School Reopen News : लखनऊ में स्कूल प्रबंधकों ने कहा, घबराएं नहीं; एहतियात के साथ बच्चों को भेजें स्कूल
दैनिक जागरण कार्यालय में हुई बैठक में स्कूल संचालकों (प्रबंधकों) व प्रिंसिपलों ने बच्चों के लिए स्कूल खुलना मौजूदा हालात के अनुसार माकूल बताया। सब एकमत रहे कि अभिभावक बच्चों को निर्भीक होकर स्कूल भेजें। बच्चे स्कूल में पूरी तरह सुरक्षित है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। कोरोना का खराब दौर गुजर चुका है, कल परिस्थितियां क्या होंगी, इसकी चिंता क्या करना जब आज हालात सामान्य हैं। कोरोना काल के बाद स्कूल खुलने पर बच्चों को सुरक्षित माहौल में शिक्षा मुहैया कराने के मुद्दे को स्कूल संचालकों (प्रबंधकों) व प्रिंसिपलों की बैठक हुई। दैनिक जागरण कार्यालय में हुई बैठक में स्कूल संचालकों (प्रबंधकों) व प्रिंसिपलों ने बच्चों के लिए स्कूल खुलना मौजूदा हालात के अनुसार माकूल बताया। सब एकमत रहे कि अभिभावक बच्चों को निर्भीक होकर स्कूल भेजें। बच्चे स्कूल में पूरी तरह सुरक्षित है। कोरोना को लेकर मौजूदा समय में स्थितियां सामान्य हैं तो बच्चों की पढ़ाई से समझौता क्यों?
करीब डेढ़ साल से स्कूल बंद थे। बच्चे घर में रहते रहते आजिज आ गए थे। बच्चों की पढ़ाई का बहुत नुकसान हुआ है। हर किसी को समझना होगा कि स्कूल पूरी तरह सुरक्षित है, स्कूल में जगह-जगह सैनिटाइजर, सैनिटाइजर टनल और हैंड वॉश की व्यवस्था की गई है। सुरक्षा के ऐसे इंतजाम किसी अन्य जगह नहीं हो सकते। इस वजह से बच्चों को स्कूल भेजने पर किसी तरह का सवाल नहीं उठना चाहिए। अब बच्चों का भी टीकाकरण शुरू होने जा रहा है इस वजह से अब रही सही चिंताएं भी खत्म होंगी।
पुष्पलता अग्रवाल, संस्थापक प्रबंधक, सेंट जोसफ ग्रुप ऑफ स्कूल्स
हम बच्चों को तो समझा ही रहे हैं, मगर पैरेंट्स को भी समझाना बेहद जरूरी है। समझना होगा कि कोरोना के कारण बच्चों की पढ़ाई का बहुत नुकसान हुआ है, इसकी भरपाई में लंबा वक्त लगेगा। सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए खुद ही प्रेरित करना होगा।
कुसुम वर्मा,प्रिंसिपल, राजकीय महिला इंटर कॉलेज, विकास नगर
बच्चे स्कूल में पूरी तरह सुरक्षित है वह स्कूल आना भी चाहते हैं मगर अभिभावक डरे हुए हैं। मगर हम सब को समझना होगा कि अब बड़ी संख्या में लोगों का टीकाकरण हो चुका है, कोरोना के मामले भी काफी कम है, ऐसे में अभिभावकों को भी निर्भीक होकर बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देना होगा। स्कूलों के खुलने और बंद होने के समय अगर स्थानीय बीट सिपाही मुस्तैदी से गश्त करें तो स्कूलों के बाहर भीड़ इकठ्ठी नहीं होगी। बच्चे स्कूल में पूरी तरह सुरक्षित है, अभिभावक पूरी तरह बेफिक्र रहें।शर्मिला सिंह, प्रिंसिपल, पायनियर मांटेसरी स्कूल, एल्डिको
