वैज्ञानिक विधि से तैयार चारा खाएंगी पश्मीना बकरियां, सीएसआइआर-एनबीआरआइ में होगा तैयार
लेह-लद्दाख में लगभग छह लाख मवेशी हैं। यहां चारे की खेती से स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही पश्मीना बकरियों भेड़ों और अन्य मवेशियों की सेहत में सुधार होगा। चारे के लिए स्थानीय वनस्पतियों में से ऐसी प्रजातियों को चुना जाएगा।
लखनऊ, [रूमा सिन्हा]। दुनियाभर में अपने फर के लिए अलग पहचान रखने वालीं पश्मीना बकरियां चारे की कमी से जूझ रही हैं। इससे जहां उनकी आबादी में कमी आ रही है, वहीं फर की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। सीएसआइआर-एनबीआरआइ (राष्ट्रीय वानस्पतिक अनुसंधान संस्थान) के वैज्ञानिक लद्दाख की इन पश्मीना बकरियों के लिए 'रेडी टू ईट' चारा स्थानीय जैवविविधता का प्रयोग करते हुए तैयार करेंगे।
लेह-लद्दाख में लगभग छह लाख मवेशी हैं। यहां चारे की खेती से स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही पश्मीना बकरियों, भेड़ों और अन्य मवेशियों की सेहत में सुधार होगा। चारे के लिए स्थानीय वनस्पतियों में से ऐसी प्रजातियों को चुना जाएगा, जिनमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज व अन्य पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मिल सकें। रेडी टू ईट चारे को स्टोर करना भी आसान होगा। इससे पूरे वर्ष चारा मिल सकेगा।
पश्मीना बकरियों के फर की मांग दुनिया भर में है। चारे की जबरदस्त कमी रहती है। यहां ज्यादातर बर्फ जमी रहती है। पथरीला इलाका भी है। यही कारण है कि घास व दूसरी वनस्पतियां आवश्यकता अनुसार पैदा नहीं होतीं। संस्थान इस समस्या के समाधान के लिए रेडी टू ईट चारा स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध जैव विविधता का प्रयोग कर तैयार करेगा। -प्रोफेसर एसके बारिक, निदेशक (एनबीआरआइ)
लेह-लद्दाख में चारा सुखाकर रखना पड़ता है, जिसका प्रयोग बर्फ पडऩे के दौरान किया जाता है। ऐसे में चारे की कमी के साथ-साथ उसमें न्यूट्रीशन की भी कमी हो जाती है, जिसके चलते पश्मीना बकरियों के फर की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। समस्या को दूर करने कि लिए रेडी टू ईट चारे पर काम किया जा रहा है। -डा.शरद श्रीवास्तव, वरिष्ठ प्रमुख वैज्ञानिक, फार्माकोग्नोसी प्रभाग, (एनबीआरआइ)
प्रोजेक्ट के तहत प्रस्तावित कार्य
- ऐसी वनस्पतियों की पहचान की जाएगी, जिनका फिलहाल चारे के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता
- ऐसे फाइटोमालिक्यूल की भी पहचान होगी, जो चारे की न्यूट्रिशन वैल्यू बढ़ा सकें
- खेती के लिए उपयुक्त स्थल चिह्नित कर उनकी मैपिंग की जाएगी
- खेती के लिए लोगों को गुणवत्ता युक्त पौध सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी।