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Safer Internet Day 2021: सुरक्षित इंटरनेट का एकमात्र तरीका, अपनी सामान्य समझ का इस्तेमाल और थोड़ी सी जागरूकता!

सेफर इंटरनेट डे (9 फरवरी) के मौके पर समझिए कि इंटरनेट को सुरक्षित बनाए रखने के दो रास्ते हैं पहला आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा के लिहाज से ज्यादा से ज्यादा भारतीय उद्यमियों का इस क्षेत्र में प्रवेश और दूसरा इंटरनेट पर हम सब थोड़ा जिम्मेदारी से पेश आएं..

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 09 Feb 2021 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2021 10:13 AM (IST)
Safer Internet Day 2021: सुरक्षित इंटरनेट का एकमात्र तरीका, अपनी सामान्य समझ का इस्तेमाल और थोड़ी सी जागरूकता!
आज इंटरनेट भले ही हमारा जीवन आसान कर रहा, पर अब देश इससे जुड़े खतरों से भी जूझ रहा है।

प्रो. मुकुल श्रीवास्तव। इंटरनेट साइट स्टेटिस्टा के अनुसार, देश में साल 2020 में इंटरनेट प्रयोगकर्ताओं की संख्या करीब 70 करोड़ रही, जिसकी साल 2025 तक 97.4 करोड़ हो जाने की उम्मीद है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन बाजार है। यह अपने आप में बड़ा बदलाव है क्योंकि इतनी तो दुनिया के कई विकसित देशों की आबादी तक नहीं है।

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यह आंकड़ा भारत की डिजिटल साक्षरता का भी आंकड़ा है अर्थात इतने लोग कार्य, व्यापार व अन्य जरूरतों के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। भारत के लिए यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मोबाइल हैंडसेट अकेला ऐसा माध्यम है जिससे देश की आबादी के एक बड़े हिस्से तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह अकेला ऐसा माध्यम है जो शहरों और कस्बों की सीमाएं लांघता हुआ तेजी से दूरदराज के गांवों तक भी पहुंच गया है।

हम सब ‘एक’ हैं: इसी के साथ ही एक तथ्य यह भी है कि आज हिंदू समेत अन्य भारतीय भाषाओं ने पहले ही अंग्रेजी को भारत में इंटरनेट प्रयोगकर्ता भाषा के रूप में दूसरे स्थान पर धकेल दिया है। गूगल और केपीएमजी की संयुक्त रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं के साल 2011 में 4.2 करोड़ प्रयोगकर्ता थे, जो साल 2016 में बढ़कर 23.4 करोड़ हो गए हैं और यह सिलसिला लगातार बढ़ रहा है।

‘एक टाइप’ ग्रुप के 15 लोगों की टीम ने भारतीय भाषाओं के लिए छह ऐसे फांट विकसित किए, जिसमें भारत की क्षेत्रीय भाषाओं को एक ही तरीके से लिखा जा सकता है। इस ग्रुप द्वारा विकसित ‘मुक्ता देवनागरी’ फांट प्रधानमंत्री कार्यालय समेत लगभग 45 हजार वेबसाइट द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी का ‘बालू’ फांट दस भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है जिनमें मलयालम, कन्नड़ और उड़िया जैसी भाषाएं शामिल हैं। यह भारतीयों की ताकत को दिखाता है। इसके साथ ही देश में कंप्यूटर के मुकाबले मोबाइल पर इंटरनेट सुविधा हासिल करने वालों की संख्या भी बढ़ चुकी है। लोगों के लिए तो यह कई तरह की सुविधाएं हासिल करने का महत्वपूर्ण माध्यम है ही, साथ ही सरकार के लिए भी यह अहम साबित हो रहा है।

सुरक्षित हो इंटरनेट की दुनिया: तकरीबन एक दशक से भारत को किसी और चीज ने उतना नहीं बदला, जितना इंटरनेट ने बदल दिया है। रही-सही कसर इंटरनेट आधारित स्मार्टफोन ने पूरी कर दी पर कोई भी तकनीक अपने आप में परिपूर्ण नहीं होती। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि हम उसका इस्तेमाल कैसे करते हैं। आज इंटरनेट भले ही हमारा जीवन आसान कर रहा हो पर हमारा देश इंटरनेट से जुड़े खतरों की चुनौती से भी जूझ रहा है। यही कारण है कि अब इंटरनेट को सुरक्षित बनाने पर बल दिया जा रहा है। इसी उद्देश्य से हर वर्ष सुरक्षित इंटरनेट दिवस (9 फरवरी) मनाया जाता है। इंटरनेट इतनी तेजी से हमारे जीवन में घर कर गया है कि इससे पहले इस तकनीक के इस्तेमाल से जुड़े मानक स्थापित हो पाते, यह सबकी जरूरत बन गया। यहीं से शुरू हुआ इंटरनेट अपराध का सिलसिला, जो आज फेक न्यूज, फेक इंटरनेट मीडिया हैंडल से हो कर तमाम तरह के इंटरनेट आधारित वित्तीय अपराधों तक पहुंच चुका है। फर्जी पहचान के सहारे नौकरी दिलाने से लेकर पैसे मांगने तक कई तरह के अपराध इस ओर इशारा करते हैं कि इंटरनेट को सुरक्षित बनाए रखना कितना अहम है।

