Sankashti Ganesh Chaturthi 2020: समृद्धि की कामना का पर्व सकट आज, व्रत रख दूर होंगे संकट; ये है मुहूर्त
Sankashti Ganesh Chaturthi 2020 मान्यता है कि सकट चौथ या संकष्टी गणेश चतुर्थी पर विघ्नहर्ता गणेश जी की आराधना करने से सभी संकटों का निवारण होता है मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
लखनऊ, जेएनएन। Sankashti Ganesh Chaturthi 2020: परिवार की कुशलता, समृद्धि की कामना और कष्टों को दूर करने का पर्व सकट आज मनाया जा रहा है। पर्व को लेकर बाजारों में तिल के लड्डुओं के साथ ही पूजन में प्रयोग होने वाले अन्य सामग्रियों की दुकानें सज गई हैं। आलमबाग कोतवाली के पास और निशातगंज के अलावा डालीगंज समेत अन्य बाजारों में दुकाने ग्राहकों को अपनी ओर खींच रही हैं।
आचार्य अनुज पांडेय ने बताया कि यह पर्व श्री गणेश के पूजन का पर्व है। विवाहित महिलाएं परिवार और बच्चों के ऊपर आने वाले संकटों को दूर करने के लिए सकट व्रत रखती हैं। सकट चौथ के व्रत में चंद्रोदय कालिक चतुर्थी को आधार माना जाता है। चंद्रमा के पूजन के इस पर्व को चंद्रोदय रात्रि 8:33 बजे होगा। मान्यता है कि सकट चौथ या संकष्टी गणेश चतुर्थी पर विघ्नहर्ता गणेश जी की आराधना करने से सभी संकटों का निवारण होता है, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। परिवार में आर्थिक संपन्नता आती है।
सकट चौथ व्रत का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आज ही के दिन गणेश जी की उत्पत्ति हुई थी। इसे तिलकुटी एवं वक्रतुण्ड चतुर्थी भी कहा जाता है। जब व्यक्ति पर संकट के बादल मंडरा रहे हों या वह संकटों में घिरने वाला हो, तो उसे गणेश चतुर्थी व्रत करनी चाहिए। गणेश जी की कृपा से संकट टल जाते हैं, आर्थिक संपन्नता मिलती है और मोक्ष भी प्राप्त होता है।
ये है मुहूर्त
चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 13 जनवरी को शाम 05:32 बजे से होगा, जो अगले दिन 14 जनवरी को दोपहर 02:49 बजे तक रहेगी। चंद्रमा के पूजन के इस पर्व को चंद्रोदय रात्रि 8:33 बजे होगा।
रात में चंद्रमा का पूजन, ये है विधि
चंद्रोदय होने पर यथाविधि चंद्रमा का पूजन कर छीरसागर आदि मंत्रों से अर्ध्यदान देते हुए नमस्कार करें। फिर ईश्वर का स्मरण करते हुए कहें कि वे आपके सभी संकटों को हर लें तथा अर्ध्य दान को स्वीकार करें। इसके पश्चात गणेश जी से प्रार्थना करें कि वे फूल और दक्षिणा समेत 5 लड्डुओं को मेरी आपत्तियां दूर करने के लिए स्वीकार करें। फिर कलश, दक्षिणा और गणेश जी की प्रतिमा पुरोहित को समर्पित करें और भोजन ग्रहण करें। गणेश चतुर्थी व्रत माघ, श्रावण, मार्गशीर्ष और भाद्र पद मास में करने का विशेष महत्व है। चतुर्थी के दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें और दाहिने हाथ में पुष्प, अक्षत, गंध और जल लेकर व्रत का संकल्प लें।