंत्री बन सकते थे।


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