SGPGI Lucknow: बिना बायोप्सी के एलास्टोग्राफी तकनीक से पकड़ में आएगा थायरायड ट्यूमर
संजय गांधी पीजीआइ में थायरायड कैंसर का पता लगाने के लिए एलास्टोग्राफी तकनीक शुरू की है।
लखनऊ, जेएनएन। अब बिना बायोप्सी के जानना संभव होगा कि गले में स्थित थायरायड ट्यूमर सामान्य है या कैंसर। यह पता करने के लिए संजय गांधी पीजीआइ ने एलास्टोग्राफी तकनीक शुरू की है। संस्थान में आयोजित इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ आंकोप्लास्टिक इंडोक्राइन सर्जन के अधिवेशन में प्रो.अमित अग्रवाल और प्रो. ज्ञान चंद ने बताया कि एलास्टोग्राफी एक तरह का अल्ट्रासाउंड है, जिसमें ट्यूमर में प्रेशर देखा जाता है। इसके आधार पर बिना किसी चीरा के कैंसर का पता लगा जाता है। थायरायड ग्रंथि का कैंसर ही ऐसा कैंसर है, जिसका पूरा इलाज संभव है।
थायरायड ट्यूमर के 100 मामले में 20 से 25 फीसद में कैंसर युक्त ट्यूमर देखा गया है। ऐसे केस में सर्जरी कर पूरी ग्रंथि निकाल देते हैं। इसके बाद रेडियोआयोडीन थेरेपी देते हैं, जिससे कैंसर के बचे हुए सेल भी मर जाते हैं। इसके आलावा थायरायड सप्रेशन थेरेपी दी जाती है। इन तीन चरणों के इलाज के बाद कैंसर पूरी तरह ठीक हो जाता है। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ. रजनीश दुबे ने कहा कि काम के जरिए संस्थान ने विश्व स्तर पर मुकाम हासिल किया है। इस स्तर को बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। निदेशक प्रो. राकेश कपूर ने कहा कि मार्च के अंत तक संस्थान में रोबोट आ जाएगा जिसके बाद रोबोटिक सर्जरी शुरू हो जाएगी।
जरा सी गलती से चली जाती है आवाज
थायरायड की सर्जरी में जरा सी गलती होने पर आवाज की नस कट जाती है, जिससे आवाज चली जाती है। हम लोग सर्जरी के समय न्यूरो मॉनिटरिंग कर आवाज की नस को बचा लेते हैं। कई बार आवाज जाने के बाद मरीज आते हैं ऐसे में थायोप्लास्टी कर 65 फीसद मामलों मे दोबारा आवाज ला सकते हैं।