SDO और JE लखनऊ के इस इलाके के आठ फ्लैटों में करवा रहे थे बिजली चोरी, निलंबित
लखनऊ दुबग्गा स्थित रोशनी हाइटस में एलटी लाइन से जुड़ा मिली अवैध लाइन। एमडी ने लिया सख्त एक्शन तीन संविदा कर्मियों की सेवाएं समाप्त। ठाकुरगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले आठ फ्लैटस में 28 किलोवॉट की बिजली चोरी करवा रहे थे।
लखनऊ, जेएनएन। बिजली विभाग को निजीकरण की ओर ढकेलने वाले अभियंताओं पर नकेल लगाने का काम शुरू कर दिया गया है। इसी क्रम में मध्यांचल एमडी सूर्य पाल गंगवार ने सख्त एक्शन लेते हुए बालाघाट के एसडीओ रिजवान सिद्दीकी और अवर अभियंता अनिल कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। वहीं रात्रि पाली में कार्यरत संविदा कर्मी नंद किशोर, राहुल सिंह और ललित की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। अभियंताओं व संविदा कर्मियों पर आरोप है कि ठाकुरगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले आठ फ्लैटस में 28 किलोवॉट की बिजली चोरी करवा रहे थे।
20 अक्टूबर की सुबह लाइन लॉस वाले फीडरों पर मार्निंग रेड डाली जा रही है। इसी क्रम में मंगलवार सुबह 5:30 रोशनी हाइटस निकट सफेद मस्जिद यूनिटी अस्पताल के पास कार्रवाई की गई। कार्रवाई के दौरान टीम ने पाया कि आठ फ्लैटस में सीधे एलटी लाइन से अवैध रूप से कनेक्शन जोड़कर बिजली चोरी की जा रही थी। बिजली सूत्रों के मुताबिक अभियंताओं की साठगांठ से बिजली चोरी करवाने का सिलसिला लंबे समय से चल रहा था। क्योंकि पकड़े गए चार लोगों में ऐसे हैं, जिनके यहां पहले भी बिजली चोरी पकड़ी जा चुकी है।
बिजली विभाग में ऐसे कई उपकेंद्र हैं, जहां लाइन लॉस का कारण स्थानीय अभियंता है। वहीं आज जांच के दौरान अभियंताओं की भूमिका के बारे में पकड़े गए चोरों ने बिजली चोरों ने बताया तो वरिष्ठ अभियंता भी चौक गए। इसकी सूचना एमडी को मिली थी, गोपनीय जांच में भूमिका सामने आई। सूत्रों की माने तो संविदा कर्मियों के कंधे पर रखकर कई खंडों में अभियंता इसी तरह बिजली चोरी करवा रहे हैं।
इनके यहां मिली बिजली चोरी
मध्यांचल की जनसंपर्क अधिकारी शालिनी यादव ने बताया कि जिनके यहां बिजली चोरी पकड़ी गई उनमें सैय्यद मोहम्मद अली, उरूज फातिमा, रिजवान, सुजात अली, शोएब, दानिश, मुज्जामिल और मुसब्बर अली हैं। इनमें सुजात, शोएब, मुज्जमिल और मुसब्बर अली के यहां पहली भी बिजली चोरी पकड़ी जा चुकी है।
हर माह लेते थे अभियंता सुविधा शुल्क
मध्यांचल एमडी को सूचना मिली थी कि बाालागाट के अभियंता बिजली चोरी करवा रहे हैं। इसकी गोपनीय जांच के लिए एमडी ने अन्य अभियंताओं को भी लगाया था, और स्थानीय अभियंताओं की भूमिका नहीं रखी थी। जांच में पाया गया कि अभियंता हर माह बिजली चोरी करवाने के एवज में मोटी रकम लेते थे।