पालघर की घटना से रामनगरी आहत, संतों को घटना के पीछे बड़ी साजिश का संदेह
महाराष्ट्र के पालघर में महंत कल्पवृक्ष गिरि और महंत सुशील गिरि की हत्या केे विरोध में हनुमानगढ़ी में धरने पर बैठे संत राजूदास।
अयोध्या, जेएनएन। महाराष्ट्र के पालघर में महंत कल्पवृक्ष गिरि और महंत सुशील गिरि की हत्या स्थानीय संत समाज को आहत व आक्रोशित करने वाली है। मणिरामदास जी की छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयनदास ने कहा, इस मामले में सर्वाधिक आक्रोशित करने वाली भूमिका पुलिस की है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के साथ ऐसे कायर पुलिस कर्मियों की भी सख्त सजा सुनिश्चित होनी चाहिए।
जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य के अनुसार यह घटना अत्यंत दुखद और भीड़ के खतरनाक चरित्र की परिचायक है। हम सबको विचार करना होगा कि मनुष्य इतना ङ्क्षहसक कैसे होता जा रहा है। रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास का मानना है कि बेगुनाह संतों को पीट-पीट कर मार डालना नृशंसता के साथ भारतीय समाज को अस्थिर करने की किसी साजिश की ओर भी संकेत करने वाला है। सरकारी जांच एजेंसियों को इस दिशा में भी सजगता बरत कर साजिश का शीघ्रतापूर्वक राजफाश करना होगा।
नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास कहते हैं, घटना को सांप्रदायिक रंग देने से बचना होगा और यदि यह चूक हुई, तो साजिश करने वाले अपने मकसद में कामयाब होंगे। जरूरी है कि इस जघन्य कांड के पीछे के कारणों को जल्दी से जल्दी सामने लाया जाय। गुरुद्वारा ब्रहमकुंड के मुख्यग्रंथी ज्ञानी गुरुजीत ङ्क्षसह के अनुसार संतों की हत्या करने वाली भीड़ नहीं थी बल्कि उसका रवैया एक गिरोह की तरह और बेहद कायराना था। सरकार को इस गिरोह पर से पर्दा उठाना होगा। विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा, यह घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है।
हिंदू महासभा के उत्तर भारत प्रभारी महंत परशुरामदास ने कहा, लॉकडाउन के दौरान एक ओर पुलिस ने बेहद जिम्मेदारी का परिचय दिया है, दूसरी ओर पालघर में संतों को उन्मादियों के हवाले कर पुलिस ने कायरता की अति कर दी है और इन कायरों को भी सबक सिखाया जाना चाहिए। ङ्क्षहदू महासभा के जिलाध्यक्ष राकेशदत्त मिश्र ने मांग की कि उद्धव ठाकरे सामने आकर हत्यारों को फांसी की सजा दिलवाने की घोषणा करें।
मानवता की संस्कृति पर नृशंस आघात
भारतीय पर्यावरण चेतना समिति के अध्यक्ष एवं आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. जीसी पाठक की अध्यक्षता में बैठक कर दोनों संतों की हत्या पर शोक व्यक्त किया गया और इसे भारतीय संत परंपरा एवं मानवता की संस्कृति पर नृशंस आघात बताया गया। शोक जताने वालों में डॉ. एके पांडेय, डॉ. एसके वर्मा, सत्येंद्र श्रीवास्तव, हरीश शुक्ल, अनिल कुमार, राहुल ङ्क्षसह आदि रहे।
राजूदास ने शुरू किया धरना
हनुमानगढ़ी से जुड़े महंत राजूदास ने हनुमानगढ़ी में ही दोपहर 11 बजे से हनुमानगढ़ी में धरना शुरू किया। उनकी मांग है कि भीड़ के साथ संतों को भीड़ के हवाले करने वाले पुलिसकर्मियों पर भी हत्या का मुकदमा दर्ज हो।