Muharram 2020: पहली मुहर्रम की मजलिस को मौलाना जवाद ने किया खिताब
Muharram 2020 कोरोना काल में नहीं निकला शाही जरीह का जुलूस। पुलिस कमिश्नर से मुलाकात के बाद सात जगह मिली मजलिस की मंजूरी।
लखनऊ, जेएनएन। Muharram 2020: मुहर्रम का चांद नजर आने के बाद शुक्रवार को पहली मुहर्रम पर शिया धर्मगुरु व इमाम-ए-जुमा मौलाना कलबे जवाद ने मजलिस को खिताब किया। शिया धर्मगुरु व इमाम-ए-जुमा मौलाना कलबे जवाद मुहर्रम में शारीरिक दूरी के साथ और कोरोना संक्रमण की सरकारी गाइड लाइन को मानते हुए इमामबाड़ा ग़ुफरानमाब में मजलिस की। मौलाना ने पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय से मुलाकात कर मजलिस पर रोक हटाने की मांग की थी। जिसके बाद शहर में सात जगह मजलिस की अनुमति मिली।
बता दें, मौलाना कल्बे जवाद ने इमामबाड़ा गुफरान मआब में मुहर्रम में होने वाली मजलिस पर रोक लगाने के संबंध ने पुलिस की ओर से दी गई नोटिस पर नाराजगी जताई थी। मौलाना ने लखनऊ पुलिस कमिश्नर से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा, जिसमे उन्होंने नोटिस को गाइडलाइन के खिलाफ और असंवैधानिक बताया। उन्होंने कहा कि नोटिस लोगों को भ्रमित करने के लिए लिखा गया मालूम होता है।
दो महीने आठ दिन चलेगा गम
गुरुवार को मुहर्रम का चांद नजर आने के बाद हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम सहित कर्बला के 72 शहीदों की शहादत के गम में शियों की आंखों से जार-ओ-कतार आंसू जारी हो गये। पुराने शहर के शिया बहुल क्षेत्रों में या हुसैन... या हुसैन... की सदाएं गूंजने लगी हैं। शियों ने कर्बला के शहीदों का गम मनाने के लिए रंग-बिरंगे कपड़े हटाकर काले लिबास पहन लिए हैं। महिलाओं ने भी जेवर व चूड़ियां वगैरह उतार कर काले लिबास पहन लिये हैं।
हजरत मोहम्मद साहब (स.) के नवासे हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम सहित कर्बला के शहीदों के गम का यह सिलसिला दो महीने आठ दिन चलेगा। इस दौरान वह अच्छे भोजन व समारोह से भी परहेज करेंगे। अजादारों ने इमामबाड़ों व घरों पर काले झंडे लगा दिये है। इमामबाड़ों में ताजिये और जरीह रखने के लिए इनकी खरीदारी शुरू कर दी है। इसके अतिरिक्त तर्बरूक, हार-फूल, अलम के लिए फूल के सेहरे, इमामबाड़े के लिए फूलों के पटके और ताबूत के लिए फूलों की चादरों की भी खरीदारी की जा रही है।
नहीं निकला शाही जरीह का जुलूस
हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके 71 साथियों की याद में पहली मुहर्रम को आसिफी इमामबाड़े से शाही जरीह का जुलूस कोरोना वायरस को देखते हुए नहीं निकाला गया। आसिफी इमामबाड़े के प्रभारी हबीबुल हसन ने बताया कि जुलूस में 22 फिट की मोम की और 17 फिट ऊंची अभ्रक की जरीह मुख्य आकर्षण का केंद्र होती थीं। यह खूबसूरत जरीह बड़े इमामबाड़े से छोटे इमामबाड़े तक हजारों अकीदत मंदों के साथ जाती थी। जिसे कोविड-19 और सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, शाही जरीह के जुलूस को स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि जो चार जरीहयां बनी हैं उनमें एक जरीह को छोटे इमामबाड़े में एक बड़े इमामबाड़े में और दो इमामबाड़ा शाहनजफ में रखा जाएगा।