IISF 2018 : बच्चों की सपनीली दुनिया और किसान का सारथी बना विज्ञान महोत्सव
देश-दुनिया से राजधानी लखनऊ में जुटे लगभग हजारों वैज्ञानिक और उनके अनुभव साझा करने के लिए पहुंचे लाखों लोगों ने भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव को सार्थक कर दिया।
लखनऊ, (रूमा सिन्हा)। दशकों तक यह आम नजरिया रहा है कि विज्ञान कोई ऐसी चीज है, जो हमारी परंपरागत मान्यताओं पर हमला करती है। इसे नास्तिकता से भी जोड़ा जाता रहा। ...अब हालात बदले हैं, सोच बदली है, विज्ञान भी प्रयोगशाला से निकलकर बच्चों की सपनीली दुनिया का हिस्सा और खेतों में हाड़तोड़ मेहनत करने वाले किसान का सारथी बन रहा है। लखनऊ में चार दिन चले इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल में यही बदलाव स्पष्ट दिखा जब वैज्ञानिक, किसान, बच्चे व दूसरे तबके एक साथ आये और अपने विचार व प्रयोग साझा कर साबित किया कि विज्ञान का महत्व तभी है, जब वह आमजन के काम आये। चार दिवसीय विज्ञान महोत्सव में देश-विदेश से पहुंचे करीब आठ हजार वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ युवाओं व स्टूडेंट्स ने विज्ञान के इस महाकुंभ में जो प्रतिभा दिखाई उससे नवभारत की नींव मजबूत होती दिख रही है। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा आयोजित इस चौथे विज्ञान महोत्सव ने जीवन के हर पहलू को छुआ।
मिथ तोड़ लैब से लोगों तक पहुंचा विज्ञान
नामचीन वैज्ञानिकों ने भविष्य के साइंस की बात की तो युवाओं के साथ-साथ स्कूली बच्चों ने अपनी -अपनी तरह से विज्ञान के उपयोगी मॉडलों को प्रस्तुत किया। देश में कैंसर, हृदय रोग, डायबिटीज जैसी समस्याओं पर हो रहे महत्वपूर्ण शोध के बाबत जानकारी मिली। वहीं दूसरी ओर कृषि के क्षेत्र में हो रहे नवीन उपयोगों के बारे में बताया गया। कृषि के क्षेत्र में तैयार किए गए ऐसे उपकरण जिनसे अन्नदाता का काम सहज हो सकता है इसकी जानकारी के साथ नई प्रौद्योगिकियों की भी झलक देखने को मिली। पर्यावरण के क्षेत्र में किए जा रहे अनुसंधान व प्रदूषण से बचाव के भी उपाय सुझाए गए। विज्ञान को फिल्म व लिटरेचर से जोड़कर कैसे जन-जन तक प्रभावी संदेश पहुंचाया जा सकता है इस पर भी मंथन हुआ।
साइंस, टेक्नोलॉजी एवं इंडस्ट्री मेगा एक्सपो में सजे 600 से अधिक स्टाल में देश के वैज्ञानिक संस्थानों की उपलब्धियों को जानने का अवसर मिला। डीआरडीओ व इसरो ने सबसे ज्यादा लोगों को आकर्षित किया। मिसाइल, ब्रह्मोस, टैंक के साथ-साथ भविष्य में आने वाले उपकरणों की भी जानकारी देने में एक्सपो सफल रहा। अंतरिक्ष विज्ञान हो, रोबोटिक्स हो या आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस आधारित मॉडल सभी लोगों को इस बात का यकीन दिलाने में सफल रहे कि देश विज्ञान की राह में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
चार दिन तक चले विज्ञान महोत्सव में मजबूत हुई नवभारत की नींव
चार दिवसीय यह आयोजन भले ही राजधानी लखनऊ में हुआ हो लेकिन लाखों की संख्या में स्कूली छात्र-छात्राएं, कालेज के स्टूडेंट्स, आम लोग, यहां तक कि आस-पास के जिलों से आए लोग इसमें शामिल हुए। युवाओं ने जहां वरिष्ठ वैज्ञानिकों से सीख ली वहीं अपने प्रतिभा का भी प्रदर्शन कर वाहवाही बटोरी। देश भर से आए प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत सांसदों द्वारा गोद लिए गए गांव के बच्चों में विज्ञान की समझ पैदा हुई। कहना अतिश्योक्ति न होगा कि आइआइएसएफ -2018 कभी न भुला पाने वाला अनुभव रहा।
देश-दुनिया से राजधानी लखनऊ में जुटे लगभग हजारों वैज्ञानिक और उनके अनुभव साझा करने के लिए पहुंचे लाखों लोगों ने महोत्सव के आयोजन को सार्थक कर दिया। लंबे समय तक स्कूल-कालेजों के साथ-साथ समाज में इसकी गूंज सुनाई देगी। ऐसे में इसे सफल आयोजन कहना अतिश्योक्ति न होगा। वैसे तो राजधानी विज्ञान नगरी कही जाती हैं। कारण यह है कि यहां एक दर्जन से अधिक राष्ट्रीय-अंतरराट्रीय स्तर की प्रयोगशालाएं मौजूद हैं।