भ्रम फैला रहीं विदेशी संस्थाएं: भारत के इंटरनेट उपभोक्ता आज दुनिया की कई नामी-गिरामी कंपनियों की प्रगति का बड़ा कारण हैं। सोचें जरा, यदि ये कंपनियां भारतीय होतीं तो आज देश की अर्थव्यवस्था की तस्वीर कुछ और ही होती। इसी तरह इन कंपनियों के बाहरी होने के कारण कई बार राष्ट्र विरोधी तत्वों को सिर उठाने का मौका मिल जाता है, जहां वे फर्जी पहचान के सहारे ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देने में सफल हो जाते हैं जिनसे देश के तंत्र को अस्थिर किया जा सके और लोगों में भ्रम फैलाया जा सके।

हालिया किसान आंदोलन में हुई हिंसा के पश्चात दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर प्रवीर रंजन ने बताया था कि हाल के दिनों में लगभग 300 इंटरनेट मीडिया हैंडल ऐसे पाए गए, जिनका इस्तेमाल घृणित और निंदनीय कंटेंट फैलाने के लिए किया जा रहा है, जिसमें कुछ विदेशी संस्थाएं भी शामिल हैं जो किसान आंदोलन के नाम पर भारत सरकार के खिलाफ गलत प्रचार कर रही हैं। ऐसे में इंटरनेट को सुरक्षित बनाए रखने की जिम्मेदारी एक उपभोक्ता के तौर पर हमारी भी है क्योंकि ऐसे दुष्प्रचार जिन भी इंटरनेट मीडिया साइट्स से किए जा रहे हैं, वे सभी विदेशी हैं।

रोजगार देने में पीछे: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शायद इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखकर आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया। अगर इंटरनेट में भारतीय कंपनियां विश्व स्तर पर अपनी जगह बनाएं तो भारत का विशाल डाटा किसी अन्य देश के सर्वर में न रहकर देश के ही सर्वर में सुरक्षित रहेगा और ये जो विदेशी कंपनियां भारत से ही पैसे कमाकर भारत विरोधी प्रचार को हवा दे रही हैं, उन पर लगाम लगेगी। भारतीय कंपनी रिलायंस जियो के स्वामी मुकेश अंबानी यह घोषणा कर चुके हैं कि 2021 में जियो भारत में 5जी क्रांति लेकर आएगी, जिसका पूरा नेटवर्क स्वदेशी होगा। इसके अलावा हार्डवेयर और टेक्नोलॉजी भी स्वदेशी होगी। जिसके जरिए आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा होगा। डाटा आज की सबसे बड़ी पूंजी है।

यह डाटा का ही कमाल है कि गूगल और फेसबुक जैसी अपेक्षाकृत नई कंपनियां दुनिया की बड़ी और लाभकारी कंपनियां बन गई हैं। डाटा ही वह ईंधन है जो अनगिनत कंपनियों को चलाए रखने के लिए जिम्मेदार है। वह चाहे तमाम तरह के एप्स हों या विभिन्न इंटरनेट नेटवर्किग साइट्स, सभी उपभोक्ताओं के लिए मुफ्त में उपलब्ध हैं। सबसे ज्यादा पैठ फेसबुक और यूट्यूब की है मगर इनके लाभ और नौकरी संबंधी आंकड़ों पर नजर डालें तो यह दिखता है कि इंटरनेट मीडिया साइट्स में प्रत्यक्ष रोजगार बहुत ही कम हैं। आज नौकरी.कॉम पर इंटरनेट मीडिया से संबंधित केवल 19,057 नौकरियां हैं।

दरअसल, इन सभी साइट्स की ज्यादातर आमदनी ‘यूजर सेंटिक’ विज्ञापनों से होती है, जबकि इनमें से लगभग सभी साइट्स पूरी तरह मुफ्त हैं। आधिकारिक तौर पर इंटरनेट मीडिया से भारत मे कितना रोजगार उत्पन्न हुआ, इसका विशेष उल्लेख नहीं मिलता क्योंकि ये सारी कंपनियां इनसे संबंधित आंकड़े सार्वजनिक रूप से जारी नहीं करतीं। साथ ही प्रत्यक्ष रोजगार के काफी कम होने का संकेत इन कंपनियों के कर्मचारियों की कम संख्या से प्रमाणित होता है।

बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019 में भारत में गूगल और फेसबुक ने करीब 10,000 करोड़ रुपए कमाए, वहीं इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 11,262 करोड़ रुपए कमाए परंतु जब हम दोनों कंपनियों से मिले प्रत्यक्ष रोजगार और साथ ही उसके साथ बने इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को देखते हैं तो दोनों में जमीन-आसमान का अंतर मिलता है। जैसे- 9 करोड़ डॉलर वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज 1,94,056 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार देती है और इससे कहीं ज्यादा लोग वेंडर कंपनियों के माध्यम से रोजगार पाते हैं।

परखें नजर का धोखा: इंटरनेट को सुरक्षित बनाए रखने के दो रास्ते हैं, पहला, ज्यादा से ज्यादा भारतीय उद्यमियों का इस क्षेत्र में प्रवेश, जिससे हम आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को सिर्फ उत्पाद के क्षेत्र में ही सीमित न करें बल्कि इंटरनेट के विभिन्न उत्पाद में भी भारतीयता को बढ़ावा दें और दूसरा, इंटरनेट पर हम सब थोड़ा जिम्मेदारी से पेश आएं। फेक न्यूज से बचें। फर्जी चित्रों को पहचानने में गूगल द्वारा शुरू की गई गूगल इमेज सेवा का लाभ लें। जहां कोई भी तस्वीर अपलोड करके यह पता कर सकते हैं कि वह तस्वीर सबसे पहले कब अपलोड की गई और यह किसी गलत संदर्भ में प्रचारित न की जा रही हो।

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने वीडियो में छेड़छाड़ और उसका अपलोड का इतिहास पता करने के लिए यूट्यूब के साथ मिलकर यूट्यूब डाटा व्यूअर सेवा शुरू की है। किसी भी वीडियो की जांच करने के लिए उसे ध्यान से बार-बार देखा जाना चाहिए। यह काम क्रोम ब्राउजर में ‘इनविड’ एक्सटेंशन जोड़कर किया जा सकता है। यह किसी भी वीडियो को फ्रेम दर फ्रेम देखने में मदद करता है। इसमें वीडियो के दृश्यों को मैग्निफाई (बड़ा) करके भी देखा जा सकता है। यह वीडियो को देखने के बजाय उसे पढ़ने में मदद करता है अर्थात वीडियो में उन चीजों की तलाश करना, जिससे उसके सही होने की पुष्टि हो सके। वीडियो में नजर आ रहे लोगों के कपड़े, पोस्टर, बैनर, गाड़ियों की नंबर प्लेट और फोन नंबर की तलाश की जानी चाहिए, ताकि गूगल द्वारा उन्हें खोजकर उनके क्षेत्र को पहचाना जा सके। इंटरनेट पर कई सॉफ्टवेयर हैं जो वीडियो और तस्वीरों की सत्यता का पता लगा सकते हैं।

जागरूकता ही देगी सुरक्षा

  • इंटरनेट के सुरक्षित इस्तेमाल का एकमात्र तरीका है, अपनी सामान्य समझ का इस्तेमाल और थोड़ी सी जागरूकता!
  • अपने इंटरनेट मीडिया अकाउंट को मजबूत पासवर्ड से सुरक्षित करें और हर प्लेटफॉर्म पर अलग पासवर्ड बनाएं। कुछ इंटरनेट कंपनियां द्वारा मिल रही अतिरिक्त सुरक्षा टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन (द्वि-कारक प्रमाणीकरण) की सुविधा का लाभ उठाएं
  • फिशिंग स्कैमर बड़ी संख्या में जालसाजी वाले मैसेज भेजते हैं ताकि वे आपकी निजी जानकरी, पासवर्ड आदि हासिल कर सकें। कोई ई-मेल या वेबसाइट दिखने में वैध हो सकती है मगर इसकी अतिरिक्त सत्यता और उसके स्रोत के बारे में और जानकारी के लिए ई-मेल हेडर्स की जांच करें
  • इंटरनेट फ्रॉड से बचने के लिए हर नए या अप्रत्याशित ई-मेल पर आंख मूंदकर विश्वास न करें। डाटा सुरक्षित रखने के लिए ब्राउजिंग कुकीज पर नजर रखें क्योंकि ये कुकीज अन्य साइट्स को आपकी जानकारी पहुंचाती हैं। प्राइवेसी टूल्स कुकीज पर पूरी नजर बनाए रखते हैं
  • ब्राउजर के सिक्योरिटी फीचर्स का उपयोग करें। किसी भी वेबसाइट के यूआरएल पर जरूर ध्यान दें। सुरक्षित साइट्स के यूआरल की शुरुआत https से होती है। यहां अंग्रेजी अक्षर एस का अर्थ है कि वेबसाइट सुरक्षित है। अगर आपको सिर्फ http दिखे, तो इन वेबसाइट से बचें
  • किसी ऐसे विज्ञापन पर क्लिक न करें, जो मोबाइल या कंप्यूटर में वायरस की जानकारी देता है। हैकर्स इस तरह के विज्ञापनों का इस्तेमाल कर लोगों को अपना शिकार बनाते हैं

    (लेखक लखनऊ विश्वविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष हैं)


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