Move to Jagran APP

बायोमार्कर बताएगा, भूलने लगे हैं आप- इस तकनीक से समय से पहले पता चलेगी बीमारी

एसजपीजीआइ के डॉक्टरों ने याददाश्त में कमी का पता लगाने के लिए खोजा बायोमार्कर। उम्र बढऩे के साथ 10 फीसद में होने लगती है भूलने की परेशानी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 24 Dec 2019 09:58 AM (IST)Updated: Wed, 25 Dec 2019 08:48 AM (IST)
बायोमार्कर बताएगा, भूलने लगे हैं आप- इस तकनीक से समय से पहले पता चलेगी बीमारी
बायोमार्कर बताएगा, भूलने लगे हैं आप- इस तकनीक से समय से पहले पता चलेगी बीमारी

लखनऊ [कुमार संजय]। चीजें रखने के बाद भूल जाना, चश्मा ढूंढ़ना और दवा खाने के बाद भी याद न रहना...ऐसी तमाम दिक्कतों से बुजुर्ग रोज दो-चार होते हैं। उम्र बढऩे के साथ भूलने की परेशानी आम है। डॉक्टरी भाषा में इसे डिमेंशिया, अल्जाइमर डिजीज कहते हैं। जब परेशानी काफी बढ़ जाती है जब परिजनों को पता लगता है। चिकित्सा वैज्ञानिकों ने बीमारी गंभीर होने से पहले ही इसका पता लगाने के लिए बायोमार्कर खोज निकाला है।

loksabha election banner

शोध टीम में शामिल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस बीएचयू के न्यूरोलॉजिस्ट प्रो. विजय नाथ मिश्रा ने इस खोज के बारे में प्रारंभिक जानकारी दी। वे संजय गांधी पीजीआइ विजिट पर आए थे। प्रो. मिश्रा ने बताया कि यह शोध उन्होंने सीडीआरआइ के सहयोग से किया है। शोध में देखा गया कि डिमेंशिया शुरू होने पर लैक्टेट, एन-एसीटाइल एसपारटेट, हिस्टीडिन का स्तर बढ़ा होता है। इसके साथ फॉरमेट, कोलीन, एलानिन, क्रिएटनिन और ग्लूकोज का स्तर खून के प्लाच्मा में कम हो जाता है। आगे यह भी देखा गया कि कोलीन का सीधा संबंध मॉइस्ट कोगनेटिव इमपेयरमेंट (याददाश्त में हल्की कमी) से है। प्रो. मिश्रा का कहना है कि इन बायोमार्कर के स्तर को देख कर शुरुआती दौर में ही डिमेंशिया का पता लगाना संभव है। 

दो हजार लोगों की स्क्रीनिंग

प्रो. मिश्रा ने बताया कि इसके तहत उत्तर प्रदेश और बिहार के ऐसे दो हजार लोगों की स्क्रीनिंग की गई, जिनकी उम्र 58 से अधिक थी। देखा कि इनमें से दो सौ लोगों में याद्दाश्त की हल्की कमी थी। अब इन्हें डिमेंशिया या अल्जाइमर की परेशानी है, इसका पता लगाने के लिए इनमें से दस लोगों और 10 सामान्य लोगों में बायोमार्कर का शोध किया तो यह परिणाम मिला।

क्यों होती है भूलने की परेशानी

दिमाग की कोशिकाओं का एक-दूसरे से जुड़ाव कम होने से या फिर खुद कोशिकाओं के कमजोर और खत्म होने की वजह से याद्दाश्त और दिमागी काम करने की क्षमता नष्ट हो जाती है। याद्दाश्त कम होना और भ्रम इसके मुख्य लक्षण हैं। 

शोध में यह थे शामिल

शोध में बीएचयू की ही डॉ. विनीता सिंह के अलावा सीडीआरआइ के एनएमआर डिवीजन के डॉ. गुरु दयाल प्रजापति, डॉ. रवि शंकर के साथ बीएचयू के जूलॉजी विभाग के डॉ. एमके ठाकुर शामिल थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.