कोरोना काल में शिक्षकों ने जिस तरह काम किया, उस अनुसार शिक्षक भी कोरोना से कम नहीं। ऑनलाइन क्लास विकल्प के तौर पर तो ठीक है मगर ऑफलाइन क्लास का कोई विकल्प नहीं है। मौजूदा समय में आलम यह है कि स्कूल आ रहे बच्चों को 30 प्रतिशत कोर्स दोबारा पढ़ाना पड़ रहा। बच्चों और अभिभावकों को डर से निकलना होगा। अभी परिस्थितियां सामान्य है, ऐसे में स्कूल खोलने का लाभ लेने से कतई नहीं चूकना चाहिए।आभा अनंत,प्रिंसिपल, सीएमएस, गोमती नगर, प्रथम कैम्पस
बच्चों की सुरक्षा को लेकर स्कूल पूरी तरह संवेदनशील है। स्कूलों में कोविड-19 कॉल का गंभीरता से पालन किया जा रहा है। यहां तक कि स्कूल के बाहर भी निगरानी की व्यवस्था के इंतजाम किए गए हैं। ऐसे में बच्चों को स्कूल से निकलने के बाद और अभिभावकों को उनके घर पर रहने के दौरान बच्चों का ध्यान देना होगा। स्कूल किसी अभिभावक पर बच्चों को भेजने का दबाव नहीं बना रहे हैं, स्कूलों का मकसद बस इतना है कि बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो। बच्चों को स्कूल भेजने के लिए अभिभावकों को जागरूक करने की दिशा में भी स्कूलों को काम करना होगा।
जावेद आलम, प्रबंधक, लखनऊ पब्लिक कॉलेजिएट
लंबे समय से स्कूल बंद होने के कारण अब अभिभावक भी परेशान हैं। अभिभावकों की ओर से शिकायत आती है कि स्कूल बंद होने के दौरान बच्चे घर में लेटकर गेम खेलते रहते हैं। स्कूल आने पर बच्चों के चेहरे भी खुश नजर आ रहे हैं। मगर स्कूल से निकलते ही सारा प्रोटोकॉल भूल जाते हैं। ऐसे में स्कूलों को पैरंट्स के लिए काउंसलिंग सेशन कराया जाना चाहिए। हमें बच्चों के माध्यम से अभिभावकों में छिपे भय को मिलकर दूर करना होगा। कुसुम बत्रा, असिस्टेंट डायरेक्टर, प्रिंसिपल,एसकेडी एकेडमी, राजाजीपुरम
हमारे स्कूल में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों की संख्या अधिक है, जिनके पास न तो ऑनलाइन शिक्षा के लिए साधन हैं और न ही संसाधन है। इसके चलते कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई का जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई अगले एक-दो वर्षों तक में कर पाना आसान नहीं है। इसलिए अब जब स्कूल खुल चुके हैं तो बच्चों को भी नियमित रूप से स्कूल आना चाहिए। अभिभावकों को भी इस दिशा में बच्चों को प्रेरित करना चाहिए।
धीरेंद्र मिश्रा, प्रिंसिपल, राजकीय जुबली इंटर कॉलेज
ऑनलाइन क्लास कुछ समय की मजबूरी तक के लिए ही ठीक थी। अन्यथा ऑफलाइन क्लास का स्थान कोई अन्य माध्यम कतई और कभी नहीं हो सकता। हमें अपनी पूरी शिक्षा व्यवस्था के तंत्र को समझ कर आकलन करना होगा, तभी ऑफलाइन पढ़ाई का महत्व समझ में आएगा। डॉक्टरों की ओर से भी यह बात सामने आ रही है कि बच्चों में अब इम्युनिटी विकसित हो चुकी है। इनकी वैक्सीन भी आ चुकी है। बड़ों में अधिकांश का टीकाकरण हो चुका है। इन सभी आधार पर या कहा जा सकता है कि बच्चे स्कूल में पूरी तरह सुरक्षित हैं। अभिभावक निर्भीक होकर उन्हें स्कूल भेजें।
एसपी सिंह, प्रबंधक, लखनऊ पब्लिक स्कूल एंड कॉलेजेज