आस्था पर भारी अंधविश्वास : लखनऊ में नंदी के दूध पीने की सूचना पर शनि मंदिर में उमड़े श्रृद्धालु, देखें VIDEO
लखनऊ के पारा के हंसखेड़ा स्थित पुरानी काशीराम आवासीय कालोनी का मामला। यहां के शनि मंदिर में मूर्ति के दूध पीने का वीडियो हुआ वायरल। कोई दूध पिलाने में जुट गया तो किसी ने भजन-कीर्तन शुरू कर दिया। देर रात तक मंदिर में लोगों का हुजूम लगा रहा।
लखनऊ, जेएनएन। राजधानी में शुक्रवार को एक शनि मंदिर में मूर्ति के दूध पीने का मामला एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया। भगवान शिव के नंदी बैल की मूर्ति के दूध पीने का वायरल वीडियो आस्था के साथ अंधविश्वास को बढ़ावा देता नजर आया। देखते ही देखते मंदिर में श्रृद्धालुओं का तांता मंदिर में जमा हो गया। कोई दूध पिलाने में जुट गया तो किसी ने भजन-कीर्तन शुरू कर दिया। देर रात तक मंदिर में लोगों का हुजूम लगा रहा।
दूध पिलाकर पुण्य कमाने की आस में जुट रहे श्रृद्धालु: मामला पारा के हंसखेड़ा स्थित पुरानी काशीराम आवासीय कालोनी का है। यहां स्थित शनि देव मंदिर में भगवान शिव के नंदी बैल की मूर्ति के दूध पीने का वीडियो वायरल होते ही श्रृद्धालुओं का जमावड़ा लग गया। लोग हाथों में दूध और चम्मच लेकर मंदिर में कतारबद्ध खड़े रहे। भगवान शिव की सवारी माने जाने वाले नंदी बैल की मूर्ति को दूध पिलाकर पुण्य कमाने की आस में जुटे रहे। हाथ में दूध का लोटा लिए काशीराम कालोनी निवासी शीला व शशि, अंशिका, बताती हैं कि दोपहर में एक व्यक्ति से सूचना मिली कि आलमबाग में नंदी पानी पी रहे है। जिस पर मंदिर में पानी की जगह दूध लेकर पहुंची। चम्मच से पिलाना शुरू किया, तो नंदी दूध पीने लगे। उसके बाद से दूध पिलाने वालों की भीड़ जमा होने लगी।
बसंत पचमी के हुई थी मूर्तियों की स्थापना : उधर, मंदिर की देखरेख करने वाली रेखा मिश्रा का कहना है कि बसंत पचमी के दिन मदिर में शिवलिंग, नंदी, दुर्गा माता, भगवान गणेश, राधा कृष्ण, माता काली, भैरव शनि व हनुमान जी की मूर्तियों की स्थापना की गई थी।
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संसजक बल के कारण दूध मूर्ति के अंदर जाता है: राजाजीपुरम के राजकीय पंडित दीनदयाल स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय के भौतिक विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अखिलेश सिंह कहते हैं कि पृष्ठ तनाव के कारण दो अलग-अलग पदार्थों के बीच संसजक बल लगने के कारण दूध मूर्ति के अंदर जाने लगता है। इसी प्रभाव के कारण जब ससंजक बल का मान अधिक होता है तो कभी-कभी मूर्ति के अंदर दूध जाने लगता है तो लोग समझते है कि मूर्ति दूध पी रही है। यह आस्था का विषय नहीं है।