UP Cabinet: अब भूगर्भ जल दूषित करने पर सात साल तक की सजा, 20 लाख रुपये तक जुर्माना
UP Cabinet Meeting कैबिनेट ने मंजूर की उप्र भूजल अधिनियम एवं विनियमन 2020 की नियमावली। सबमर्सिबल पंप के लिए लेनी होगी अनुमति हर भवन के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य।
लखनऊ, जेएनएन। UP Cabinet Meeting : बेफिक्री से भूगर्भ जल को दूषित करने वाले अब अपराधी माने जाएंगे। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने निर्णय लिया है कि भूगर्भ जल को दूषित करने वालों को सात साल कारावास और बीस लाख रुपये तक जुर्माने की सजा भुगतनी होगी। साथ ही सबमर्सिबल पंप बिना अनुमति नहीं लगा सकेंगे। भूजल दोहन करना है तो वर्षा जल संचयन भी अनिवार्य कर दिया गया है।
प्रदेश सरकार ने उप्र भूगर्भ जल प्रबंधन एवं नियमन अधिनियम- 2020 पहले ही बना लिया था। मंगलवार को लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में नियमावली को भी मंजूरी दे दी गई। कैबिनेट में स्वीकृत हुए नौ प्रस्तावों की जानकारी सरकार के प्रवक्ता डॉ. सिद्धार्थनाथ सिंह और जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने दी।
सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 दिसंबर को अटल भूजल योजना की घोषणा की। भूजल संरक्षण और संवर्धन के लिए ही योगी सरकार ने कड़ा कानून बनाया है। अब सबमर्सिबल पंप लगाने की अनुमति सभी के लिए अनिवार्य होगी। घरेलू और कृषि उपयोग के लिए अनुमति निश्शुल्क मिलेगी, जबकि औद्योगिक उपयोग का शुल्क निर्धारण करने के लिए समिति गठित की जाएगी। पंजीयन की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी और समय सीमा भी तय होगी।
जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि नए आवासीय, व्यावसायिक, शैक्षणिक, सामुदायिक और सरकारी भवन बनाने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य कर दिया गया है। पहले से जो शैक्षणिक संस्थानों के भवन बने हैं, उन्हें एक वर्ष तक का समय दिया जाएगा। अगले वर्ष नवीनीकरण से पहले वर्षा जल संचयन की व्यवस्था उन्हें करनी होगी।
भूगर्भ जल दूषित करने पर सजा
- पहली बार पकड़े जाने पर छह माह से एक वर्ष कारावास और दो से पांच लाख रुपये तक जुर्माना
- दूसरी बार पकड़े जाने पर दो से पांच वर्ष कारावास और पांच से दस लाख रुपये तक जुर्माना
- तीसरी बार पकड़े जाने पर पांच से सात वर्ष कारावास और दस से 20 लाख रुपये तक जुर्माना
ग्राम पंचायत से प्रदेश स्तर तक निगरानी समिति
नए कानून के पालन और निगरानी के लिए ग्राम पंचायत से प्रदेश स्तर तक समिति का भी गठन किया जाएगा। ग्राम पंचायत में ग्राम प्रधान, ब्लॉक में ब्लॉक अध्यक्ष, जिले में जिलाधिकारी, नगर निकाय में महापौर और प्रदेश स्तर पर प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में समिति बनाई जाएगी।
बोरिंग करने वाली कंपनियों को कराना होगा पंजीयन
बोरिंग करने वाली निजी कंपनियों और एजेंसियों को भी पंजीकरण कराना होगा। उन्हें ऑनलाइन जानकारी देनी होगी कि माह में उन्होंने किस क्षेत्र में कितने सबमर्सिबल पंप लगाए।