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किसान महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा का ऐलान, सिर्फ कृषि कानून वापस होने से खत्म नहीं होगा आंदोलन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर चुके हैं लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा इतने भर से ही आंदोलन खत्म करने को तैयार नहीं है। लखनऊ की महापंचायत में किसानों नेताओं ने एक स्वर से आंदोलन जारी रखने की घोषणा की है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 22 Nov 2021 08:27 PM (IST)Updated: Tue, 23 Nov 2021 08:17 AM (IST)
किसान महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा का ऐलान, सिर्फ कृषि कानून वापस होने से खत्म नहीं होगा आंदोलन
महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया कि सिर्फ कृषि कानून वापस होने से आंदोलन खत्म नहीं होगा।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर चुके हैं लेकिन, संयुक्त किसान मोर्चा इतने भर से ही आंदोलन खत्म करने को तैयार नहीं है। लखनऊ की महापंचायत में किसानों नेताओं ने एक स्वर से आंदोलन जारी रखने की घोषणा की है। उनका कहना है कि सिर्फ तीन कानून वापस लेने से आंदोलन खत्म नहीं होगा और भी ज्वलंत मुद्दे हैं उनका निस्तारण जरूरी है। इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानून बनाने की मांग सबसे अहम है।

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लखनऊ स्थित ईको गार्डेन पार्क में सोमवार को आयोजित किसान महापंचायत में भाकियू नेता राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार को अपनी भाषा में समझाने में एक साल लग गया। अब सरकार को ये समझ आया कि तीन कृषि कानून किसान, मजदूर विरोधी हैं। उन्होंने कहा कि आंदोलन में रंग-बिरंगे झंडे लहराते रहे, जो अलग संगठनों के हैं लेकिन उन सभी की कृषि कानून के विरोध में भाषा एक थी, सिर्फ कोठी में बैठे लोगों को समझने में वक्त लगा, क्योंकि सरकार किसानों को बांटने का प्रयास करती रही।

भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि माफी मांगने से किसानों का भला होने वाला नहीं है, उनका भला एमएसपी कानून बनाने से होगा। इस कानून को लेकर केंद्र सरकार झूठ बोल रही है कि कमेटी बना रहे हैं, जबकि 2011 में जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उनकी अध्यक्षता में गठित कमेटी ने तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी कि किसानों के लिए एमएसपी लागू करें। ये रिपोर्ट पीएमओ में रखी है, उसे ही लागू कर दें। उन्होंने कहा कि सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने का वादा चुनाव में किया था, उस पर अमल नहीं हुआ। दो करोड़ नौकरियों का वादा किया और काम प्राइवेट कंपनियों को दिया जा रहा है, देश प्राइवेट सेक्टर की मंडी बनता जा रहा है।

भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने संघर्ष विराम की घोषणा की है, जबकि किसान सिर्फ तीन कानूनों की वापसी भर से मानने वाला नहीं है। आंदोलन चरणवार जारी रहेगा। टिकैत ने यह भी कहा कि गांव की सरकारी जमीनें बेची जा रही हैं, सरकार कह रही है कि मंडी के बाहर सामान बेचो, ताकि ये मंडियां भी खत्म कर दें। किसानों को हिंदू, मुस्लिम, सिख और जिन्ना के नाम पर उलझाया जा रहा है। सबसे महंगी बिजली उत्तर प्रदेश की है। खाद मिल नहीं रही, गन्ने का चार हजार करोड़ रुपया बकाया है। उन्होंने कहा कि सरकार बातचीत करे तभी हल निकलेगा।

जीत का जश्न है और आगे जंग का जज्बा भी : संयुक्त किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव ने कहा है कि यूपी में आंदोलन से पहले ही सरकार ने तीन कृषि कानून को वापस लेने का ऐलान कर दिया है, इसलिए जीत का जश्न है और किसानों में आगे की जंग का जज्बा भी है। उन्होंने कहा कि वह तो पहले से कह रहे थे कि कृषि कानून मर चुके हैं, अब उन्हें डेथ सर्टिफिकेट चाहिए। पीएम ने उसकी भी घोषणा कर दी है। यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री को अहंकार की बीमारी लगी है, जनता एक साल से दवाई कर रही थी लेकिन, उसका असर नहीं हुआ। पश्चिम बंगाल चुनाव ने छोटा इंजेक्शन दिया और यूपी विधानसभा चुनाव में बड़ा इंजेक्शन लगाने से पहले ही बड़ा असर हो गया है। ये जीत किसानों की है, 70 साल में पहली बार उनकी मांगे मानी गई। उन्होंने कहा कि किसानों को दान नहीं चाहिए, फसल का सही दाम चाहिए। ये दाम एमएसपी से मिलेगा। आंदोलन कैसा होगा ये 27 नवंबर को मोर्चा तय करेगा।

न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं, लागत का लाभकारी मूल्य मिले : भारतीय किसान सभा के नेता अतुल अंजान ने कहा कि दुनिया में कहीं इतने दिन आंदोलन नहीं चला, इस दौरान 700 किसानों ने कुर्बानी दी। सरकार अब फिर दांव-पेंच कर रही है, अब किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं, लागत का लाभकारी मूल्य चाहिए। उन्होंने कहा कि जनता 2022 में यूपी और 2024 में केंद्र की सरकारों में बदलाव करे, नई सरकार उनके हितों के खिलाफ काम नहीं कर सकेगी। अगला आंदोलन पूर्वांचल व वाराणसी में किया जाना चाहिए।

निशाने पर गृह राज्यमंत्री बर्खास्त करके गिरफ्तारी की मांग : महापंचायत में किसान नेताओं के निशाने पर गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी रहे। उनको बर्खास्त करके आगरा जेल भेजने की पुरजोर मांग हुई। यह भी कहा गया कि मंत्री मिश्र शुगर मिल का उद्घाटन कर रहे हैं यदि ऐसा हुआ तो किसानों का गन्ना शुगर मिल पर नहीं डीएम के दफ्तर में पहुंचेगा। किसान नेताओं ने लखीमपुर-खीरी की घटना में मृत चार किसान व एक पत्रकार के स्वजनों का सम्मान किया गया। किसान नेताओं ने इन्हें शहीदों का स्वजन बताया।

पंजाब, हरियाणा व पश्चिम से पहुंचे बड़ी संख्या में किसान : महापंचायत में रविवार रात से ही किसानों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था, जो पंचायत खत्म होने तक जारी रहा। पंजाब, हरियाणा व पश्चिमी यूपी से बड़ी संख्या में किसान पहुंचे थे। शिवकुमार कक्का, बाबा निर्मल सिंह, खालिद, गुरमुख सिंह, राजपाल शर्मा, आशीष मित्तल, अशोक धवले, राजेश कुमार चौहान, आमानउल्ला, बलदेव सिंह सिरसा, योगेंद्र सिंह उगरहा, विजेंद्र सिंह यादव, जोगेंद्र सिंह नयन, गुरमीत सिंह बांगड़, डा. दर्शनपाल सिंह, जगतार सिंह बाजवा, फतेह सिंह, प्रियंका पाल, केतकी, जगजीत सिंह आदि नेताओं ने संबोधित किया। संचालन धर्मेंद्र मलिक ने किया।


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