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खुरदरी त्वचा दे रही गठिया की बीमारी, सोरायसिस से हो रहा सोरियाटिक आर्थराइटिस Lucknow news

वर्कशॉप में बोले विशेषज्ञ सोरायसिस से हो रहा सोरियाटिक आर्थराइटिस। शोध प्रकाशन में हो रहा फर्जीवाड़ा रहें सतर्क।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 09:35 AM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 09:35 AM (IST)
खुरदरी त्वचा दे रही गठिया की बीमारी, सोरायसिस से हो रहा सोरियाटिक आर्थराइटिस Lucknow news
खुरदरी त्वचा दे रही गठिया की बीमारी, सोरायसिस से हो रहा सोरियाटिक आर्थराइटिस Lucknow news

लखनऊ, जेएनएन। त्वचा में रूसी और खुरदरेपन को नजरंदाज न करें। यह सोरायसिस की बीमारी है। अधिक दिन तय समस्या रहने पर शरीर में एंटीजेन बनने लगते हैं। ऐसे में व्यक्ति सोरियाटिक आर्थराइटिस (गठिया) की चपेट में आ जाता है।

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केजीएमयू के कलाम सेंटर में बुधवार को गठिया रोग विभाग द्वारा साइंटिफिक राइटिंग एंड पब्लिकेशन एथिक्स वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इसमें जूनियर डॉक्टरों को शोध व उसके प्रकाशन के बारे में जानकारी दी गई। इस दौरान विभागाध्यक्ष डॉ. अनुपम वाखलू ने बताया कि ऑस्टियो आर्थराइटिस, रियूमेटाइड आर्थराइटिस, गाउट के बाद सोरियाटिक आर्थराइटिस के मामले सामने आ रहे हैं।

ओपीडी में हर सप्ताह 15 से 20 मरीजों में बीमारी की पुष्टि हो रही है। अधिकतर मरीज रूखी त्वचा समझकर बीमारी को नजरंदाज करते हैं। वह स्टेरॉयड क्रीम लगाते हैं। मगर, धीरे-धीरे यह ऑटोइम्यून डिजीज सोरियाटिक आर्थराइटिस में तब्दील हो जाती है। यह बीमारी पांच वर्ष तक के ब'चे में भी पाई गई। वहीं, सामान्यत: 20 से 50 वर्ष की उम्र में अधिक हो रही है।

बीमारी की गिरफ्त में पुरुष अधिक

डॉ. अनुपम वाखलू के मुताबिक बाल के नीचे रूसी, कान के पीछे खुरदरी त्वचा, कोहनी के नीचे, नाक में, बगल के पास, जांघ, में पैर में तलवों में, पंजों में, नाखून में खुरदारापन हो तो सतर्क हो जाएं। यह गठिया पुरुषों में अधिक होती है।

गठिया की समस्या लेकर आए, निकला कुष्ठ

डॉ. अनुपम वाखलू के मुताबिक 150 मरीज दो वर्ष में गठिया की समस्या लेकर आए। जांच में गठिया की पुष्टि नहीं हुई। इन मरीजों में कुष्ठ पाया गया। ऐसे में जोड़ों में दर्द की शिकायत गठिया ही हो, यह जरूरी नहीं है।

प्रीडेटरी जनरल व सलामी पब्लिकेशन से बचें

यूके के डॉ. जॉर्ज व पीजीआइ के डॉ. विकास ने रेजीडेंट को पब्लिकेशन एथिक्स व रिसर्च की प्रक्रिया बताई। वहीं, डॉ. अनुपम वाखलू ने प्रीडेटरी जनरल व सलामी पब्लिकेशन से बचें। प्रीडेटरी जनरल विश्वसनीय नहीं हैं। यह सिर्फ ऑनलाइन हैं। सबसे अधिक यह चाइना के हैं। जनरल में प्रकाश के पूर्व उसका आइएसएसएन नंबर देखें। पबमेड इंडेक्स समेत 15 प्वाइंट जांचें। प्रमोशन के चक्कर में शिक्षक भी इन फर्जी जनरल का सहारा ले रहे हैं। वहीं, सलामी पब्लिकेशन में एक शोध को चार हिस्सों में प्रकाशित कर खेल किया जा रहा है। 


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