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लखनऊ में किसानों को दिए गए चबूतरे पर खड़ा हो गया कई मंजिला मकान, एलडीए के प्रवर्तन के अभियंता बने रहे अंजान

लखनऊ विकास प्राधिकरण लविप्रा के प्रवर्तन से जुड़े सुपरवाइजर और अवर अभियंता आखिर कैसे अंजान रह सकते हैं। लविप्रा ने किसानों को सौ वर्ग फीट के चबूतरे व्यापार करने के लिए दिए थे। इन चबूतरों पर कोई स्थायी निर्माण नहीं किया जा सकता।

By Rafiya NazEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 09:26 AM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 02:45 PM (IST)
लखनऊ में किसानों को दिए गए चबूतरे पर खड़ा हो गया कई मंजिला मकान, एलडीए के प्रवर्तन के अभियंता बने रहे अंजान
लखनऊ में किसानों को व्यापार करने के लिए मिला चबूतरा तान दिया तीन मंजिला मकान।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। लखनऊ विकास प्राधिकरण लविप्रा के प्रवर्तन से जुड़े सुपरवाइजर और अवर अभियंता आखिर कैसे अंजान रह सकते हैं। लविप्रा ने किसानों को सौ वर्ग फीट के चबूतरे व्यापार करने के लिए दिए थे। इन चबूतरों पर कोई स्थायी निर्माण नहीं किया जा सकता। छत पर टीन शेड्स ही डाला जा सकता है, लेकिन जानकीपुरम के सेक्टर एच में नियमों की धज्जियां उड़ा दी गई। यहां स्थानीय दबंगों ने किसानों से चबूतरें खरीदे और उस पर तीन तल खड़े कर दिए, इसमें दुकान भी है और रहने के लिए परिसर भी। यही नहीं बकायदा दो से तीन चबूतरे मिलकर बेसमेंट भी बना डाला।

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जानकीपुरम के सेक्टर एच में यह पूरा खेल हुआ है। पड़ोसियों का तर्क है कि अभियंता व सुपरवाइजर आते हैं और देखकर चले जाते हैं। इस निर्माण के बाद से अन्य किसानों का भी हौसला बुलंद है। यहां लाइन से लविप्रा ने कुछ साल पहले दर्जनों चबूतरे स्थानीय किसानों को आवंटित किए थे। क्योंकि इन किसानों के जमीनें लविप्रा ने खरीदी थी और रोजगार देने का वायदा किया था। लविप्रा ने अपना वायदा पूरा करना शुरू किया तो कुछ किसानों ने नियमों को दरकिनार करते हुए चबूतरे बेचने शुरू कर दिए तो कुछ ने पक्का निर्माण करवा डाला।

नियमानुसार चबूतरों को कम से काम पांच साल बेचा नहीं जा सकता था। यही नहीं उन पर कोई निर्माण का प्राविधान नहीं है। छत अस्थायी होनी चाहिए और बेसमेंट नहीं बनाया जा सकता है। बता दें कि इसी तरह शारदा नगर के लोगों ने भी चबूतरों पर स्थायी निर्माण को लेकर तत्कालीन लविप्रा उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश से शिकायत की थी, कुछ दिन काम बंद रहा, लेकिन फिर यह अवैध निर्माण बनकर खड़ा हो गया।


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